अमित शाह दो दिन के बिहार दौरे पर 5 जनवरी को आने वाले हैं. पटना में उनके दो कार्यक्रम हैं. भूतपूर्व भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी की जयंती पर होने वाले कार्यक्रम में वे शामिल होंगे. फिर गुरुद्वारा साहिब जाएंगे. पार्टी नेताओं के साथ बैठक भी करेंगे. संभव है कि वे नीतीश कुमार से भी मिलें.
मुलाकात के बाद संशय के बादल स्वत: छंट जाएंगे.
दोनों की मुलाकात हो गई तो संशय के बादल स्वत: छंट जाएंगे. यह भी हो सकता है कि अपने कार्यक्रम के दौरान अमित शाह मीडिया से भी कहीं न कहीं मुखातिब हो जाएं या फिर कार्यक्रम में ही कुछ ऐसा बोल जाएं, जिससे रहस्य से पर्दा हट जाए. हालांकि उन्होंने जो कुछ भी कहा है, उसमें उन्हें सफाई देने की जरूरत नहीं. बहरहाल, अगले 48 घंटे में स्पष्ट हो जाएगा कि नीतीश कुमार सच में नाराज हैं या नाराजगी की खबरें महज मीडिया की उपज हैं.
मुख्यमंत्री के मन में क्या है, यह अमित शाह जानते हैं
और किसी को पता है या नहीं, भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के गृह मंत्री अमित शाह को जरूर जानकारी है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मन में क्या है? यह सनसनी जो अभी इस ठिठुरन भरी ठंड में भी बिहार की राजनीति को गरम दिखा रही है, उसकी शुरुआत ही शाह से हुई है। अगर शाह बिहार में महाराष्ट्र जैसा चेहरा-बदल को लेकर साफ-साफ कह देते कि नीतीश कुमार ही अगले चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे तो यह सब होता ही नहीं। उन्होंने इस सवाल को टालकर बिहार की राजनीति में संशय के बीज बो दिए। इसी के बाद सीएम नीतीश कुमार की हर गतिविधि को जैसे-तैसे जाेड़कर उनके एनडीए छोड़ने की चर्चा उठाई गई। वह दिल्ली गए तो भी कहा गया कि कांग्रेस के ऑफर के बाद ही मुख्यमंत्री दिवंगत प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के परिजनों से मिलने के बहाने राष्ट्रीय राजधानी गए। उनकी भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात नहीं हुई तो कहा गया कि भाजपा उन्हें तवज्जो नहीं दे रही। सनसनी फैलाने वाले मीडिया संस्थानों ने उनके पटना आकर राजभवन जाने को इस्तीफा और नई सरकार के गठन से जोड़कर देखा।