शरद नवरात्रि देवी पूूजा को समर्पित एक हिन्दू त्योहार है, जो शरद ऋतु में मनाया जाता है। हिन्दू परम्परा में नवरात्रि का त्योहार, वर्ष में दो बार प्रमुख रूप से मनाया जाता है :
1.) चैत्र मास में वासन्तिक नवरात्रि तथा
2.) आश्विन मास में शारदीय नवरात्रि।
शारदीय नवरात्रि के उपरान्त दशमी तिथि को विजयदशमी (दशहरा) पर्व मनाया जाता है। शारदीय नवरात्रि का महात्म्य सर्वोपरि इसलिये है कि इसी समय देवताओं ने दैत्यों से परास्त होकर और आद्या शक्ति की प्रार्थना की थी और उनकी पुकार सुनकर देवी माँ का आविर्भाव हुआ। उनके प्राकट्य से दैत्यों के सँहार करने पर देवी माँ की स्तुति देवताओं ने की थी। उसी पावन स्मृति में शारदीय नवरात्रि का महोत्सव मनाया जाता है।
शारदीय नवरात्रि का व्रत श्रीरामचन्द्र जी ने रावण पर विजय प्राप्त करने के लिये किया था। उन्होंने पूर्ण विधि-विधान से महाशक्ति की पूजा उपासना की थी। महाभारत काल में पाण्डवों ने श्रीकृष्णजी के परामर्श पर शारदीय नवरात्रि की पावन बेला पर माँ दुर्गा महाशक्ति की उपासना विजय के लिये की थी। तब से तथा उसके पूर्व से शारदीय नवव्रत उपासना का क्रम चला आ रहा है। यह नवरात्रि इन्हीं कारणों से बड़ी नवरात्रि, महत्त्वपूर्ण एवं वार्षिकी नवरात्रि के रूप में मनायी जाती है। बंगाल प्रांत में इसी नवरात्रि को दुर्गापूजा का सबसे बड़ा महोत्सव होता है। बंगाल में सप्तमी, अष्टमी तथा नवमी की विशेष पूजा का विशेष महत्त्व माना जाता है।
नवरात्रि का व्रत धन-धान्य प्रदान करनेवाला, आयु एवं आरोग्यवर्धक है। शत्रुओं का दमन व बल की वृद्धि करनेवाला है ।
नवरात्रि के नौ दिनों में दैवीय तत्त्व अन्य दिनों की तुलना में 1000 गुणा अधिक सक्रिय रहता है । इस कालावधि में दैवीय तत्त्व की अतिसूक्ष्म तरंगें धीरे-धीरे क्रियाशील होती हैं और पूरे ब्रह्मांड में संचरित ( फैल जाती हैं ) होती हैं । उस समय ब्रह्मांड में विद्यमान अनिष्ट शक्तियां नष्ट होती हैं और ब्रह्मांड की शुद्धि होने लगती है । दैवीय तत्त्व की शक्ति का स्तर प्रथम तीन दिनों में सगुण-निर्गुण होता है । उसके उपरांत उसमें निर्गुण तत्त्व की मात्रा बढ़ती है और नवरात्रि के अंतिम 3 दिन इस निर्गुण तत्त्व की मात्रा सर्वाधिक होती है ।
नवरात्रि की कालावधि में महाबलशाली दैत्यों का वध कर देवी दुर्गा ने संपूर्ण सृष्टि को भय मुक्त किया था । तदुपरांत देवताओं ने उनकी स्तुति की । उस समय देवी मां ने सर्व देवताओं एवं मानवों को अभय का आशीर्वाद देते हुए वचन दिया कि
इत्थं यदा यदा बाधा दानवोत्था भविष्यति ।
तदा तदाऽवतीर्याहं करिष्याम्यरिसंक्षयम् ।।
देवी भागवत में आता है कि देवी की स्थापना करनी चाहिए | नौ हाथ लम्बा भण्डार( मंडप/स्थापना का स्थान) हो |
- नवरात्रि के पहले दिन स्थापना, देव वृत्ति की कुंवारी कन्या का पूजन हो |
- नवरात्रि के दूसरे दिन 3 वर्ष की कन्या का पूजन हो, जिससे धन आएगा ,कामना की पूर्ति के लिए |
- नवरात्रि के तीसरे दिन 4 वर्ष की कन्या का पूजन करें, भोजन करायें तो कल्याण होगा,विद्यामिलेगी, विजय प्राप्त होगा, राज्य मिलता है |
- नवरात्रि के चौथे दिन 5 वर्ष की कन्या का पूजन करें और भोजन करायें | रोग नाश होते हैं | या देवी सर्व भूतेषु आरोग्य रुपेण संस्थिता | नमस्तस्यै नमस्तस्यैनमस्तस्यैनमो नमः || जप करें; पूरा साल आरोग्य रहेगा |
- नवरात्रि के पांचवे दिन 6 वर्ष की कन्या काकाली का रुप मानकर पूजन करके भोजन कराए तो शत्रुओं का दमन होता है |
- नवरात्रि के छटे दिन 7 वर्ष की कन्या काचंडी का रुप मानकर पूजन करके भोजन कराए तो ऐश्वर्य और धन सम्पत्ति की प्राप्ति होती है |
- नवरात्रि के सातवे दिन 8 वर्ष की कन्या का शाम्भवीरुप में पूजन कर के भोजन कराए तो किसी महत्त्व पूर्ण कार्य करने के लिए,शत्रु पे धावा बोलने के लिए |
- नवरात्रि की अष्टमी को 9 साल की कन्या की दुर्गा रूप में पूजा करनी चाहिए | सभी संकल्प सिद्धहोते हैं | शत्रुओं का संहार होता है |
- नवरात्रि के नवमी को 10 साल की कन्या का पूजन भोजन कराने से सर्व मंगल होगा, संकल्प सिद्ध होंगे, सामर्थ्यवान बनेंगे, इसलोक के साथ परलोक को भी प्राप्त कर लेंगे, पाप दूर होते हैं, बुद्धि में औदार्य आता है, नारकीय जीवन छुट जाता है, हर काम में, हर दिशा में सफलता मिलती है |
शारदीय नवरात्रि की तिथियां
3 अक्टूबर 2024 (प्रतिपदा): घटस्थापना, मां शैलपुत्री
4 अक्टूबर 2024 (द्वितीया) : मां ब्रह्मचारिणी
5 अक्टूबर 2024 (तृतीया) : मां चन्द्रघण्टा
6 अक्टूबर 2024 तृतीया
7 अक्टूबर 2024 (चतुर्थी) : मां कूष्माण्डा
8 अक्टूबर 2024 (पंचमी) : मां स्कंदमाता
9 अक्टूबर 2024 (षष्ठी) : मां कात्यायनी
10 अक्टूबर 2024 (सप्तमी) : मां कालरात्रि
11 अक्टूबर 2024 (अष्टमी) : महाष्टमी, मां महागौरी, कन्या पूजा
12 अक्टूबर 2024 (नवमी) : महानवमी, मां सिद्धिदात्री, विजयादशमी, दशहरा, नवरात्रि पारण, दुर्गा विसर्जन
नवरात्रि के 9 रंग
3 अक्टूबर 2024 – पीला
4 अक्टूबर 2024 – हरा
5 अक्टूबर 2024 – स्लेटी
6 अक्टूबर 2024 – नारंगी
7 अक्टूबर 2024 – सफेद
8 अक्टूबर 2024 – लाल
9 अक्टूबर 2024 – नीला
10 अक्टूबर 2024 – गुलाबी
11 अक्टूबर 2024 – बैंगनी
12 अक्टूबर 2024 – दुर्गा विसर्जन
शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि कब से कब तक
पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का आरंभ 3 अक्टूबर की सुबह 12:19 मिनट से होगा और इसका समापन अगले दिन 4 अक्टूबर की सुबह 2:58 मिनट पर होगा.
घटस्थापना और मां शैलपुत्री की पूजा के साथ शारदीय नवरात्रि की शुरुआत
गुरुवार 3 अक्टूबर 2024 से शारदीय नवरात्रि शुरू हो चुके हैं. इस दिन नवदुर्गा के 9 रूपों में पहली देवी मां शैलपुत्री की पूजा होती है. आज के दिन घटस्थापना या कलश स्थापना की जाती है. घटस्थापना के लिए इस बार दो शुभ मुहूर्त रहेंगे.
मां शैलपुत्री पूजा मंत्र
देवी शैलपुत्र्यै नमः॥ वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम।
वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।
बीज मंत्र- या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्त्यै नमस्त्यै नमस्तस्यै नमो नम:।
इस साल पालकी पर हुआ माता रानी का आगमन
नवरात्रि के पहले दिन के आधार पर मां दुर्गा की सवारी के बारे में पता चलता है. अगर नवरात्रि का आरंभ सोमवार या रविवार को हो तो माता हाथी पर आती हैं. शनिवार और मंगलवार को माता अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आती हैं. गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्रि का आरंभ हो रहा हो तब माता डोली या पालकी पर आती हैं. बुधवार के दिन नवरात्रि पूजा आरंभ होने पर माता नाव पर आरुढ़ होकर आती हैं.
इस साल शारदीय नवरात्रि गुरुवार 3 अक्टूबर 2024 से शुरू हुई है. इसलिए माता रानी का आगमन पालकी पर हुआ है. मां दुर्गा की सवारी जब पालकी होती है इसे अच्छा संकेत नहीं माना जाता है.यह चिंता बढ़ाने वाला संकेत है.
नवरात्रि पर इस वर्ष बना ग्रह-नक्षत्रों का शुभ योग
नवरात्रि की शुरुआत हस्त नक्षत्र में हुई है, जो सुबह से लेकर दोपहर 3:18 तक हस्त नक्षत्र रहेगा. यह नक्षत्र बेहद शुभ मुहूर्त है. इसमें कलश स्थापना करना भी शुभ फलदाई होता है. शारदीय नवरात्रि पर बृहस्पति-सूर्य और शनि का खास संयोग बन रहा है. बृहस्पति की स्थिति में देवी मां की आराधना करने वाले भक्तों पर अमृत वर्षा होगी.