बिहार में बाल मजदूरी और मानव तस्करी की समस्या को समाप्त करने के लिए बिहार और राजस्थान की सरकार ने अंतरराज्यीय कार्य समझौते की घोषणा की है। यह घोषणा प्रयास जुवेनाइल एड सेंटर (जेएसी) ने और राज्य सरकार के श्रम विभाग की ओर से पटना में आयोजित कार्यशाला में की गयी। शनिवार को आयोजित इस कार्यशाला का उद्देश्य राजस्थान और बिहार के बीच अंतरराज्यीय समन्वय पर र्चचा एवं विचार-विमर्श करना था। ताकि बाल मजदूरी और तस्करी जैसी घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके। ऐसे बच्चों को बचाये जाने के बाद उन्हें उनके गृह राज्य में वापस लाने के लिए प्रभावी समाधान विकसित किया जाये। अधिकारियों ने बिहार और राजस्थान सरकारों के बीच अंतरराज्यीय कार्य समझौते की भी घोषणा की, ताकि इस अपराध के पीड़ितों का राज्य आगमन एवं पुनर्वास सुनिश्चित हो सके। इस मौके पर श्रम आयुक्त गोपाल मीणा ने कहा कि ‘‘ हमें खुशी है कि बिहार और राजस्थान की सरकारों के बीच अब प्रभावी कार्यनीति मौजूद है, जिससे हमारे बच्चों की सुरक्षा हो सकती है और उन्हें उचित तरीके से वापस उनके घर पहुंचाया जा सकता है। हमें हमारी सरकारों के सभी उच्च अधिकारियों सेबड़ी उम्मीदें हैं कि वे इस कार्य नीति को सफलतापूर्वक क्रियान्वित करने की दिशा में आवश्यक भूमिका निभाते रहेंगे। राजस्थान और बिहार के बीच अंतर राज्य समन्वय पर घोषणा बिहार सरकार द्वारा राजस्थान को भेजी जाएगी और आने वाले दिनों में इसका संचालन होगा। वहीं राजस्थान के अतिरिक्त श्रम आयुक्त सीबीएस राठौर ने कहा कि राजस्थान सरकार को बिहार सरकार के साथ मिलकर काम करने की खुशी है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि बचाये गये बच्चों का ध्यान रखा जा सके। उनका फॉलोअप रखा जा सके। उन्हें उचित मुआवजा मिल सके जिसके वो हकदार हैं, और हम दोनों ही राज्यों में अपराधियों के खिलाफ सख्ती से कदम उठा सकें। मैं व्यक्तिगत और आधिकारिक रूप से कह रहा हूं कि इस मिशन में सभी सरकारी अधिकारी मिल कर काम करें। इस समझौते के तहत जारी किये गये दिशा-निर्देशों में श्रम, सामाजिक न्याय, पुलिस व अन्य सहित विभिन्न विभागों की भूमिकाएं और जिम्मेदारियां स्पष्ट रूप से परिभाषित की गयी हैं। इसका उद्देश्य रोकथाम से लेकर बचाव, पुनर्वास से लेकर अंतिम रूप से तस्करों और बाल मजदूरों को गलत तरीके से काम पर रखने वाले नियोजकों पर मुकदमे तक हर चरण पर व्यापक रूप से कार्यवाही करना है। गौरतलब है कि राजस्थान के जयपुर के विभिन्न कारखानों में दस हजार से अधिक बच्चे बाल मजदूर के रूप में काम कर रहे हैं। यह बच्चे एक जोखिम भरे वातावरण में चूड़ियां, जड़ीदार कपड़े और पॉलिश किये हुए रत्न बनाने के कामों में लगे हुए हैं। इन कारखानों में काम करने के लिए तस्करी किये गये सभी बच्चों में से 20 प्रतिशत बच्चे बिहार से लाये गये हैं। लगभग 15-20 बच्चों की तस्करी हर रोज हो रही है। वर्ष 2014 के बाद से इस दिशा में कोई भी कानूनी कार्रवाई नहीं हुई है। इस अपराध से निपटने के लिए हाल ही में राजस्थान में विभिन्न संगठनों एवं विभागों के समावेश वाली एक पहल चाइल्ड लेबर फ्री जयपुर शुरू की गयी। प्रयास इस पहल के मुख्य भागीदारों में से एक है, जो सरकारी संस्थाओं एवं अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर बच्चों को आसानी से बिहार वापस ले जाने की दिशा में काम करेगा।
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम के कई ठिकानों पर सीबीआई ने छापा मारा है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने...