आजीवन कारावास की सजा मुकर्रर होने के बाद राजद के निलंबित विधायक राजवल्लव यादव की विधानसभा की सदस्यता भी खत्म हो गई। अब वे माननीय नहीं कहलायेंगे। राजबल्लभ ने नवादा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव में जीत हासिल की थी। उनकी सदस्यता समाप्त होने पर अब विधानसभा में राजद के विधायकों की संख्या 80 से घटकर 79 रह गयी है। मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में स्पष्ट किया है कि अगर किसी भी सांसद या विधायक को किसी भी आपराधिक मामले में दो साल से ज्यादा की सजा होती है, तो वैसी स्थिति में उसकी सदस्यता रद्द हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सभी निर्वाचित जनप्रतिनिधियों पर लागू है। इसी वर्ष 27 सितम्बर को रांची सीबीआई की विशेष अदालत ने चारा घोटाले में राजद के एक अन्य विधायक मो. इलियास हुसैन को चार साल कैद की सजा सुनाई, जिसकी वजह से उनकी विधानसभा की सदस्यता चली गई। राजद सुप्रीमो लालू यादव भी चारा घोटाला में दोषी करार दिये जाने के बाद चुनाव लड़ने के अधिकार से वंचित हो चुके हैं।
सांसदों एवं विधायकों के मुकदमे की सुनवाई के लिए पटना में गठित विशेष अदालत ने शुक्रवार को नाबालिग से दुष्कर्म मामले के आरोपी राष्ट्रीय जनता दल के निलंबित विधायक राजबल्लभ यादव को आजीवन कारावास की सजा सुनायी। विशेष न्यायाधीश परशुराम सिंह यादव ने इस मामले में दो अन्य दोषियों को भी उम्रकैद तथा तीन अन्य दोषियों को 10-10 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनायी। राजबल्लभ को भारतीय दंड विधान और लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो एक्ट) के तहत सजा सुनायी गयी। उसपर 60 हजार रुपये का आर्थिक दंड भी लगाया गया है। आरोपी सुलेखा देवी और राधा देवी को भी पॉक्सो एक्ट और अनैतिक देह व्यापार विशेष अधिनियम के तहत सश्रम उम्रकैद और 60-60 हजार रुपये आर्थिक दंड की सजा मिली है। इसी तरह तीन अन्य दोषियों छोटी देवी, संदीप सुमन उर्फ पुष्पांजय और टूसी देवी को दस वर्ष सश्रम कैद की सजा सुनाई गई और इन तीनों पर 40-40 हजार रुपये का आर्थिक दंड भी लगाया गया है। अदालत ने 15 दिसम्बर को राजबल्लभ समेत सभी छह आरोपियों को दोषी करार देते हुए सजा के ¨बदु पर सुनवाई के लिए शुक्रवार का दिन निर्धारित किया था। विशेष अदालत ने 3 दिसम्बर 2018 को मामले में अंतिम बहस की सुनवाई पूरी थी। इस मामले में लगभग ढाई महीने तक लगातार दोनों पक्षों की अंतिम बहस हुई थी। मालूम हो कि नाबालिग से दुष्कर्म मामले में करीब ढाई साल तक चले सुनवाई में करीब चार महीने तक गवाही चली। पहले इस मामले की सुनवाई बिहारशरीफ कोर्ट में हो रही थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश और एमपी-एमएलए कोर्ट के गठन के बाद सारे रिकॉर्डस ट्रायल के लिए पटना की विशेष अदालत को भेज दिये गये थे, जिसके बाद पटना में गठित विशेष अदालत ने मामले पर सुनवाई शुरू की। दोषी के सवाल पर करीब चार महीने तक बहस चली। इस दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से 22 और बचाव पक्ष की ओर से 15 गवाहों ने बयान दर्ज कराये। इसके बाद 15 दिसम्बर को पटना व्यवहार न्यायालय परिसर में स्थित विधायकों एवं सासंदों के के मुकदमे की सुनवाई के लिए गठित विशेष कोर्ट में विशेष न्यायाधीश परशुराम यादव ने पीड़ित पक्ष और आरोपियों के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुनाया। राजबल्लभको आईपीसी की धारा 376 एवं पॉक्सो की धारा 4 व 8 के तहत दोषी करार दिया गया है।