भारत में मौजूदा समय में जिस बात पर सबसे ज्यादा बहस चल रही है, वह है बड़ी कंपनियों के मालिकों की तरफ से हर हफ्ते काम के घंटे बढ़ाने को लेकर दिए गए बयानों पर। एक के बाद एक कई व्यापारी और उद्योगपति इस मुद्दे पर अपनी राय रख रहे हैं। भारत में भी इस मुद्दे पर बहस पिछले दो वर्षों से जारी है। इसकी शुरुआत हुई थी इंफोसिस के मुखिया नारायणमूर्ति के बयान से, जिन्होंने कहा था कि युवाओं को हर हफ्ते अपने काम में 70 घंटे तक देने चाहिए। इसके बाद कई और बड़े चेहरों ने काम के घंटों को लेकर बयान दिए हैं। इनमें ताजा नाम लार्सेन एंड टूब्रो कंपनी के प्रमुख- एसएन सुब्रमण्यम का भी जुड़ गया है।
ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर भारत में लोग वास्तव में हर हफ्ते कितने घंटे काम में देते हैं? भारत में मिलने वाली तनख्वाह और काम के घंटों की तुलना में बाकी देश कहां खड़े हैं? और अब तक कौन कौन से बड़े चेहरे युवाओं को ज्यादा काम करने की सलाह दे चुके हैं? आइये जानते हैं…
1. भारत में क्या है लोगों के हर हफ्ते काम करने का औसत?
इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (आईएलओ) के 2024 तक के डाटा के मुताबिक, भारत उन देशों में से है, जहां लोगों के काम के घंटे सबसे ज्यादा हैं। यहां तक कि दक्षिण एशियाई देशों में भी भारत के लोग सबसे ज्यादा काम करने वालों में शामिल हैं। आईएलओ के डाटा के मुताबिक, भारत के लोग हर हफ्ते औसतन 46.7 घंटे काम करते हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि यह औसत आंकड़ा है। इसी डाटा में बताया गया है कि 51 फीसदी भारतीय तो हर हफ्ते 49 घंटे से ज्यादा काम में देते हैं।
इस मामले में सबसे ऊपर नाम भूटान का है, जहां 61 फीसदी कामगार हर हफ्ते 49 घंटे से ज्यादा काम करते हैं। इसके मुकाबले बांग्लादेश के 47 फीसदी कामगार और पाकिस्तान के 40 फीसदी कामगार ही हर हफ्ते 49 घंटे या इससे ज्यादा काम करते हैं।
किन देशों में सबसे कम काम करते हैं कामगार?
ओशियानिया में आने वाला द्वीप देश वनुआतु उन देशों में से है, जहां कर्मचारियों के लिए काम के घंटे सबसे कम हैं। यहां लोग एक हफ्ते में सिर्फ 24.7 घंटे ही दफ्तर या नौकरी करते हुए बिताते हैं। इतना ही नहीं सिर्फ चार फीसदी कामगार ही हफ्ते में 49 घंटे या इससे ज्यादा काम करते हैं।
इसके अलावा ओशियानिया के ही दो और देश किरिबाती और माइक्रोनीशिया में भी कर्मचारियों के औसत काम के घंटे सबसे कम हैं। जहां किरिबाती में कामगार प्रति हफ्ते सिर्फ 27.3 घंटे काम करते हैं, वहीं माइक्रोनीशिया में यह आंकड़ा 30.4 घंटे प्रति हफ्ता है। दोनों देशों में क्रमशः 10% और 2% लोग ही हफ्ते में 49 घंटे से ज्यादा काम करते हैं।
अफ्रीकी देश रवांडा और सोमालिया में भी कामगार प्रति हफ्ते क्रमशः 30.4 और 31.4 घंटे काम करते हैं। सबसे कम काम करने वाले टॉप-10 देशों में यूरोप से सिर्फ नीदरलैंड और अमेरिकी महाद्वीप से कनाडा का नाम शामिल है।
जी7 की अर्थव्यवस्थाओं में काम के घंटों पर क्या?
जी7 यानी स्थापित अर्थव्यवस्थाओं और ब्रिक्स के संस्थापकों में शामिल देशों में काम के घंटों का डाटा भी काफी चौंकाने वाला है।
जहां जी7 देशों की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका में कर्मी हर हफ्ते औसतन 38 घंटे काम करते हैं। तो वहीं 49 घंटे से ज्यादा काम करने वालों की संख्या महज 13 फीसदी है। कुछ ऐसा ही हाल ब्रिटेन का है, जहां प्रति हफ्ते लोग औसतन 35.8 घंटे काम करते हैं। यहां ओवरवर्क्ड यानी 49 घंटे से ज्यादा काम करने वालों का आंकड़ा 11 प्रतिशत है।
जी7 में ही शामिल जापान में हर हफ्ते लोग 36.6 घंटे काम करते हैं। इसके अलावा जर्मनी में एक हफ्ते में लोग औसतन 34.2 घंटे काम करते हैं।
ब्रिक्स देशों में भारत का क्या है स्थान?
उधर ब्रिक्स देशों की बात की जाए तो इसमें
ब्राजील में हर हफ्ते कर्मचारी औसतन 39 घंटे काम करते हैं, वहीं 49 घंटे से ज्यादा काम करने वालों की संख्या कुल कर्मियों में 11 फीसदी है।
रूस में यह औसतन कर्मचारी हर हफ्ते 39.2 घंटे काम करते हैं, यहां कुल कर्मियों में ओवरवर्क्ड कर्मचारियों की संख्या महज 2 प्रतिशत है।
चीन और दक्षिण अफ्रीका में औसतन प्रति हफ्ते लोग क्रमशः 46.1 और 42.6 घंटे काम करते हैं। दक्षिण अफ्रीका में कुल कर्मियों में सिर्फ 17% ही ओवरवर्क्ड हैं।
ब्रिक्स के साथी संस्थापक देशों में भारत की स्थिति सबसे खराब है। यहां प्रति सप्ताह कर्मी औसतन 46.7 घंटे काम करते हैं। इसके अलावा ओवरवर्क्ड कर्मियों का आंकड़ा भी 51 फीसदी है।
ज्यादा काम के घंटों पर क्या कहते हैं इंडस्ट्री के बड़े चेहरे?
1. नारायणमूर्ति, चेयरमैन, इंफोसिस
काम पर प्रति हफ्ते ज्यादा घंटे देने का सुझाव सिर्फ विदेश से ही नहीं, बल्कि भारत में भी इंडस्ट्री के बड़े चेहरों की तरफ से दिया जाता रहा है। एक तरह से देखा जाए तो इस तरह के बयानों की शुरुआत भारत में 2023 में इंफोसिस के चेयरमैन नारायणमूर्ति की अपनी दिनचर्या बताने वाले एक बयान से हुई थी। उन्होंने बताया था कि अपने करियर के दौरान उन्होंने सप्ताह में साढ़े छह दिन 14 घंटे काम किया। वह सुबह 6:30 बजे कार्यालय पहुंच जाते थे और रात साढ़े आठ बजे निकल जाते थे। उन्होंने कहा था, “मुझे इस पर गर्व है।”
मूर्ति ने कहा कि युवाओं को अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए काम पर अतिरिक्त घंटे लगाने चाहिए। युवा दिन में 12 घंटे काम करें ताकि भारत उन अर्थव्यवस्थाओं के साथ प्रतिस्पर्धा कर सके जिन्होंने पिछले दो से तीन दशकों में जबरदस्त प्रगति की है। मेरा अनुरोध है कि हमारे युवाओं को कहना चाहिए, यह मेरा देश है। मैं सप्ताह में 70 घंटे काम करना चाहता हूं। मूर्ति ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मन और जापानियों ने यही किया है। हालांकि बाद में उन्होंने अपने बयान का बचाव करते हुए कहा कि युवाओं को समझना होगा कि अपने देश को नंबर-1 बनाने के लिए हमें कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता है।
2. अनुपम मित्तल, संस्थापक, शादी डॉट कॉम
नारायणमूर्ति के इस बयान के बाद देशभर में काम और बाकी जीवन में संतुलन को लेकर बहस छिड़ गई। इसमें शादी डॉट कॉम के संस्थापक अनुपम मित्तल भी कूद गए। उन्होंने ‘वर्क-लाइफ हार्मनी’ की वकालत करते हुए कहा, ‘वर्क-लाइफ बैलेंस पूरी पीढ़ी को बर्बाद कर रहा है।’ मित्तल के अनुसार, युवा पेशेवरों को अपने करियर के शुरुआती वर्षों में खुद को आगे बढ़ाना चाहिए ताकि चरित्र निर्माण हो और असाधारण परिणाम हासिल हो सकें। उन्होंने कहा, ‘वर्क-लाइफ बैलेंस पूरी पीढ़ी को बर्बाद कर रहा है।’
3. नमिता थापर, एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर, एमक्योर फार्मा
मित्तल के इस बयान को शार्क टैंक इंडिया में उनकी साथी जज नमिता थापर ने बकवास करार दिया। नमिता ने कहा कि संस्थापकों और कर्मचारियों की वास्तविकता बुनियादी तौर पर अलग है। कहा, ‘मेरे जैसे संस्थापकों के पास महत्वपूर्ण वित्तीय हिस्सेदारी होती है और वे चौबीसों घंटे काम कर सकते हैं। लेकिन, कर्मचारी ऐसा नहीं कर सकते।’ उन्होंने आगे कहा कि कर्मचारियों से लगातार काम के घंटों की मांग करने से गंभीर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
4. भाविश अग्रवाल, ओला के संस्थापक
ओला कैब्स के सीईओ भाविश अग्रवाल ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि मिस्टर मूर्ति के विचारों से पूरी तरह सहमत हूं। यह हमारे काम का समय नहीं है। खुदे के मनोरंजन का समय नहीं है। बल्कि, यह समय है कि हम एक पीढ़ी में वह बनाएं, जो अन्य देशों ने बनाया है। जेएसडब्ल्यू समूह के अध्यक्ष सज्जन जिंदल ने कहा कि मैं तहे दिल से मूर्ति के बयान का समर्थन करता हूं। यह थकावट के बारे में नहीं यह समर्पण के बारे में है। 2047 तक भारत को एक आर्थिक महाशक्ति बनाना है, जिस पर हम सभी गर्व कर सकें।
5. शांतनु देशपांडे, संस्थापक, बॉम्बे शेविंग कंपनी
बॉम्बे शेविंग कंपनी के फाउंडर और सीईओ शांतनु देशपांडे ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म लिंक्डइन पर एक पोस्ट की। इस पोस्ट में उन्होंने फ्रेशर्स को दिन में 18 घंटे काम करने की सलाह दी। अपनी पोस्ट में उन्होंने फ्रेशर्स को काम के लिए पूर्ण रूप से खुद को समर्पित कर देने की बात कहते हुए कहा कि जब आपकी उम्र 22 साल हो और कंपनी में नई-नई नौकरी हो तो आपको काम में खुद को झोंक देना चाहिए। उन्होंने दावा करते हुए लिखा कि ऐसा करना फ्रेशर्स के लिए फायदेमंद साबित होगा। उन्होंने पोस्ट में लिखा कि अच्छा खाओ और फिट रहो, लेकिन कम से कम चार से पांच सालों तक दिन में 18 घंटों तक काम करो। धीरे-धीरे करके स्थिति बेहतर हो जाएगी।
5. गौतम अदाणी
गौतम अदाणी से जब पूछा गया कि लोगों को हफ्ते में कितना काम करना चाहिए तो उन्होंने इसके ऊपर कहा कि अगर आपको अपना काम पसंद है तो आपका वर्क-लाइफ बैलेंस अपने आप बन जाता है। उन्होंने कहा, ‘अगर आप जो करते हैं वो अच्छा लगता है तो आपका वर्क-लाइफ बैलेंस सही है। आपका वर्क-लाइफ बैलेंस मुझ पर थोपा नहीं जाना चाहिए और मेरा आप पर नहीं। उन्होंने आगे मजाकिया अंदाज में कहा कि ज्यादा काम करेंगे तो बीवी छोड़कर भाग जाएगी।
6. एलन मस्क
अमेरिका में कर्मचारियों के काम के घंटे कम होने के बावजूद यहां कई टेक बॉस कर्मियों से ज्यादा काम करने के लिए कह चुके हैं। हालांकि, अमेरिका में सख्त लेबर कानून के चलते यह संभव नहीं होता। जिस दौरान एलन मस्क ने ट्विटर को खरीदा था, तब उनके एक ईमेल की काफी चर्चा थी। इसमें कहा गया था कि मस्क ने कर्मचारियों को हफ्ते में 80 घंटे काम करने के लिए चेताया है। साथ ही ये भी दावे कि जा रहे हैं कि कर्मचारियों को मिलने वाला फ्री फूड यानी मुफ्त खाने की सुविधा भी खत्म की जाएगी। वहीं वर्क फ्रॉम होम की सुविधा को भी बंद कर दिया गया है।