कांग्रेस पार्टी पिछले एक साल में देश में लगातार एक के बाद एक चुनाव हारती चली आ रही है और कांग्रेस चीफ मल्लिकार्जुन खरगे पार्टी की नैया को पार लगाने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं. इसी बीच बेटे प्रियांक खरगे मुश्किलों में घिरते नजर आ रहे हैं. उन्हें लेकर इस वक्त कर्नाटक की राजनीति में उबाल आया हुआ है. यह पूरा मामला एक सरकारी ठेकेदार द्वारा अपनी खुद की जान लेने से जुड़ा है. नोट में उसने प्रियांक खरगे के करीबी का नाम लिखा. यही वजह है कि राज्य में विपक्षी दल बीजेपी प्रियांक के खिलाफ हमलावर है. वो इस मामले में सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं. हालांकि कर्नाटक के सीएम ने केस की जांच को अब राज्य की सीआईडी को सौंप दिया है.
अब मन में यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर यह पूरा केस है क्या, जिसमें खुद कांग्रेस चीफ मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे पर आंच आती दिख रही है. दरअसल, बीती 26 दिसंबर को कर्नाटक के बीदर में कांट्रेक्टर सचिन पंचाल ने ट्रेन के नीचे आकर अपनी जान दे दी थी. उनके पास से एक नोट मिला, जिसमें कहा गया कि कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खरगे के सहयोगी राजू कपनूर समेत सात लोग उनकी मौत के लिए जिम्मेदार हैं. इसके बाद कर्नाटक की राजनीति में घमासान शुरू हो गया. बीजेपी की तरफ से लगातार प्रियांक खरगे के इस्तीफे की मांग की जा रही है.
खरगे के बेटे के साथ डिप्टी सीएम
इसपर कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि प्रियांक खरगे के इस्तीफे की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि ठेकेदार की मौत और प्रियांक के बीच कोई संबंध नहीं है. प्रियांक खरगे के इस्तीफे का कोई सवाल ही नहीं उठता. जब उन्होंने कुछ गलत नहीं किया तो उन्हें इस्तीफा क्यों देना चाहिए? वह हमारी पार्टी की आवाज हैं. विपक्ष गलत भावना के कारण इस्तीफा मांग रहा है. वे एक दलित नेता को इस स्तर तक बढ़ते हुए बर्दाश्त नहीं कर सकते. डिप्टी सीएम ने कहा कि कर्नाटक सरकार कानून के अनुसार ठेकेदार की मौत की जांच करेगी. हालांकि, भाजपा ने सीबीआई जांच और प्रियांक के इस्तीफे की मांग जारी रखी.
बीजेपी का क्या है आरोप?
कर्नाटक बीजेपी चीफ बीवाई विजयेंद्र ने मांग की कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया प्रियांक को बर्खास्त करें और मामले को तुरंत सीबीआई जांच को सौंपने का आदेश जारी करें. यह न केवल हमारी मांग है, बल्कि मृतक के परिवार के सदस्यों की भी मांग है. सिद्धारमैया को मृतक के परिवार को न्याय दिलाने और खुद को अहिंदा (अल्पसंख्यक, पिछड़े वर्ग और दलित) के नेता के रूप में साबित करने के लिए हमारी मांगों को पूरा करना चाहिए. उसके परिवार के सदस्यों को 1 करोड़ रुपये का मुआवजा देना चाहिए. साथ ही परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी भी दी जानी चाहिए.