भारत-पाकिस्तान तनातनी के बीच तीन मार्च को गांधी मैदान में होने वाली संकल्प रैली पर पूरे देश की निगाहें लग गई हैं। पुलवामा में आतंकवादी हमले के बाद जो देश में हालात पैदा हुए हैं उसके बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सबसे विशाल सभा पटना के गांधी मैदान में होने जा रही है। प्रधानमंत्री पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान से संकल्प रैली के जरिए एक तीर से कई निशाने साधेंगे।ताजा हालात में विंग कमांडर अभिनंद के रिहा करने की सूचना मात्र से संकल्प रैली को काफी बल मिल गया है। भाजपा समेत एनडीए के घटक दल जदयू व लोजपा में भी जर्बदस्त उत्साह है। पूरे प्रदेश में भी नयी परिस्थितियों को लेकर खासा उत्साह देखा जा रहा है। प्रदेश भाजपा ने तो यहां तक कह दिया है कि तीन मार्च की रैली में प्रदेश की जनता प्रधानमंत्री का अभिनंदन करेगी। लिहाजा नए माहौल में गांधी मैदान में संकल्प रैली का आगाज होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए पटना का गांधी मैदान काफी शुभ भी माना जाता है। 2014 के लोकसभा चुनाव के पहले 27 अक्टूबर, 2013 को नरेन्द्र मोदी ने इसी मैदान से हुंकार रैली की थी। इस रैली के बाद उनके लिए दिल्ली की राह आसान हो गयी थी। उस समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनडीए के साथ नहीं थे। अब प्रधानमंत्री के साथ मंच पर जदयू के मुखिया और प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी रहेंगे। साथ में लोक लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान भी रहेंगे। खास है कि प्रधानमंत्री की अगुवाई में पूरे सोशल इंजीनियरिंग के साथ संकल्प रैली आकार लेगी। तीन मार्च की एनडीए की रैली से कई निशाने सधेंगे। भाजपा का भी मकसद इस रैली के एक तीर से कई निशाना साधने का है। बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीटें हैं। साथ ही बिहार के एक ओर उत्तर प्रदेश तो दूसरी ओर पश्चिम बंगाल है। बिहार, उत्तरप्रदेश (80) व पश्चिम बंगाल (42) को मिलाकर लोकसभा की कुल 162 सीटें हैं। देश के कुल 545 लोकसभा सीटों में 162 काफी मायने रखती हैं। देश की करीब 25 फीसद सीटों को ध्यान में रखकर गांधी मैदान में संकल्प रैली का आयोजन किया गया है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए ने प्रदेश की कुल 40 सीटों में 31 सीटें लाकर विरोधी दलों की हवा निकाल दी थी। इस चुनाव में भाजपा को 29.40 प्रतिशत मत मिले थे, जबकि लोजपा को 6.40 प्रतिशत मत मिले थे। उस समय की एक अन्य साथी रालोसपा को 3 फीसद मत मिले थे। इस तरह वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को करीब 39 प्रतिशत से अधक मत मिले थे। नयी परिस्थितियों में एनडीए के साथ रालोसपा नहीं है पर उसके साथ जदयू जुट गया है। यदि रालोसपा के तीन फीसद मत हटा दिए जाएं तो जदयू के करीब 16 फीसद मत एनडीए को और मजबूत बना रहे हैं। मतों के गणित के हिसाब से एनडीए का मत प्रतिशत 51 तक पहुंच जा रहा है।
राज्यसभा चुनाव में एनडीए को 8 सीटों का नुकसान, यूपीए को 3 सीटों पर होगा फायदा!
राज्यसभा की 59 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, जिसमें से 57 सीट पर 10 जून को और दो सीटों...