वामपंथी विचारधारा वाले अनुरा कुमारा दिसानायके (Anura Kumara Dissanayake) को श्रीलंका के लोगों ने नए राष्ट्रपति के रूप में चुना है. 2022 में इकोनॉमिक क्राइसिस के बाद यह पहला मौका है जब श्रीलंका में चुनाव हुए हैं. 55 साल दिसानायके ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी प्रेमदासा को दूसरे दौर की मतगणना के बाद मात दी. मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे तीसरे स्थान पर रहे. भारत के संदर्भ में समझें तो नए श्रीलंकाई राष्ट्रपति अनुरा कुमारा की की सोच किसी हार्ड-लाइनर मार्क्सवादी नेता की नहीं है. वो प्रकाश करात की तरह कट्टर वामपंथी विचारधारा के नेता नहीं हैं. उनकी सोच और नीतियां सीताराम येचुरी जैसे हैं, जो समय के साथ बदलाव में यकीन रखते हैं.
प्रकाश करात और सीताराम येचुरी साल 1992 में पोलित ब्यूरो के सदस्य बने थे. उस समय तक सीपीएम में बुजुर्ग नेताओं का दबदबा था लेकिन साल 2004 में मनमोहन सिंह की यूपीए-1 के दौरान ये दोनों ही नेता पार्टी में अहम भूमिका में थे. मनमोहन सिंह ने अमेरिका के साथ न्यूक्लियर डील की थी तो वाम दलों ने मनमोहन सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था. यूपीए-1 गिरते-गिरते बची थी. उस समय वाम दलों के भीतर फूट साफ नजर आई थी. एक तरफ प्रकाश करात थे जो इस बात पर अड़े थे कि वाम विचारधारा के साथ जरा भी समझौता नहीं हो सकता. वहीं, सीताराम चेयुरी का मानना था कि सरकार से इसपर बात की जा सकती है.
दिसानायके काल में मजबूत होंगे रिश्ते
प्रकाश करात कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलों के साथ गठबंधन के विरोधी रहे हैं. वहीं, सीताराम येचुरी का मानना है कि सभी सेक्युलर दलों को कांग्रेस के साथ मिलकर बीजेपी के कम्युनल एजेंडे के खिलाफ साथ आना चाहिए. वांमपथ को लेकर कट्टर रवैये के चलते बीते डेढ़ दशक में इन दलों को काफी नुकसान भी उठाना पड़ा है. हालांकि श्रीलंका के परिपेक्ष में देखें तो नए राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ना सिर्फ अपने देश के लिए बल्कि भारत के लिए भी काफी अच्छे साबित हो सकते है. श्रीलंका के मुश्किल वक्त में भारत उसके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहा है. आने वाले वक्त में दोनों देशों के रिश्ते ओर मजबूत हो सकते हैं.
श्रीलंका इस वक्त चीन सहित वर्ल्ड बैंक और IMF के कर्ज तले दबा हुआ है. उसे ना सिर्फ अपने देश में उत्पादन बढ़ान है बल्कि इम्पोर्ट को कम कर एक्सपोर्ट पर फोकस करना होगा. साथ ही साथ युवाओं को नौकरी देना और बुरी तरह पिट चुका एग्रिकल्चर भी श्रीलंका के नए राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के रेडार में रहेगा. अगर वामपंथ की कट्टर विचारधार पर श्रीलंका आगे चलता है तो उसके लिए एक तरफ खाई और दूसरी तरफ कुआं जैसी स्थिति से पार पाना बेहद मुश्किल होगा. अनुरा कुमारा दिसानायके की विचारधारा श्रीलंका को आगे ले जाने वाली दिखती है.