6 फरवरी 2023 को तुर्किये में इस सदी का सबसे शक्तिशाली भूकंप आया, तो मदद के साथ सबसे पहले भारत के C-17 विमान पहुंचे थे। भारत ने नाम दिया- ऑपरेशन दोस्त।
22 अप्रैल को पहलगाम हमले के बाद भारत-पाक तनाव बढ़ा, तो उसी तुर्किये ने खुलकर पाकिस्तान का समर्थन किया और भारत के खिलाफ इस्तेमाल होने वाले ड्रोन्स और हथियार भेजे।
भारत ने जिसे ‘दोस्त’ समझा, उसने खुलकर पाकिस्तान का साथ क्यों दिया और क्या भारत के बॉयकॉट से तुर्किये सुधर जाएगा; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में…
सवाल-1: भारत ने कब-कब तुर्किये को दोस्त समझकर मदद की? जवाब: भारत ने 1948 में तुर्किये के साथ डिप्लोमैटिक रिश्ते शुरू किए और राजधानी अंकारा में अपना दूतावास खोला। तुर्किये को कपास, चाय और मसाले एक्सपोर्ट करना शुरू किया। 1950 में ‘मैत्री संधि’ पर हस्ताक्षर किए।
2009 में तुर्किये ने पहली नैनो सैटेलाइट ITUpSAT-1 बनाई, जिसे स्पेस में नई टेक्नोलॉजी पर रिसर्च करना, पृथ्वी की तस्वीरें लेना और डेटा इकट्ठा करने के लिए भेजा जाना था। इस लॉन्च में भारत ने तुर्किये की मदद की।
6 फरवरी 2023 को तुर्किये और सीरिया में 7.8 तीव्रता का भयानक भूकंप आया। इस आपदा में 50 हजार से ज्यादा लोग मारे गए। करीब 1.60 लाख इमारतें ढह गईं, जिससे करीब 15 लाख लोग बेघर हो गए। भारत फौरन तुर्किये की मदद को आगे आया और ‘ऑपरेशन दोस्त’ शुरू किया। इसके तहत…
- NDRF के 50 और भारतीय सेना के 250 जवानों की टीमें तुर्किये भेजीं। यह टीमें दिन-रात मलबे में फंसे लोगों को बचाने में लगी रहीं।
- इंडियन एयरफोर्स के 7 विमान भेजे। इनमें 6 C-17 में राहत सामग्री और 1 C-130J सुपर हरक्यूलिस विमान में मेडिकल उपकरण थे। भारत ने 140 टन से ज्यादा राहत सामग्री भेजी।
- मरीजों के इलाज के लिए दवाइयां, सिरिंज पंप, ECG मशीनें, एक्स-रे मशीनें, वेंटिलेटर और सर्जरी का सामान भेजा।
- इसके अलावा कंबल, टेंट, कपड़े, ड्रिलिंग मशीनें, बचाव उपकरण, बिजली जनरेटर और खाने का सामान भेजा गया।
- भारत ने तुर्किये में 30 बिस्तरों वाला फील्ड हॉस्पिटल भी बनाया, जिसमें क्रिटिकल केयर एक्सपर्ट, सर्जन और डॉक्टर समेत 99 लोग थे। इस अस्पताल में लगभग 4 हजार मरीजों का इलाज किया।
भारत की मदद के बावजूद तुर्किये का झुकाव कैसे पाकिस्तान की तरफ ही रहा?
2003 में तुर्किये का प्रधानमंत्री बनने के बाद रिचप तैयब एर्दोगन अब तक 10 बार पाकिस्तान का दौरा कर चुके हैं, जबकि G20 के अलावा सिर्फ 2 बार भारत आए हैं। 2015-19 से 2020-24 के बीच तुर्किये का पाकिस्तान को हथियार निर्यात करीब 103% बढ़ गया है। यह लाजमी है कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए ही हथियार खरीदता है।
तुर्किये ने पाकिस्तान की नेवी के मॉडर्नाइजेशन में भी मदद की है। दोनों देशों की नेवी साथ में डिफेंस एक्सरसाइज भी करती हैं। जबकि भारत और तुर्किये ने कभी ऐसी कोई एक्सरसाइज नहीं की है।
कश्मीर के मुद्दे पर तुर्किये ने हमेशा से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान का समर्थन किया है। तुर्किये ने 2019 में भारत के धारा 370 हटाने का भी विरोध किया था। इसके बाद से लगातार तुर्किये यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली (UNGA) में कश्मीर का मुद्दा उठाता आया है।
पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में 6-7 मई की रात भारत ने ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया, तो तुर्किये खुलकर पाकिस्तान के साथ दिखा। तुर्किये के राष्ट्रपति एर्दोगन ने पाकिस्तान के PM शहबाज शरीफ से फोन पर कहा-
मैं हमलों में जान गंवाने वाले अपने भाइयों के लिए अल्लाह से रहम की दुआ करता हूं और पाकिस्तान के भाईचारे वाले लोगों और देश के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं।
इसके साथ ही उन्होंने पाकिस्तान के पहलगाम हमले की अंतरराष्ट्रीय जांच की सिफारिश का भी समर्थन किया। 10 मई को सीजफायर के बाद शहबाज शरीफ ने एर्दोगन को मदद करने के लिए शुक्रिया अदा किया।
जवाब में X पर एर्दोगन ने लिखा- ‘तुर्किये-पाकिस्तान जैसा भाईचारा दुनिया में बहुत कम देशों में मिलता है। यह सच्ची दोस्ती के बेहतरीन उदाहरणों में से एक है। हम पहले की तरह भविष्य में भी पाकिस्तान के अच्छे और बुरे समय में साथ खड़े रहेंगे। मैं अपने मित्र और भाई पाकिस्तान को अपने हार्दिक स्नेह के साथ बधाई देता हूं।’
कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि तुर्किये ने पाकिस्तान को करीब 350 ड्रोन और उन्हें चलाने के लिए ऑपरेटर भेजे। 4 मई 2025 को तुर्किये नौसेना का युद्धपोत TCG बुयुकडा (F-512) पूरे बेड़े के साथ पाकिस्तान के कराची पोर्ट पर भेज दिया।
भारत में तुर्किये का बॉयकॉट कैसे बढ़ता जा रहा है?
सोशल मीडिया पर लोग तुर्किये के बहिष्कार की मांग कर रहे हैं और #BoycottTurkey ट्रेंड कर रहा है। भारत सरकार ने तुर्किये के सरकारी मीडिया चैनल TRT World के ट्विटर अकाउंट को ब्लॉक कर दिया। हालांकि, थोड़ी ही देर बाद बैन हटा भी लिया गया।
अरबपति हर्ष गोयनका ने एक्स पर लिखा,
पिछले साल भारतीयों ने पर्यटन के जरिए तुर्किये और अजरबैजान को 4,000 करोड़ रुपए दिए। इससे नौकरियां पैदा हुईं। उनकी अर्थव्यवस्था, होटल, शादियां, उड़ानें बढ़ीं। आज, पहलगाम हमले के बाद दोनों पाकिस्तान के साथ खड़े हैं। भारत और दुनिया में बहुत सी खूबसूरत जगहें हैं। कृपया इन दो जगहों पर न जाएं। जय हिंद।
MakeMyTrip के मुताबिक पिछले एक हफ्ते में तुर्किये-अजरबैजान जाने वाले यात्रियों के कैंसिलेशन 250% बढ़े हैं।
भारतीय व्यापारी तुर्की संगमरमर और तुर्की सेब का भी बहिष्कार कर रहे हैं। ANI के अनुसार, भारत के संगमरमर हब उदयपुर ने तुर्की से आयात पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
उदयपुर मार्बल प्रोसेसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सुराना ने बताया, ‘हमने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर तुर्की मार्बल पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। व्यापार देश से बड़ा नहीं हो सकता।’
इसके अलावा 12 मई को जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) ने तुर्किये की इनोनु यूनिवर्सिटी के साथ MoU खत्म कर दिया। JNU ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, ‘राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से, JNU और इनोनू यूनिवर्सिटी, तुर्किये के बीच समझौता ज्ञापन को अगले आदेश तक निलंबित कर दिया गया है। JNU राष्ट्र के साथ खड़ा है।’
केंद्र सरकार ने 15 मई को तुर्किये की कंपनी सेलेबी एविएशन की सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी। यह दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु सहित प्रमुख भारतीय हवाई अड्डों पर हाई सिक्योरिटी ऑपरेशन संभालती है।
तुर्किये को भारत से रिश्ते बिगड़ने की फिक्र क्यों नहीं है?
भारत ने तुर्किये की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया, लेकिन उसे भारत से रिश्ते बिगड़ने की फिक्र नहीं रही। इसकी 3 बड़ी वजहे हैं…
1. भारत और तुर्किये में व्यापार न के बराबर है
- भारत अपने कुल निर्यात का सिर्फ 1.5% तुर्किये से करता है। 2023-24 में जहां भारत ने तुर्किये को 6.65 बिलियन डॉलर, यानी 56 हजार करोड़ रुपए का निर्यात किया था, वह 2024-25 में घटकर 5.2 बिलियन डॉलर, यानी करीब 44 हजार करोड़ रुपए हो गया था।
- इसी तरह भारत के कुल आयात में भी तुर्किये की हिस्सेदारी सिर्फ 0.5% है। 2023-24 में जहां भारत ने तुर्किये से 3.78 बिलियन डॉलर, यानी करीब 32 हजार करोड़ रुपए का आयात किया था, अप्रैल-फरवरी 2024-25 में यह घटकर 2.84 बिलियन डॉलर, यानी करीब 24 हजार करोड़ रुपए रह गया।
2. तुर्किये को चीन और रूस का सपोर्ट
- तुर्किये को भारत से रिश्ते बिगड़ने का डर इसलिए भी नहीं है, क्योंकि उसके रूस और चीन जैसे सुपर पावर्स से अच्छे संबंध हैं। तुर्किये अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए रूस पर निर्भर है। 2023 में तुर्किये ने रूस को 11 बिलियन डॉलर, यानी करीब 94 हजार करोड़ रुपए का निर्यात किया था। इससे पहले 2019 में तुर्किये ने S-400 मिसाइल भी खरीदी, जिसके बाद उसे NATO का विरोध भी झेलना पड़ा।
- तुर्किये ने चीन के साथ भी अपने रिश्ते मजबूत किए हैं। चीन की इलेक्ट्रिक कार कंपनी BYD ने 2024 में तुर्किये में अपनी फैक्ट्री लगाने के लिए 1 बिलियन डॉलर, यानी करीब 8.5 हजार करोड़ का निवेश किया था। पिछले साल तुर्किये ने चीन से व्यापार बढ़ाने के लिए 2 हजार चीजों की लिस्ट दी थी जो चीन उनसे आयात कर सकता है।
3. भारत हिंदू बहुल, जबकि तुर्किये का फोकस इस्लामिक देश
- तुर्किये और पाकिस्तान के बीच अच्छे रिश्ते इसलिए भी हैं, क्योंकि दोनों ही इस्लामिक देश हैं। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, लेकिन यहां हिंदू आबादी बहुतायत में रहती है।
- तुर्किये इस्लामिक देशों को साथ जोड़ना चाहता है और उनसे अच्छे संबंध बना रहा है। भारत इस कैटेगरी में नहीं आता। इसलिए उसे भारत के साथ रिश्तों की कोई परवाह नहीं है।

आखिर भारत किस तरह तुर्किये को बड़ा सबक सिखा सकता है?
विदेश मामलों के जानकार प्रोफेसर राजन कुमार कहते हैं, ‘तुर्किये को सबक सिखाने के लिए उसके अंदर के मुद्दों को बाहर लेकर आना होगा। भारत को कूटनीतिक रणनीति अपनानी होगी। जैसे तुर्किये में ह्यूमन राइट्स वॉयलेशन बहुत ज्यादा बढ़ गया है। भारत इस मुद्दे को यूनाइटेड नेशन्स यानी UN के सामने मजबूती से रख सकता है। इससे तुर्किये को सीधे तौर पर चोट पहुंचाई जा सकती है।’
राजन कुमार कहते हैं, ‘साइप्रस का मुद्दा तुर्किये की सबसे बड़ी कमजोरी बन चुका है। तुर्किये और साइप्रस के बीच की जंग दशकों पुरानी है, इसके बावजूद तुर्किये इसे खत्म नहीं कर पा रहा। भारत इस मुद्दे के सहारे तुर्किये को सबक सिखा सकता है। इसके अलावा भारत आर्मेनिया और इजराइल जैसे तुर्किये के दुश्मन देशों का दोस्त है। जो तुर्किये को किसी भी तरह रास नहीं आते।’
इसके अलावा कुछ और तरीके हैं, जिनसे तुर्किये को चोट पहुंच सकती है…
1. तुर्किये टूरिज्म का बॉयकॉट करना: 2019 से 2025 तक करीब 11 लाख से ज्यादा भारतीय टूरिस्ट तुर्किये गए। टूरिज्म तुर्किये की GDP में 12% का योगदान करता है 10% लोगों को रोजगार देता है। तुर्किये हर साल करीब 3 हजार करोड़ रुपए भारतीय टूरिस्ट से कमाता है। बड़े पैमाने पर बॉयकॉट से तुर्किये पर असर पड़ेगा।
2. तुर्किये से इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट पर बैन लगाना: भारत तुर्किये को पेट्रोलियम, केमिकल्स और कपड़े एक्सपोर्ट करता है, जबकि तुर्किये से मशीनरी और ऑटोमोबाइल पार्ट्स इम्पोर्ट होते हैं। भारत इन सामानों को जापान या साउथ कोरिया जैसे देशों से खरीद सकता है। तुर्किये की इकोनॉमी को इससे छोटा ही सही, लेकिन डेंट जरूर लगेगा।
3. अंतरराष्ट्रीय मंचों पर तुर्किये का मुद्दा उठाना: भारत BRICS, G20 और संयुक्त राष्ट्र यानी UN जैसे मंचों पर तुर्किये की नीतियों पर सवाल उठा सकता है। जिस तरह 2024 में भारत ने BRICS में तुर्किये की सदस्यता का विरोध किया। इससे तुर्किये की अंतरराष्ट्रीय साख कमजोर होगी और वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलग-थलग पड़ जाएगा। भारत ने इससे पहले मलेशिया जैसे देशों को कूटनीतिक दबाव से चुप कराया है।
यह देखना अभी बाकी है कि भारत के इन कदमों से तुर्किये के राष्ट्रपति एर्दोगन अपना एंटी-इंडिया सुर बदलेंगे या नहीं!