बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने सत्र 2019-21 से परीक्षा व्यवस्था में तीन महत्वपूर्ण बदलाव किये हैं-सब्जेक्ट पैटर्न में बदलाव, एडिशनल सब्जेक्ट में वृद्धि एवं उत्तीर्णता के फामरूले में बदलाव। इस बदलाव से इंटरमीडिएट के सत्र 2019-21 में 11वीं कक्षा में नामांकन ले रहे लाखों विद्यार्थी प्रभावित होंगे। इस संबंध में आनंद किशोर, अध्यक्ष, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने बताया कि राज्य के इंटरमीडिएट (11वीं एवं 12वीं) में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को वर्तमान में भाषा विषय योजना के तहत एक और दो भाषा विषयों के 50-50 अंक की परीक्षा (50 अंकों के एनआरबी के तहत हिन्दी विषय तथा 50 अंकों के एमबी के तहत वैकल्पिक अंग्रेजी, उर्दू एवं मैथिली विषयों में से किसी एक विषय में) शामिल होना अनिवार्य है। इसके अतिरिक्त विद्यार्थी को एक अन्य 100 अंक के भाषा विषय हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, मैथिली, संस्कृत, प्राकृत, मगही, भोजपुरी, अरबी, पर्सियन, पाली एवं बंगला विषय (कुल 12 भाषा) में से एक भाषा विषय चुनने की बाध्यता है। वर्तमान में एक ही भाषा के दो-दो पेपर (50 अंक एवं 100 अंक) रखे गये हैं जो अनावश्यक प्रतीत होता है। इंटरमीडिएट परीक्षा के लिए वर्तमान में लागू इस विषय योजना के कारण विद्यार्थियों को कई व्यावहारिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इससे परीक्षार्थियों पर भाषा विषय के अध्ययन का अतिरिक्त दबाव होने के साथ-साथ विषय की पुनरावृत्ति भी होती है। साथ ही एनआरबी एवं एमबी के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के भाषा विषयों के प्रश्न पत्र होने के कारण कई बार मूल्यांकन तथा परीक्षाफल तैयार करने में भी भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है। इन सभी समस्याओं के कारण राज्य में इंटरमीडिएट कक्षाओं में भाषाओं के विषयों के पुनर्निर्धारण का मामला काफी समय से विचाराधीन था। इस समस्या के निराकरण के लिए बोर्ड अध्यक्ष ने निदेशक (शैक्षणिक) की अध्यक्षता में एक उपसमिति का गठन किया। इस उपसमिति ने देश के विभिन्न बोडरे जैसे केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, बोर्ड ऑफ सेकेन्ड्री एजुकेशन -मध्य प्रदेश, बोर्ड ऑफ सेकेन्ड्री एजुकेशन- राजस्थान, छत्तीसगढ़ बोर्ड ऑफ सेकेन्ड्री एजुकेशन, उत्तर प्रदेश बोर्ड ऑफ हाई स्कूल एवं इंटरमीडिएट एजुकेशन आदि द्वारा उच्च माध्यमिक स्तर पर ली जाने वाली परीक्षा में लागू विषय योजनाओं का अध्ययन किया गया। श्री किशोर ने बताया कि इन बदलावों का सीधा लाभ राज्य के लाखों विद्यार्थियों को मिलेगा। इन बदलावों से विद्यार्थी बेहतर अंक प्राप्त कर सकेंगे।
पटना। परीक्षा समिति द्वारा किये गये विषय पैटर्न में बदलाव के आलोक में विद्यार्थी विषय संख्या-2 के विषयों में से कोई एक (जो विषय संख्या-1 या 2 में नहीं लिया गया हो) अथवा कला, वाणिज्य, विज्ञान संकाय का कोई एक विषय (जो विद्यार्थी जिस संकाय का हो, वे उस संकाय का कोई एक विषय, जो विषय संख्या 3, 4 एवं 5 में नहीं लिया गया हो)- एडिशनल सब्जेक्ट के रूप में चुन सकते हैं। समिति द्वारा छठे विषय के रूप में एडिशनल सबजेक्ट की संख्या को बढ़ाया गया है, जो पहले बहुत कम थी। साथ ही जिन विद्यार्थियों की भाषा विषयों में रुचि है वे नये पैटर्न के अनुसार विषय-1 एवं विषय-2 में लिए गये दो विषयों को छोड़कर किसी अन्य 10 भाषाओं में से किसी एक भाषा को एडिशनल सब्जेक्ट के रूप में रख सकते हैं। समिति द्वारा विषय पैटर्न में किये गये बदलाव के तहत अगर किसी छात्र ने कुल छह विषयों का चयन किया है और वह यदि प्रथम पांच विषय में से किसी एक विषय में फेल हो जाता है तो वह छठे विषय (अतिरिक्त विषय) के अंक से परिवर्तित कर दिया जाएगा। छठे विषय के अंक की गणना प्रथम पांच विषयों में की जायेगी, बशत्रे कि परिवर्तित करने के उपरांत पांच उत्तीर्ण विषयों में एक विषय हिन्दी या अंग्रेजी अवश्य हो।