घाटी की एक वीवीआईपी संसदीय सीट अनंतनाग में तीसरे चरण का मतदान 6 मई को होने जा रहा है। लेकिन पीडीपी प्रमुख एंव पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती यहां से चुनाव मैदान में हैं, उनकी मुश्किलें लगातार बढ़ी हुईं हैं। मालूम हो कि दक्षिण कश्मीर की इस एकमात्र संसदीय सीट अनंतनाग के जमीनी हालात इस कदर बेहद चिंताजनक है कि चुनाव आयोग को यहां तीन चरणों में मतदान कराना पड़ा। जबकि देश में 6 मई को पांचवें चरण का मतदान होना है। गौरतलब है कि इस संसदीय सीट से महबूबा मुफ्ती के अलावा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीए मीर, नेंका से पूर्व न्यायाधीश हसनैन मसूदी, भाजपा के सौफी युसुफ तथा पीपुल्स के चौधरी जफर अली समेत 18 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। बताते चलें कि ऐसा पहली बार हुआ है कि अनंतनाग संसदीय सीट पर चुनाव आयोग को तीन चरणों में मतदान कराने का फैसला लेना पड़ा। हालांकि दक्षिण कश्मीर का यह समूचा इलाका पीडीपी का खासा प्रभाव क्षेत्र रहा है। लेकिन अब लगता है कि पीडीपी को वोटों के लाले पड़ रहे हैं। जिसकी एक मिसाल गत 23 अप्रैल को प्रथम चरण के जिला अनंतनाग के मतदान में महबूबा मुफ्ती के गृह क्षेत्र बिजबिहाडा में सिर्फ 2.03 फीसदी मतदान हुआ। इस चरण में कुल मतदान 13.63 प्रतिशत रहा। जबकि दूसरे चरण के जिला कुलगाम में हुआ मतदान महज 10.03 फीसदी रहा। सूत्रों के मुताबिक पीडीपी के खासे प्रभाव वाले मतदान केंद्रों पर बेहद कम मतदान हुआ। अब 6 मई को होने जा रहे जिला पुलवामा व शोपियां के तहत 6 विधानसभा सीटों पर होने वाले मतदान पर भी कम मतदान होने का खतरा मंडरा रहा है। जिसकी एक अहम वजह अलगाववादी नेताओं के साथ साथ जमायत-ए- इस्लामी द्वारा चुनाव के बहिष्कार की अपील की गई है। वहीं आज सोशल मीडिया पर हिजबुल मुजाहिदीन के कथित तौर पर जिला पुलवामा व शोपियां इलाके में उर्दू भाषा में लगाए गए पोस्टर है, जिनमें मतदान में भाग न लेने की धमकी दी गई है। इस पोस्टर की बावत राष्ट्रीय सहारा ने कश्मीर पुलिस निरिक्षक एसपी पाणी से संपर्क करने की कोशिश की, परंतु वह उपलब्ध नहीं हो पाए। जिन 6 विधानसभा क्षेत्रों में तृतीय चरण का मतदान होना है, वह त्राल, पंपोर, पुलवामा, राजपोरा, वाची तथा शोपियां हैं। इन सीटों पर चुनाव में खड़े सभी प्रत्याशी प्रचार में जुटे हैं। लेकिन सभी को मतदान को लेकर अभी से चिंता होने लगी है कि संभवत: यहां भी मतदान कहीं कम न हो। गौरतलब है कि आतंकवाद की काली छाया इन इलाकों में भी पसरी हुई है। सुरक्षाबलों की भारी तैनाती के बावजूद मतदाताओं को भी अलगावादियों, जमायत-ए-इस्लामी तथा आतंकियों द्वारा चुनाव में भाग न लेने का डर सता रहा है। चुनाव विशलेषकों का मानना है कि कम मतदान के लिए यहां के राजनीतिज्ञ भी प्रमुख तौर पर जिम्मेदार हैं। बहरहाल, जिस पीडीपी प्रमुख एंव पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के कारण यह संसदीय सीट अनंतनाग वीवीआईपी सीट के तौर देखी जा रही है, इसके नतीजे विषेशकर पीडीपी व महबूबा मुफ्ती के लिए एक वजूद की लड़ाई से कम नहीं होंगे।
सभी प्रवासी और आरएसएस एजेंट घाटी छोड़ दो या मौत का सामना करने के लिए तैयार रहो……..
आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-इस्लाम द्वारा एक पोस्टर जारी कर कश्मीरी पंडितों को धमकी देने की खबर है। लश्कर-ए-इस्लाम ने कश्मीरी पंडितों...