हरियाणा चुनाव में बीजेपी ने जीत की हैट्रिक लगाई और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के फिर से सीएम बनने के मनसूबों पर पानी फेर दिया. शुरुआती एक घंटे के रुझान यह दावा कर रहे थे कि कांग्रेस पार्टी प्रचंड बहुमत के साथ हरियाणा में सरकार बनाने जा रही है लेकिन जैसे जैसे वोटों की गिनती आगे बढ़ी, कांग्रेस सत्ता से दूरी होती चली गई. यही बात अब कांग्रेस पार्टी को हजम नहीं हो रही है. कांग्रेस ने पिछले चुनावों की तर्ज पर ही इस बार भी ईवीएम से छेड़छाड़ का मुद्दा उठाया. कांग्रेस नेता पवन खेड़ा और जयराम रमेश मीडिया के सामने आए और उनकी तरफ से कहा गया कि तीन विधानसभा क्षेत्रों में ईवीएम मशीन बदली गई. बीजेपी को इसका फायदा डायरेक्ट मिला. कांग्रेस का कहना है बदली गई ईवीएम की बैटरी 99 प्रतिश थी। वोटिंग से लेकर काउंटिंग तक सब निपटने के बाद किसी ईवीएम की बैटरी 99 प्रतिशत कैसे हो सकती है. चुनाव आयोग सूत्रों की तरफ से बैटरी से जुड़े आरोपों पर जवाब दिया गया.
चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया कि ईवीएम को चालू करने और मतदान बंद करने की प्रक्रिया उम्मीदवारों और उनके एजेंटों की मौजूदगी में की जाती है. जब नई बैटरी लगाई जाती है, तो उसकी क्षमता 7.5 वोल्ट या 8 वोल्ट होती है. जब बैटरी की क्षमता 7.4 वोल्ट और 8 वोल्ट के बीच होती है, तब यह 99% चार्ज दिखाती है. जब यह 7.4 वोल्ट से कम हो जाती है, तो यह वास्तविक प्रतिशत 98% और 10% के बीच दिखाना शुरू कर देती है. जब यह 5.8 वोल्ट या 10% चार्ज पर पहुंच जाती है, तो डिस्प्ले यूनिट पर बैटरी बदलने का संकेत मिलता है.
क्या कहता है चुनाव आयोग का मैनुअल?
चुनाव आयोग के दो सूत्रों ने बताया कि मतदान बंद होने के समय किसी भी उम्मीदवार या उनके एजेंट ने आपत्ति नहीं जताई. बैटरी का लाइफ इस बात पर निर्भर करती है कि मतदान से पहले इसका उपयोग करके कितने मॉक पोल आयोजित किए गए हैं, लेकिन बैटरी पूरी मतदान प्रक्रिया के दौरान 99% पर रह सकती है. चुनाव आयोग के ईवीएम मैनुअल कहते हैं कि मतदान के दौरान ईवीएम कंट्रोल यूनिट की बैटरी या पावर पैक बदलने के लिए उम्मीदवारों के पोलिंग एजेंटों को मौजूद रहना होगा.