तेजी से बदलते भू-राजनैतिक परिदृश्य की चुनौतियों और चीन से बढ़ रहे खतरे से सामना करने के लिए रक्षा के आधुनिकीकरण की दिशा में भारत ने बड़ा कदम उठाया है. साल 2025 को रक्षा सुधारों का वर्ष घोषित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि इसका उद्देश्य सेना के तीनों अंगों- थल सेना, वायु सेना और जल सेना के बीच बेहतर तालमेल बढ़ाने के लिए एकीकृत सैन्य कमान (integrated theatre command) शुरू करना है और जल्दी ही यह क्रियान्वित भी किया जाएगा. इसके साथ ही, सेना को तकनीकी तौर पर बेहद उन्नत और किसी भी परस्थिति में युद्ध के लिए तैयार किया जाएगा.
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि सैन्य बलों में जिन सुधारों की योजना है, उसका व्यापक उद्देश्य रक्षा अधिग्रहण की प्रक्रिया को आसान और समयबद्ध बनाने के साथ-साथ प्रमुख हितधारकों के बीच गहन सहयोग सुनिश्चित करने, बाधाओं को दूर करने, अक्षमताओं को दूर करने और संसाधनों का अधिक से अधिक उपयोग करना शामिल है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा सचिवों के साथ हुई उच्चस्तरीय बैठक के दौरान ये महत्वपूर्ण फैसले लिए गए.
उत्तर में चीन सीमा पर भारत के लिए जहां एक तरफ खतरे लगातार बढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ पश्चिम में पाकिस्तान से देश की रक्षा को बड़ी चुनौती है. भारतीय सैन्य बलों के सामने टू फ्रंट वॉर भी भविष्य की चुनौतियों में से एक है. ऐसे में ये सवाल उठ रहा है कि क्या भारत को एकीकृत सैन्य कमान (theatre Commands) की क्या वाकई जरूरत है भी या नहीं?
दरअसल, एकीकृत कमांड (Theatre Command) बनाने का सबसे पहला उद्देश्य यही है कि इससे सेना के तीनों अंग- थल, जल और वायु सेना के साथ युद्ध की स्थिति में बेहतर तालमेल संभव हो पाए और ये सुचारु रुप से काम करे.
साइबर, अंतरिक्ष और एआई पर फोकस
भारत सरकार पिछले कई वर्षों से एकीकृत सैन्य कमान (joint theatre commands) पर विचार कर रही है, जिसमें संसाधनों के अधिकतम इस्तेमाल, रणनीतिक योजनाओं को बेहतर बनाने और युद्ध के समय फैसलों में शीघ्रता सुनिश्चित की जा सके. रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, क्षेत्रीय संघर्ष, आतंकवाद और सामुद्रिक सुरक्षा खासकर भारत की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए…खतरे की इन सभी परिस्थतियों से निपटने में एकीकृत सैन्य कमान बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है.
रक्षा मंत्रालय ने प्रेस को जारी एक बयान में कहा- “रक्षा क्षेत्र में सुधार करने का भारत सरकार का उद्देश्य थलसेना, वायुसेना और नौसेना की क्षमताओं को एकीकृत करना और एकीकृत सैन्य कमान बनाना है. सुधार का मुख्यतौर पर फोकस साइबर और अंतरिक्ष के साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, हाइपरसोनिक्स और रॉबोटिक्स जैसी नई प्रौद्योगिकी है. इसके अलावा, भविष्य में संभावित युद्धों को जीतने के लिए आवश्यक रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाएं भी विकसित की जानी चाहिए”
रक्षा मंत्रालय की इस व्यापक सुधार योजना में रक्षा खरीद की प्रक्रिया को आसान और समयबद्ध बनाने के साथ ही रक्षा क्षेत्र और असैन्य रक्षा क्षेत्र के उद्योगों के बीच प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और ज्ञान साझा करने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए कदम उठाए जाने और व्यापार को आसान बनाकर सार्वजनिक और निजी भागीदारी को बढ़ावा देना शामिल है.
राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा तैयारियों में अप्रत्याशित इजाफे की नींव सुधारों के जरिए ही रखी जाएगी. उन्होंने ये भी कहा कि 21वीं सदी की चुनौतियों के बीच रक्षा व सैन्य क्षमताओं में लगातार सुधार ही भारत की सुरक्षा और संप्रभुता को सुनिश्चित कर पाएगा.
रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, सरकार ने ये भी फैसला किया है कि रक्षा क्षेत्र में निर्यात के लिए भारत को तैयार किया जाएगा. इससे न सिर्फ आय बढ़ेगी बल्कि विदेशी रक्षा उत्पादकों की भारत के निजी रक्षा कंपनियों के साथ निकटता बढ़ेगी, जिससे प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के साथ-साथ रिसर्च और डेवलपमेंट को गति मिल पाएगी.
वित्तीय वर्ष 2023-14 में रक्षा निर्यात बढ़कर 21 हजार 83 करोड़ हो गया जो पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले करीब 32.5 फीसदी बढ़ा है. पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान ये 15 हजार 920 करोड़ का था. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, पिछले एक दशक में, यानी अगर वित्तीय वर्ष 2013-14 से तुलना करें तो- रक्षा निर्यात करीब 31 गुणा बढ़ा है. निजी क्षेत्र और रक्षा पीएसयू का इसमें योगदान 60 फीसदी और 40 फीसदी का है.
दरअसल, देश की 15 हजार किलोमीटर लंबी सीमा सात पड़ोसी देशों से जुड़ी है. ऐसे में भारत का रक्षा पर खर्चा लगातार बढ़ रहा है. हालांकि, ये रक्षा पर वैश्विक औसत खर्च की तुलना में जरूर कम है, जिसकी वजह से उन्नत हथियारों के अधिग्रहण में कमी रही. लेकिन भारत के पड़ोसी देशों में अस्थिरता, असफल राष्ट्र के करीब पहुंचा पाकिस्तान, नेपाल-बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता और चीन की क्षेत्रीय दादागिरी ने भारत के सामने सुरक्षा को लेकर चिंता पैदा कर दी.
यही वजह है कि अब आर्थिक और साइबर सुरक्षा के साथ कई चुनौतियां इस वक्त देश के सामने खड़ी हैं. ऐसे में कोशिश अब यही है कि सेना के एकीकृत कमान की स्थापना कर बेहतर तालमेल के जरिए न सिर्फ उसे आधुनिक हथियारों से लैस किया जाए और बेहतर तालमेल हो, बल्कि किसी भी चुनौतियों पर तत्काल और प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देने लायक बनाया जा सके.