टिकट को लेकर लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव का रुख बगावती है. आरजेडी उम्मीदवार के खिलाफ ही वे रैली कर रहे हैं. वे मानने को तैयार नहीं हैं. उधर अली अशरफ फातमी भी टिकट नहीं मिलने को लेकर मायूस हो गए. बाद में उन्हें पार्टी ने छह साल के लिए निष्कासित कर दिया तो उन्होंने आरजेडी पर सवाल खड़े कर दिए.
लोकसभा चुनाव हो रहे हैं और आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव जेल में है. खुद उनके मुताबकि 44 सालों में ये चुनाव पहला जिसमें वे मौजूद नहीं हैं. ऐसे में इसका असर उनकी पार्टी और परिवार पर साफ तौर पर देखने को मिल रहा है. बिहार में तेजस्वी यादव अपने पिता लालू यादव की गैरमौजूदगी में आरजेडी की कमान संभाले हुए हैं. अपनी पार्टी के बेहतर प्रदर्शन के लिए वे एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे है. दूसरी तरफ उनके बड़े भाई ही इस राह में मुश्किल खड़े कर रहे हैं. वे बगावत पर उतरे हुए हैं. पार्टी के लोग भी इस मामले पर खुलकर नहीं बोल रहे हैं. पार्टी ने विरोधियों के हराने के जो चक्रव्यूह बनाया है उसे अपने ही कमजोर कर रहे हैं.
दरअसल तेजप्रताप यादव चाहते थे कि शिवहर और जहानाबाद सीट से उनके उम्मीदवार को टिकट दिया जाए. इसके अलावा सारण लोकसभा सीट से उनके ससुर चंद्रिका राय को टिकट देने के फैसले का भी उन्होंने विरोध किया. जब पार्टी ने तेजप्रताप की नहीं सुनी तो उन्होंने बगावत कर दी. लालू-राबड़ी मोर्चा के तहत शिवहर से अंगेश सिंह और जहानाबाद से चंद्र प्रकाश यादव को मैदान में उतार दिया.
शिवहर से आरजेडी के सैयद फैसल अली उम्मीदवार हैं तो वहीं जहानाबाद से सुरेंद्र यादव को आरजेडी ने टिकट दिया है. कहा जाता है सुरेंद्र यादव से तेजप्रताप के रिश्ते ठीक नहीं है. तेजप्रताप ने सुरेंद्र यादव को आरएसएस का एजेंट बताया. इतना ही नहीं उन्होंने आरोप लगाया कि सुरेंद्र यादव हथियार का सौदागर है. तेजप्रताप यादव का कहना है कि लालू यादव के मौजूद नहीं होने की वजह से गलत लोगों टिकट दिया गया है.
उधर टिकट नहीं मिलने की वजह से सीनियर नेता अली अशरफ फातमी की भी नाराजगी देखने को मिली. बाद में पार्टी ने छह साल के उन्हें निष्कासित कर दिया. बीएसपी के टिकट पर उन्होंने मधुबनी से नामांकन दाखिल किया लेकिन बाद में अपना नाम वापस ले लिया. फातमी ने आरजेडी पर सवाल उठाते हुए कहा था कि यह कैसा नियम है कि तेजप्रताप यादव खुलेआम पार्टी से बगावत कर अपना उम्मीदवार घोषित करते हैं और जहानाबाद में अपने उम्मीदवार के पक्ष में चुनाव प्रचार करते हैं लेकिन पार्टी की कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं होती.
खुद लालू यादव ने अपनी चिट्ठी में सीट बंटवारे का जिक्र करते हुए कहा था कि गठबंधन में कई दल हैं इसलिए सीट बंटवारे में सबका ध्यान रखना पड़ा है. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि इन बातों का पार्टी पर क्या असर पड़ता है.