ईसाई धर्म के शीर्ष धर्मगुरु पोप फ्रांसिस के निधन के बाद दुनिया भर से लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंच रहे हैं. वेटिकन के मुताबिक शुक्रवार तक तीन दिनों के दौरान लगभग 2.5 लाख लोग सेंट पीटर बेसिलिका पहुंचे और पोप फ्रांसिस को श्रद्धांजलि दी. सार्वजनिक दर्शन खत्म हो गया है और अब दुनिया भर के नेता उनके अंतिम संस्कार के लिए आने लगे. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों अंतिम दर्शन करने वालों में से एक थे. श्रद्धांजलि देने वाले कुल लोगों की संख्या पोप बेनेडिक्ट XVI के निधन के बाद आए 1.95 लाख लोगों से अधिक थी. पूरे दिन सेंट पीटर बेसिलिका की ओर जाने वाली सड़क भरी रही. पोप फ्रांसिस एक साधारण लकड़ी के ताबूत में लेटे हुए थे, लाल चासुबले, सफेद मिट्रे और काले जूते पहने हुए, उनकी उंगलियों के चारों ओर एक माला लिपटी हुई थी. पोप फ्रांसिस का अंतिम संस्कार शनिवार को स्थानीय समय के मुताबिक सुबह 10 बजे वेटिकन के सेंट पीटर्स बेसिलिका के सामने भव्य बारोक प्लाजा में होगा. भारतीय समयानुसार दोपहर 1.30 बजे अंतिम संस्कार होगा.
पोप फ्रांसिस के अंतिम संस्कार में शामिल होने पहुंची राष्ट्रपति मुर्मू
पोप फ्रांसिस अंतिम विदाई लाइव: पोप फ्रांसिस के राजकीय अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए वेटिकन सिटी पहुंचीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को दिवंगत पोप को श्रद्धांजलि अर्पित की. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर राष्ट्रपति के अकाउंट से किए गए एक पोस्ट में बताया गया, ‘राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वेटिकन सिटी में सेंट पीटर के बेसिलिका में परम पावन पोप फ्रांसिस को श्रद्धांजलि अर्पित की.’ इससे पहले, राष्ट्रपति मुर्मू अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के साथ पोप फ्रांसिस के राजकीय अंतिम संस्कार में भाग लेने के लिए वेटिकन सिटी पहुंचीं. प्रतिनिधिमंडल में अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन और गोवा विधानसभा के उपाध्यक्ष जोशुआ डी सूजा भी शामिल हैं.पोप फ्रांसिस का 21 अप्रैल को 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया था. अपनी यात्रा के दौरान, राष्ट्रपति मुर्मू शनिवार को पोप फ्रांसिस के राजकीय अंतिम संस्कार में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी और सरकार और भारत के लोगों की ओर से संवेदना व्यक्त करेंगी.
21 को हुआ था निधन
बता दें कि 21 अप्रैल को 88 साल की उम्र में बीमारियों के चलते पोप का निधन हुआ था। तीन दिन से पोप के पार्थिव शरीर को ताबूत में अंतिम दर्शन के लिए सेंट पीटर्स बेसिलिका में रखा है। पोप के अंतिम दर्शन के लिए लंबी कतारें लगी रहीं। तीन दिनों में करीब डेढ़ लाख लोगों ने अंतिम दर्शन किए।
कड़ी सुरक्षा के बीच अंतिम संस्कार
पोप के अंतिम संस्कार में कड़ी सिक्योरिटी तैनात की गई है। हजारों इटैलियन पुलिस, मिलिट्री और वेटिकन के स्विस गार्ड तैनात हैं। सैनिकों के पास बंदूकें हैं। इमारतों की छतों पर स्नाइपर्स और फाइटर जेट्स को स्टैंडबाई पर रखा गया है। सेंट पीटर्स बेसिलिका के अंदर और बाहर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बैरिकेड्स पहले ही लगाए जा चुके हैं और सिक्योरिटी चेक बढ़ा दिए गए हैं।
पोप फ्रांसिस कई महीनों से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। 14 फरवरी को रोम के जेमेली अस्पताल में भर्ती कराया था। पोप फेफड़ों में इन्फेक्शन के चलते अस्पताल में भर्ती थे। डबल निमोनिया भी था। अस्पताल में चिकित्सकों की निगरानी में उनका चला था। एक महीने से ज्यादा समय अस्पताल में बिताने के बाद 14 मार्च को उन्हें डिस्चार्ज कर दिया था। सोमवार(21 अप्रैल) को वेटिकन के कासा सांता मार्टा स्थित अपने निवास पर अंतिम सांस ली।
- पोप का जन्म 17 दिसम्बर 1936 को अर्जेंटीना के फ्लोरेंस शहर में हुआ था। पोप बनने से उन्हें जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो नाम से जाना जाता था। पोप फ्रांसिस के दादा-दादी तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी से बचने के लिए इटली छोड़कर अर्जेंटीना चले गए थे। पोप ने अपना ज्यादातर जीवन अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में बिताया है।
- 21 साल की उम्र में 1958 में जेसुइट समुदाय में शामिल हुए। 1969 में ब्यूनस आयर्स में पादरी बने। 1998 में ब्यूनस आयर्स के आर्कबिशप बने। 2001 में पोप जॉन पॉल ने फ्रांसिस को कार्डिनल बनाया। 2013 में रोमन कैथोलिक चर्च के 266वें पोप चुने गए।
पोप फ्रांसिस का अंतिम संदेश
पोप फ्रांसिस ने अपने आखिर संदेश में जरूरतमंदों की मदद करने, भूखों को खाना देने और विकास को बढ़ावा देने वाली पहलों को प्रोत्साहित करने की अपील की थी। ईस्टर पर जारी अपने संदेश में उन्होंने लिखा-‘मैं हमारी दुनिया में राजनीतिक जिम्मेदारी के पदों पर बैठे सभी लोगों से अपील करता हूं कि वे डर के आगे न झुकें। डर दूसरों से अलगाव की ओर ले जाता है। सभी जरूरतमंदों की मदद करने, भूख से लड़ने और विकास को बढ़ावा देने वाली पहलों को प्रोत्साहित करने के लिए उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करें।