रैली सुपर हिट रही,हिट रही या ..। यह डिबेट का मुद्दा पक्ष-विपक्ष का विषय है। लेकिन यह सच है कि बिहार में हाशिए पर चली गयी कांग्रेस में अब जान गयी। अब तक राजद का पिछलग्गू बनी कांग्रेस ने करीब तीन दशक बाद अपने पैर पर खड़ा होने का साहस किया है। रैली में भीड़ को लेकर पार्टी की ताकत का पैमाना तय किया जाता रहा है। लेकिन कांग्रेस को उस कोण से जोड़ा जाना उचित नहीं है। जिस दल का जनाधार दूसरे पर आश्रित रहा हो, कार्यकर्ता बिल्कुल निराश हो गये हों और बिहार के नेता बिल्कुल रबर स्टॉम्प बन गये हों, उस दल द्वारा रैली कर इतनी भीड़ जुटा देने के लिए बधाई दी जानी चाहिए। कांग्रेस के एक विधायक की बात माने तो महज यह शुरुआत है। यह सच्चाई भी है जिस ढंग से भाजपा, जदयू के नाराज नेताओं का झुकाव कांग्रेस की तरफ हो रहा है, कांग्रेस एक बार फिर बिहार में अपने पैर पर न खड़ा हो जाये। कई दिग्गज नेता लाइन में भी खड़े हैं। बहरहाल, कांग्रेस ने मोदी के बहाने ही साफ कर दिया है कि कांग्रेस अब बैकफुट पर नहीं फ्रंटफुट पर खेलेगी। महागठबंधन के लिए भी यह मैसेज साफ है। यही कारण है कि कांग्रेस अब लोकसभा सीट बंटवारे को लेकर राजद पर दबाव बनाये हुए है। फिलहाल कांग्रेस गठबंधन की राजनीति से दूर होकर फ्रंट फुट पर नहीं आयेगी। इसका खुलासा राहुल गांधी ने रैली में साफ कर दिया है। राहुल जानते हैं कि भाजपा गठबंधन के सामने वे किसी भी हालात में अकेले चना भाड़ नहीं फोड़ सकता है। राहुल का निशाना सबसे ज्यादा अपने धुर विरोधी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आसपास ही रहा। राहुल अपनी अन्य सभाओं में जो बोलते रहे हैं,यहां भी बोले। खास बात यह रही कि बिहार की नब्ज को भी टटोलने की भी कोशिश की। उन्होंने बेरोजगारी की बात की। जिसे रैली में आये लोगों ने करतल ध्वनि से स्वागत किया। किसानों के कर्ज माफी की घोषणा भी खूब भायी। जिसमें उन्होंने कहा कि उनकी केन्द्र में सरकार बनते ही सभी किसानों के कर्ज माफ किये जायेंगे। बिहार में गिरती शिक्षा व्यवस्था पर भी हमला किया। कुल मिलाकर भीड़ चाहे जो आये राहुल ने भीड़ को लूटने की कोशिश जरूर की। राहुल को देखने के लिए लोग डटे रहे। भीड़ टस से मस नहीं हुई। राहुल अपने साथ तीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को साथ लाकर जनता को विास में भी लिया। इसके लिए तीनों मुख्यमंत्रियों ने राहुल गांधी की क्षमता का परिचय देकर अपने राज्य में किये जा रही उपलब्धियों को भी गिनवाया।
सत्ता में बैठी पार्टियां विरोधियों को निपटाने की परंपरा कायम रखी है…..
कुमार विश्वास जैसे–तैसे बच गए। आड़े वक्त पर हाईकोर्ट ने मदद की। गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। पंजाब के मुख्यमंत्री...