जानलेवा बीमारी चमकी बुखार से मौत का सिलसिला बदस्तूर जारी है। बीमार बच्चों का अस्पताल पहुंचना और गंभीर मरीजों के दम तोड़ने का काम अभी रूका नहीं है। इस जानलेवा बीमारी ने अब तक 60 बच्चों का बलिदान ले लिया है. पिछले 24 घंटे में आठ और बच्चों ने दम तोड़ दिया है. वहीं, 23 नये बच्चे मुजफ्फरपुर के SKMCH और केजरीवाल अस्पताल में भर्ती किए गए हैं. जबकि कई बच्चे पहले से अस्पताल में भर्ती हैं. हालांकि सरकारी आंकड़ों के अनुसार ये संख्या 55 बताई जा रही है.
एसकेएमसीएच और केजरीवाल अस्पताल में कुल मिलाकर 22 नए मरीजों को शाम 5 बजे तक भर्ती कराया गया। इस बीच सुबह से लेकर शाम तक में 4 बच्चों ने दम तोड़ दिया। इसमें दो नए भर्ती मरीज व दो पहले से इलाजरत की मौत हुई। इस बीच देर शाम में 7 सदस्यीय केंद्रीय स्वास्य मंत्रालय की टीम हालात का जायजा लेने मुजफ्फरपुर पहुंची। टीम का नेतृत्व स्वास्य मंत्रालय के राष्ट्रीय बाल स्वास्य कार्यक्रम के सलाहकार डॉ अरुण कुमार सिन्हा कर रहे थे। उनके साथ बिहार एनसीडीसी के डिप्टी डायरेक्टर डॉक्टर राम सिंह, एनसीडीसी के डॉ गौरव गोयल, एम्स पटना के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर लोकेश कुमार राज वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल अधिकारी डॉक्टर एमपी शर्मा व डॉक्टर पूनम शामिल थीं। यह जानकारी एसकेएमसीएच के अधीक्षक डॉ एस के शाही ने दी।
चमकी तेज बुखार के साथ हाइपोग्लाइसीमिया से हो रही मौत के बाद स्वास्य मंत्रालय अलर्ट हो गया है। बच्चों की मौत का कारण जानने के लिए मंत्रालय की विशेष टीम एसकेएमसीएच में देर शाम पहुंची। इस बार टीम में चाइल्ड हेल्थ पर रिसर्च करने वाली टीम को भेजा गया है। टीम का मंत्रालय के नियोनेटल चाइल्ड हेल्थ के प्रभारी राष्ट्रीय बाल स्वास्य कार्यक्रम के सलाहकार व संस्थापक डॉ अरुण कुमार सिन्हा स्वयं नेतृत्व कर रहे थे। उन्होंने सभी पीआईसीयू में देर शाम एक एक मरीज का जायजा लिया। साथ ही मरीजों के पुराने गंदे कपड़े हटवाए जो भी बच्चे होश में आ चुके थे उनका एक्सरे व फिर से ब्लड जांच करने को कहा। एक ही बेड पर दो बच्चे को रखे जाने पर भी आपत्ति की। इसके साथ पीआईसीयू के आसपास के क्षेत्रों को पूरी तरह साफ करने को कहा।
पत्रकारों को डॉक्टर सिन्हा ने बताया कि मुजफ्फरपुर व इसके 30 से 35 किलोमीटर के आसपास के पूर्वी चंपारण, शिवहर सीतामढ़ी के बच्चे इस बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं। कोई बीमारी नहीं है। एक सिम्टम है। इसमें कोई बीमारी हो सकती है। हाइपोग्लाइसीमिया भी कोई मुख्य बीमारी नहीं है। अभी आए हैं। कई बच्चों को देखे हैं। अब तक भर्ती वह मर चुके बच्चों के पूर्जा पर रात तक शिशु रोग विभाग के अध्यक्ष व अन्य डाक्टरों के साथ र्चचा होगी। इसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है। उन्होंने बताया कि कई कारणों से बच्चों में चमकी व तेज बुखार व डायरिया एक साथ होती है। इसमें कुपोषण एक महत्वपूर्ण पक्ष है। पहली बार आया हूं अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। शिशु रोग विभागाध्यक्ष से र्चचा हुई है।
आज आयेंगे स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय
शुक्रवार की सुबह आठ बजे स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय एसकेएमसीएच पहुंचेंगे. पीआईसीयू वार्ड का निरीक्षण कर वह डॉक्टरों के साथ मीटिंग भी करेंगे.
जेई के सात मामलों में कोई भी मौत नहीं
मुजफ्फरपुर में बीमार बच्चों में अब तक कुल 47 की मौत हो चुकी है. इसमें जनवरी से अब तक 179 बच्चों को इलाज के लिए भर्ती कराया गया. जांच के दौरान पाया गया कि बीमार पड़नेवाले सात बच्चों में जेपनिज इंसेफ्लाइटिस (जेई) के वायरस पाये गये.
इन सात बच्चों में किसी की भी मौत नहीं हुई है. सभी बच्चे स्वस्थ होकर लौट गये हैं. स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने बताया कि मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार जिन 179 बच्चों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया उसमें ग्लूकोज की कमी से पीड़ित 165 बच्चे थे. ग्लूकोज की कमी के कारण 46 बच्चों की मौत हुई है. इसके अलावा दो बच्चों में इलकेक्ट्रोलाइट्स की कमी पायी गयी जिसमें से एक की मौत हो गयी है.
इसके अलावा चिकेनपॉक्स से पीड़ित एक बच्चे, जेई से पीड़ित सात बच्चे और अज्ञात बीमारी से चार बच्चों को भर्ती कराया गया जिसमें किसी की भी मौत नहीं हुई है. उन्होंने बताया कि अभिभावकों के बीच इस बात को लेकर जागरूक किया जा रहा है कि वह अपने बच्चों को रात में भूखे पेट नहीं सोने दें. उनको नीबू-चीनी का शर्बत में ओआरएस मिलाकर पिलाये. उन्होंने बताया कि ग्रुप ऑफ मंत्रियों द्वारा निर्मित एसओपी का पालन राज्य के 12 जिलों के 222 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में किया जा रहा है.