बिहार के मुख्यमंत्री 74 साल के हो गए हैं। नीतीश कुमार के जन्मदिन को उनकी पार्टी जेडीयू ‘सुशासन दिवस’ के रूप में मना रही है। पार्टी के कार्यकर्ता पटना के राजवंशी नगर स्थित हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना कर जन्मदिन मनाएंगे। पूरे शहर में बधाई संदेश वाला पोस्टर लगाया गया है। जिस पर लिखा है, ‘2025 फिर से नीतीश कुमार।’
इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी समेत कई नेताओं ने उन्हें बधाई दी है। पीएम ने X पर लिखा…

बिहार के यशस्वी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी को उनके जन्मदिन पर शुभकामनाएं। उनके नेतृत्व में राज्य विकास के नए पथ पर अग्रसर हुआ है। ईश्वर उन्हें स्वस्थ एवं सुदीर्घ जीवन प्रदान करें।
वहीं, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने 20 साल के काम पर सवाल उठाते हुए तंज कसा है। सोशल मीडिया पर लिखा, ‘बिहार में 𝟏𝟓 साल पुरानी गाड़ी चलाने की अनुमति नहीं है, क्योंकि वो ज्यादा धुंधा फेंकती है। प्रदूषण जनता के लिए हानिकारक है। फिर 𝐍𝐃𝐀 की 𝟐𝟎 साल पुरानी जोड़-तोड़, पलटा-पलटी वाली खटारा सरकार क्यों चलेगी?

𝟐𝟎 वर्षों की नीतीश सरकार ने हर टोला-हर गांव में गरीबी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, अपराध और पलायन रूपी भयंकर प्रदूषण फैला दिया है। नीतीश-भाजपा सरकार ने दो पीढ़ियों का जीवन बर्बाद कर दिया। अब यह सरकार बिहारवासियों पर बोझ बन चुकी है। अब इसे बदलना अति आवश्यक है।
अब नया बिहार बनाना है- तेजस्वी
तेजस्वी ने आगे कहा, ‘बिहार के युवाओं ने ठान लिया है। अब 𝟐𝟎 साल पुरानी खटारा, जर्जर, बीमार और थकी हुई अविश्वसनीय नीतीश-𝐍𝐃𝐀 सरकार को हटाएगी। एक नई सोच, नए विजन, नए जोश और नयी दिशा वाली युवा एवं नौकरी-रोजगार को समर्पित विश्वसनीय जुनूनी सरकार को लाना है। नया बिहार बनाना है।
तेजस्वी यादव के पोस्ट पर बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने पलटवार किया है।

जन्मदिन पर अपने चाचा को बधाई दीजिए। तोहफा दीजिए, बद्दुआ नहीं। तेजस्वी की मानसिक स्थिति इन दिनों गड़बड़ा गई है। बिहार में स्थापित सुशासन और कानून का राज उन्हें नहीं दिख रहा है। जंगल राज के शूरवीरों का कुछ चल नहीं रहा है। इसलिए उनकी बेचैन आत्मा भटक रही है। आप और आपकी पार्टी अपने कारनामों के चलते जनता की नजर में गिर चुकी है। बिहार की जनता विकास की तेज रफ्तार को चाहती है।
जदयू सांसद संजय झा ने दी बधाई
जदयू सांसद संजय झा ने अपने अंदाज में बधाई देते हुए लिखा- ”जदयू के माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष, बिहार के जनप्रिय मुख्यमंत्री, नये बिहार के निर्माता, विकास, सुशासन और सामाजिक न्याय के पर्याय श्री नीतीश कुमार जी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई व अशेष शुभकामनाएं. ईश्वर आपको स्वस्थ-सानंद यशस्वी दीर्घ जीवन प्रदान करें तथा आपके कुशल नेतृत्व में बिहार विकास के नये शिखर को छूता रहे.”
मंगल पांडे ने बताया ‘विकास पुरुष’
बिहार सरकार के मंत्री मंगल पांडे ने नीतीश कुमार को विनम्र व कर्तव्यनिष्ठ व्यक्तित्व के धनी और विकास पुरुष बताया. उपेंद्र कुशवाहा ने बड़ा भाई कहकर बधाई दी.
इंजीनियर से बिहार के सीएम कैसे बने नीतीश कुमार
नीतीश कुमार समाजवादी राजनीति करने वाले नेता माने जाते हैं. अपने राजनीति के शुरुआती दिनों में वह राम मनोहर लोहिया, एसएन सिन्हा, कर्पूरी ठाकुर और वीपी सिंह के साथ जुड़े रहे. नीतीश कुमार ने 1974 और 1977 के बीच जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में हिस्सा लिया और सत्येंद्र नारायण सिन्हा की अध्यक्षता वाली जनता पार्टी में शामिल हो गए. बताया जाता है कि नीतीश कुमार ने राज्य के बिजली विभाग से नौकरी की पेशकश को ठुकराकर राजनीतिक रास्ता अपनाने का फैसला किया था, जो आज बिहार के सीएम हैं.
नीतीश कुमार ने साल 1985 में हरनौत से राज्य विधानसभा के लिए चुनाव लड़ा और पहली बार जीता. शुरुआती वर्षों में लालू प्रसाद यादव को वर्ष 1989 में बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में कुमार का समर्थन प्राप्त था, लेकिन बाद में नीतीश कुमार ने बाढ़ से अपनी पहली लोकसभा सीट जीतने के बाद 1996 में बीजेपी के प्रति अपनी निष्ठा बदल ली.
जनता दल अतीत में विभाजन से बच गया था जब कुमार और जॉर्ज फर्नांडिस जैसे नेताओं ने 1994 में समता पार्टी का गठन किया था, लेकिन 1997 में लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल बनाने के फैसले के बाद यह एक आधारहीन पार्टी बन गई. दूसरा विभाजन राबड़ी देवी के सत्ता में आने से पहले हुआ था, जिसके परिणामस्वरूप जनता दल में केवल दो नेता ही बचे थे. जिनमें शरद यादव और रामविलास पासवान थे.
साल 1999 के लोकसभा चुनावों में राष्ट्रीय जनता दल को बीजेपी+जदयू गठबंधन के हाथों झटका लगा. नया गठबंधन 324 विधानसभा क्षेत्रों में से 199 पर आगे निकल गया और व्यापक रूप से यह माना जाने लगा कि बिहार राज्य विधानसभा के आगामी चुनाव में लालू-राबड़ी शासन का अंत हो जाएगा. जदयू और बीजेपी कुछ सीटों पर एक दूसरे के खिलाफ लड़ रहे थे. परिणाम बीजेपी के लिए एक झटका था. राजद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. साल 2000 में नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने, लेकिन उन्हें सिर्फ सात दिनों में इस्तीफा देना पड़ा. तब 324 सदस्यीय सदन में एनडीए और सहयोगी दलों के पास 151 विधायक थे, जबकि लालू प्रसाद यादव के 159 विधायक थे. दोनों गठबंधन 163 के बहुमत के निशान से कम थे. नीतीश ने सदन में अपनी संख्या साबित करने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था.
साल 2000 में वह फिर से केन्द्रीय मंत्रीमंडल में कृषि मंत्री बने. मई 2001 2004 तक नीतीश कुमार बाजपेयी सरकार में केन्द्रीय रेलमंत्री रहे. 2004 के लोकसभा चुनावों में नीतीश ने बाढ़ और नालंदा से अपना पर्चा दाखिल किया, लेकिन वे बाढ़ की सीट हार गये थे. नीतीश कुमार नवंबर 2005 में राष्ट्रीय जनता दल की बिहार में 15 साल पुरानी सत्ता को उखाड़ फेंकने में सफल हुए और मुख्यमंत्री के रूप में उनकी ताजपोशी हुई. तब नीतीश कुमार बिहार के सीएम पद पर आसीन हैं.
बिहार के मुख्यमंत्री 74 साल के हो गए हैं। नीतीश कुमार के जन्मदिन को उनकी पार्टी जेडीयू ‘सुशासन दिवस’ के रूप में मना रही है। पार्टी के कार्यकर्ता पटना के राजवंशी नगर स्थित हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना कर जन्मदिन मनाएंगे। पूरे शहर में बधाई संदेश वाला पोस्टर लगाया गया है। जिस पर लिखा है, ‘2025 फिर से नीतीश कुमार।’
इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी समेत कई नेताओं ने उन्हें बधाई दी है। पीएम ने X पर लिखा…

बिहार के यशस्वी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी को उनके जन्मदिन पर शुभकामनाएं। उनके नेतृत्व में राज्य विकास के नए पथ पर अग्रसर हुआ है। ईश्वर उन्हें स्वस्थ एवं सुदीर्घ जीवन प्रदान करें।
वहीं, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने 20 साल के काम पर सवाल उठाते हुए तंज कसा है। सोशल मीडिया पर लिखा, ‘बिहार में 𝟏𝟓 साल पुरानी गाड़ी चलाने की अनुमति नहीं है, क्योंकि वो ज्यादा धुंधा फेंकती है। प्रदूषण जनता के लिए हानिकारक है। फिर 𝐍𝐃𝐀 की 𝟐𝟎 साल पुरानी जोड़-तोड़, पलटा-पलटी वाली खटारा सरकार क्यों चलेगी?

𝟐𝟎 वर्षों की नीतीश सरकार ने हर टोला-हर गांव में गरीबी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, अपराध और पलायन रूपी भयंकर प्रदूषण फैला दिया है। नीतीश-भाजपा सरकार ने दो पीढ़ियों का जीवन बर्बाद कर दिया। अब यह सरकार बिहारवासियों पर बोझ बन चुकी है। अब इसे बदलना अति आवश्यक है।
अब नया बिहार बनाना है- तेजस्वी
तेजस्वी ने आगे कहा, ‘बिहार के युवाओं ने ठान लिया है। अब 𝟐𝟎 साल पुरानी खटारा, जर्जर, बीमार और थकी हुई अविश्वसनीय नीतीश-𝐍𝐃𝐀 सरकार को हटाएगी। एक नई सोच, नए विजन, नए जोश और नयी दिशा वाली युवा एवं नौकरी-रोजगार को समर्पित विश्वसनीय जुनूनी सरकार को लाना है। नया बिहार बनाना है।
तेजस्वी यादव के पोस्ट पर बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने पलटवार किया है।

जन्मदिन पर अपने चाचा को बधाई दीजिए। तोहफा दीजिए, बद्दुआ नहीं। तेजस्वी की मानसिक स्थिति इन दिनों गड़बड़ा गई है। बिहार में स्थापित सुशासन और कानून का राज उन्हें नहीं दिख रहा है। जंगल राज के शूरवीरों का कुछ चल नहीं रहा है। इसलिए उनकी बेचैन आत्मा भटक रही है। आप और आपकी पार्टी अपने कारनामों के चलते जनता की नजर में गिर चुकी है। बिहार की जनता विकास की तेज रफ्तार को चाहती है।
जदयू सांसद संजय झा ने दी बधाई
जदयू सांसद संजय झा ने अपने अंदाज में बधाई देते हुए लिखा- ”जदयू के माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष, बिहार के जनप्रिय मुख्यमंत्री, नये बिहार के निर्माता, विकास, सुशासन और सामाजिक न्याय के पर्याय श्री नीतीश कुमार जी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई व अशेष शुभकामनाएं. ईश्वर आपको स्वस्थ-सानंद यशस्वी दीर्घ जीवन प्रदान करें तथा आपके कुशल नेतृत्व में बिहार विकास के नये शिखर को छूता रहे.”
मंगल पांडे ने बताया ‘विकास पुरुष’
बिहार सरकार के मंत्री मंगल पांडे ने नीतीश कुमार को विनम्र व कर्तव्यनिष्ठ व्यक्तित्व के धनी और विकास पुरुष बताया. उपेंद्र कुशवाहा ने बड़ा भाई कहकर बधाई दी.
इंजीनियर से बिहार के सीएम कैसे बने नीतीश कुमार
नीतीश कुमार समाजवादी राजनीति करने वाले नेता माने जाते हैं. अपने राजनीति के शुरुआती दिनों में वह राम मनोहर लोहिया, एसएन सिन्हा, कर्पूरी ठाकुर और वीपी सिंह के साथ जुड़े रहे. नीतीश कुमार ने 1974 और 1977 के बीच जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में हिस्सा लिया और सत्येंद्र नारायण सिन्हा की अध्यक्षता वाली जनता पार्टी में शामिल हो गए. बताया जाता है कि नीतीश कुमार ने राज्य के बिजली विभाग से नौकरी की पेशकश को ठुकराकर राजनीतिक रास्ता अपनाने का फैसला किया था, जो आज बिहार के सीएम हैं.
नीतीश कुमार ने साल 1985 में हरनौत से राज्य विधानसभा के लिए चुनाव लड़ा और पहली बार जीता. शुरुआती वर्षों में लालू प्रसाद यादव को वर्ष 1989 में बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में कुमार का समर्थन प्राप्त था, लेकिन बाद में नीतीश कुमार ने बाढ़ से अपनी पहली लोकसभा सीट जीतने के बाद 1996 में बीजेपी के प्रति अपनी निष्ठा बदल ली.
जनता दल अतीत में विभाजन से बच गया था जब कुमार और जॉर्ज फर्नांडिस जैसे नेताओं ने 1994 में समता पार्टी का गठन किया था, लेकिन 1997 में लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल बनाने के फैसले के बाद यह एक आधारहीन पार्टी बन गई. दूसरा विभाजन राबड़ी देवी के सत्ता में आने से पहले हुआ था, जिसके परिणामस्वरूप जनता दल में केवल दो नेता ही बचे थे. जिनमें शरद यादव और रामविलास पासवान थे.
साल 1999 के लोकसभा चुनावों में राष्ट्रीय जनता दल को बीजेपी+जदयू गठबंधन के हाथों झटका लगा. नया गठबंधन 324 विधानसभा क्षेत्रों में से 199 पर आगे निकल गया और व्यापक रूप से यह माना जाने लगा कि बिहार राज्य विधानसभा के आगामी चुनाव में लालू-राबड़ी शासन का अंत हो जाएगा. जदयू और बीजेपी कुछ सीटों पर एक दूसरे के खिलाफ लड़ रहे थे. परिणाम बीजेपी के लिए एक झटका था. राजद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. साल 2000 में नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने, लेकिन उन्हें सिर्फ सात दिनों में इस्तीफा देना पड़ा. तब 324 सदस्यीय सदन में एनडीए और सहयोगी दलों के पास 151 विधायक थे, जबकि लालू प्रसाद यादव के 159 विधायक थे. दोनों गठबंधन 163 के बहुमत के निशान से कम थे. नीतीश ने सदन में अपनी संख्या साबित करने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था.
साल 2000 में वह फिर से केन्द्रीय मंत्रीमंडल में कृषि मंत्री बने. मई 2001 2004 तक नीतीश कुमार बाजपेयी सरकार में केन्द्रीय रेलमंत्री रहे. 2004 के लोकसभा चुनावों में नीतीश ने बाढ़ और नालंदा से अपना पर्चा दाखिल किया, लेकिन वे बाढ़ की सीट हार गये थे. नीतीश कुमार नवंबर 2005 में राष्ट्रीय जनता दल की बिहार में 15 साल पुरानी सत्ता को उखाड़ फेंकने में सफल हुए और मुख्यमंत्री के रूप में उनकी ताजपोशी हुई. तब नीतीश कुमार बिहार के सीएम पद पर आसीन हैं.