“थाना से चंद कदम दूर पटना में बिहार के बड़े व्यापारी की गोली मारकर हत्या! हर महीने बिहार में सैकड़ों व्यापारियों की हत्या हो रही है, लेकिन ‘जंगलराज’ नहीं कह सकते? क्योंकि इसे ही शास्त्रों में मीडिया प्रबंधन, परसेप्शन मैनेजमेंट और छवि प्रबंधन कहते है.” बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव यह बयान न केवल नीतीश सरकार की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाता है, बल्कि 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव के लिए तेजस्वी की सियासी रणनीति को भी बताता है. दरअसल, बिहार के बड़े व्यवसायी गोपाल खेमका की हत्या कोई साधारण घटना नहीं है क्योंकि यह 2018 में उनके बेटे गुंजन खेमका की हाजीपुर में हत्या के बाद खेमका परिवार की दूसरी त्रासदी है जिसका केस आज भी अनसुलझा है. इस घटना से बिहार के व्यवसायी वर्ग में काफी आक्रोश है और बीजेपी सांसद रामकृपाल यादव और जदयू के नेता श्याम रजक जैसे नेताओं ने भी पटना पुलिस की नाकामी पर सवाल उठाए हैं. अब जब सत्ता पक्ष की ओर से अपनी ही सरकार पर सवाल उठाए जा रहे तो तेजस्वी यादव भला ऐसे मौके को कहां छोड़ने वाले हैं. हाल के दिनों में तेजस्वी यादव लगातार बिहार में कानून व्यवस्था को लेकर लगातार सवाल उठाते रहे हैं, ऐसे में अब यह घटना उनके हाथ में नया सियासी हथियार साबित हो सकता है.
दरअसल, गोपाल खेमका के इस हाई-प्रोफाइल हत्याकांड से बिहार में व्यापारी समुदायमें डर और असुरक्षा की भावना घर कर गई है. तेजस्वी यादव इस डर को भुनाकर व्यापारियों और मध्यम वर्ग को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं. उनके बयान में ‘जंगलराज’ शब्द का इस्तेमाल नीतीश सरकार को उसी दाग से घेरने की रणनीति है, जिसे कभी राजद शासन पर लगाया जाता था. खास बात यह कि गांधी मैदान थाना यहां से 50 मीटर से भी कम दूरी पर है. वहीं, डीएम आवास भी इतनी ही दूरी के दायरे में है. पास में ही 100 मीटर के अंदर ही सिविल कोर्ट के जज का भी आवास है. घटनास्थल के विपरीत दिशा में निकट ही एसपी कार्यालय है. पटना के सबसे वीआईपी इलाके में से यह क्षेत्र माना जाता है, अगर यहां इस तरह से दुस्साहसिक तरीके से वारदात को अंजाम दिया गया है तो जाहिर तौर पर बिहार के दूर दराज के क्षेत्रों में कैसी स्थिति होगी, इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है.
तेजस्वी यादव की रणनीति
तेजस्वी यादव लंबे समय से नीतीश सरकार पर अपराध, बेरोजगारी और पलायन जैसे मुद्दों को लेकर हमलावर रहे हैं. गोपाल खेमका हत्याकांड ने उन्हें ‘रिवर्स जंगलराज’ का नैरेटिव गढ़ने का मौका दिया है. उनके सोशल मीडिया पोस्ट में ‘मीडिया प्रबंधन’ और ‘परसेप्शन मैनेजमेंट’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल यह बताता है कि वह नीतीश सरकार के सुशासन के दावों को न केवल चुनौती दे रहे हैं, बल्कि इसे एक सुनियोजित इमेज मैनेजमेंट का हिस्सा बता रहे हैं. तेजस्वी का यह बयान युवा और शहरी वोटरों को टारगेट करता है जो सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं और नीतीश सरकार की कथित नाकामियों से नाराज हैं. जाहिर है कि तेजस्वी यादव इसे व्यापक स्तर पर उठाकर महागठबंधन के लिए व्यापारी और मध्यम वर्ग के वोटरों को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं. हाल में ही तेजस्वी यादव ने पटना में वैश्य सम्मेलन का भी आयोजन किया था और व्यवसायी वर्ग के लिए कई योजनाओं की घोषणा की थी. इसके साथ ही सुरक्षा का वादा भी किया था.
तेजस्वी यादव की रणनीति में तीन प्रमुख पहलू उभरकर सामने आते हैं. पहला, यह कि तेजस्वी यादव इस हत्याकांड को नीतीश सरकार की कानून व्यवस्था की विफलता के प्रतीक के रूप में पेश कर रहे हैं. दूसरा, वह व्यापारी समुदाय की असुरक्षा को भुनाकर उन्हें अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहे हैं. तीसरा, वह ‘जंगलराज’ के पुराने आरोपों को पलटकर नीतीश सरकार पर ‘रिवर्स जंगलराज’ का ठप्पा लगाने की रणनीति अपना रहे हैं. उनकी हाल की प्रेस कॉन्फ्रेंस और बयानों में अपराध के आंकड़ों का हवाला देना-जैसे ’20 साल में 60 हजार हत्याएं और 25 हजार बलात्कार’-इसी रणनीति का हिस्सा है. तेजस्वी यादव ने सहरसा में पेट्रोल पंप लूट और अन्य घटना को भी उठाया है, ताकि अपराध को एक व्यापक मुद्दा बनाया जा सके.
नीतीश सरकार की चुनौती
बता दें कि नीतीश कुमार को बिहार में सुशासन बाबू के रूप में जाना जाता है, ऐसे में गोपाल खेमका हत्याकांड एक बड़ा झटका है. पुलिस का देरी से पहुंचना और कई पुराने केस पर कोई अंतिम कार्रवाई नहीं होना, सरकार की छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं. हालांकि, जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने तेजस्वी यादव के आरोपों को ‘वोट बैंक की राजनीति’ करार दिया है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं हो सकता. अगर पुलिस जल्द ही हत्यारों को पकड़ने में नाकाम रही तो तेजस्वी यादव का नैरेटिव और मजबूत होगा. वहीं, नीतीश सरकार की त्वरित कार्रवाई और जनता का भरोसा इस नैरेटिव को कमजोर भी कर सकता है. लेकिन, इतना तय है कि बिहार की सियासत अब इस हत्याकांड के इर्द-गिर्द और गर्म होने वाली है, क्योंकि ‘रिवर्स जंगलराज’ के रूप में तेजस्वी यादव के हाथ में नया हथियार लग गया है और वह चलाने से नहीं चूकेंगे.