बिहार के सीएम नीतीश कुमार दूसरे पॉलिटिशियन से कई मामलों में अलग हैं। गठबंधन की सरकार चलाने में उन्हें महारत हासिल है। राजनीतिक हालात का आकलन भी वे बखूबी करते हैं। अगर वे किसी को कोसते हैं तो लोगों को लगता है कि दुश्मनी उनके गहरे बैठी हुई है। लेकिन उनकी राजनीतिक गतिविधियों पर नजर रखने वाले अच्छी तरह जानते हैं कि उनकी किसी से दुश्मनी स्थायी नहीं होती। जिनका भी उन्होंने साथ छोड़ा, वे उनके लिए अपने खिड़की-दरवाजे बंद करने की बात करते हैं। लेकिन नीतीश कहीं न कहीं एक सुराख तलाश ही लेते हैं, जो उनके बंद दरवाजे-खिड़कियों से प्रवेश की संभावना अक्षुण्ण रखता है। साथ छोड़ने पर उनके लिए कभी आरजेडी अपने यहां नो एंट्री का बोर्ड लगाता है तो भाजपा भी उनके लिए खिड़की-दरवाजे बंद रहने की बात करती है। पर, सच सभी जानते हैं। हर दल को नीतीश की जरूरत रहती है। बिहार में नीतीश की ताकत का अंदाजा सबको है।
हर कदम नीतीश सोच-समझ कर उठाते हैं
आरजेडी के साथ जाना हो या भाजपा के साथ नीतीश का पैसला अचानक और हड़बड़ी में नहीं होता। यही खूबी नीतीश को लालू यादव जैसे धुरंधर पॉलिटिशियन को मात देने में मददगार बनती है। दो बार नीतीश कुमार ने आरजेडी से हाथ मिला। तब वे भाजपा के खिलाफ भी वैसे ही बोलते थे, जैसा आज भाजपा के साथ रहते वे आरजेडी के बारे में बोल रहे हैं। आरजेडी और भाजपा के नेताओं को लगता होगा कि नीतीश को साथ लाकर वे कोई तीर मार रहे हैं। पर, नीतीश तभी किसी का साथ छोड़ते हैं, जब उन्हें उसकी औकात बतानी होती है। भाजपा के लोगों ने नीतीश के खिलाफ जब साथ रहने के बावजूद बोलना शुरू किया तो नीतीश ने आरजेडी के साथ हाथ मिला कर उन्हें उनकी औकात बता दी थी। इसी तरह आरजेडी के लोगों ने जब नीतीश पर यह समझ कर दबाव बनाने की कोशिश की कि अब वे जाएंगे कहां तो उन्होंने सुराख के सहारे भाजपा की राह पकड़ ली। आरजेडी नेताओं को लगता था कि वे भाजपा के खिलाफ विपक्षी गोलबंदी के नाम पर काफी आगे बढ़ चुके हैं। अब भाजपा में उनकी वापसी के सारे रास्ते बंद हो चुके हैं। पर, नीतीश ने बता दिया कि इस मामले में उनसे अधिक समझदार कोई नहीं।
नीतीश के बारे में अटकलें उनकी रणनीति
नीतीश कुमार के पाला बदलने की ताजा अटकलें एकबारगी खारिज नहीं की जा सकतीं। इसे उनकी रणनीति का हिस्सा मानना ज्यादा उचित होगा। दरअसल नीतीश ने केंद्र में जिस तरह भाजपा की हर बात मानी है, उसका मनचाहा भुगतान वे भाजपा से चाहते हैं। उनके समर्पण भाव को भाजपा के लोग उनकी कमजोरी न समझ लें, इसलिए उन्होंने सियासी ट्रेलर दिखाया। तेजस्वी की उनसे हुई मुलाकात के बाद ही पाला बदल के अटकलों को हवा मिली थी। सियासी गलियारे में माना जा रहा है कि नीतीश ने इस मीटिंग का समय काफी सोच-समझ कर चुना था। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री की बिहार यात्रा का शेड्यूल उन्हें पता था। उसके पहले तेजस्वी से हुई मुलाकात और अटकलों के बाबत मीडिया में खबर आने के बावजूद नीतीश ने कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की। वे तब बोले, जब नड्डा से उनकी बातचीत हो गई। जेपी नड्डा उनसे मिलने उनके आवास पर दो बार गए थे।
यूं ही नहीं हुई नड्डा और नीतीश की मीटिंग
जेपी नड्डा ने बिहार के अपने दो दिवसीय कार्यक्रम में दो बार नीतीश कुमार से मुलाकात की। एक कार्यक्रम में तो दोनों साथ भी रहे। वहीं नीतीश ने पाला बदल के संबंध में अपनी चुप्पी तोड़ी। उन्होंने कहा कि पिछली गलती अब वे नहीं करेंगे। यानी आरजेडी के साथ नहीं जाएंगे। मीटिंग में नीतीश ने नड्डा के सामने अपनी ग्रीवांस रखा। नड्डा से संतोषजनक आश्वासन के बाद ही उन्होंने पाला बदल की संभावना से इनकार किया। नीतीश कुमार ने अगले साल होने वाले विधानसभा के बारे में एक सर्वेक्षण कराया है। दक्षिण भारतीय एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि आरजेडी और भाजपा के साथ चुनाव लड़ने पर कितना नफा-नुकसान होगा।
क्या कहता है सर्वे?
सूत्रों के मुताबिक सर्वे में यह जानकारी उभर कर सामने आई है कि जेडीयू और आरजेडी साथ चुनाव लड़ते हैं तो 100 सीटों पर उम्मीदवार उतार कर जेडीयू 80 सीटें जीत सकता है। भाजपा के साथ लड़ने पर जेडीयू को इतनी सीटें जीतने के लिए 120 उम्मीदवार उतारने होंगे। पहली नजर में नीतीश के लिए आरजेडी के साथ जाना ही सही कदम है, पर इससे भाजपा से बना-बनाया रिश्ता टूट जाएगा। ऊपर से उन पर पाला बदल का ठप्पा लगेगा। केंद्र से तब बिहार को मिलने वाली मदद में भी कटौती हो सकती है या व्यवधान आ सकता है। बीच का रास्ता यही है कि जेडीयू कम से कम 130 सीटों की मांग भाजपा से करे। बार्गेनिंग में 10 सीटें घटाने का उनके पास विकल्प भी रहेगा। भाजपा इतनी सीटें देने पर सहमत नहीं हुई तो उन्हें आरजेडी के साथ जाने की मजबूरी होगी। इसलिए वे दोनों ओर का विकल्प खुला रखना चाहते है। वैसे जो जानकारी छन कर आ रही है, उसमें भाजपा से अधिक सीटें जेडीयू को देने पर सहमति नड्डा के साथ मुलाकात में बन चुकी है।