48 घंटे में बिहार को 1500 करोड़ की हेल्थ फैसिलिटी मिली है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा 2 दिन बिहार में रहे। इस दौरान उन्होंने 5 सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल बिहार को दिए। इसमें से एक की छत के ऊपर हैलीपेड भी बनाया गया है।
हैलीपेड, इसलिए कि कभी किसी मरीज को एयरलिप्ट करने की जरूरत पड़ी तो सीधे अस्पताल से ही उसे दूसरे शहर ले जाया जा सके। इन अस्पतालों में बच्चों से लेकर बुजुर्गों के इलाज के लिए मॉर्डन हेल्थ सिस्टम की व्यवस्था की गई है।
बिहार ने वह दौर देखा है, जब इलाज के अभाव में मरीज दम तोड़ देते थे। कोसों दूर जाने के बाद भी सरकारी अस्पतालों में इलाज नहीं हो पाता था। कभी डॉक्टर गायब तो कभी अस्पताल बंद मिलता था।
एंबुलेंस नहीं होने से डिलीवरी के दौरान गांव में ही महिलाएं दम तोड़ देती थीं। सर्जरी और जांच के लिए तो बड़े शहरों में जाना पड़ता था। अब वही बिहार है, जहां दिल्ली वाला इलाज मिलने जा रहा है। सिर्फ शहरों तक ही हेल्थ सिस्टम को डेवलप नहीं किया गया है। गांवों से भी इसे जोड़ गया है।
गरीबों को इलाज के लिए भटकना पड़ता था..
आईएमए के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सहजानंद प्रसाद सिंह कहते हैं, ‘बिहार में पहले हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर काफी कमजोर था। मरीजों को इधर-उधर भटकना पड़ता था। बिहार की 80 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती थी, इलाज के लिए शहर की तरफ भागने का भी साधन संसाधन नहीं था। विश्वास नहीं होता कि वही बिहार है। जहां एक हॉस्पिटल की मांग थी, वहां सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल बनाए जा रहे हैं। चिकित्सा क्षेत्र में केंद्र और राज्य सरकार का यह कदम बिहार के गरीब मरीजों के लिए मील का पत्थर है।
इलाज के लिए बिहार से बाहर जाने वाले मरीजों को भी अब अपने शहर के सरकारी अस्पतालों में बेहतर चिकित्सा सेवा मिल रही है। प्राइवेट अस्पतालों का खर्च नहीं उठा पाने वाले बिहार के गरीब परिवार भी अब सरकारी संस्थानों में बेहतर इलाज करा पाएंगे। इसे बिहार के चिकित्सा क्षेत्र में क्रांति भी कहा जा सकता है।’
बिहार के लिए PMCH ही विकल्प था
राज्य की जनता के लिए पहले पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल ही एक मात्र विकल्प होता था। अब पटना में एम्स और आईजीआईएमएस के साथ नालंदा मेडिकल कॉलेज का विकल्प है। पटना मेडिकल कॉलेज पहले भी उम्मीद की किरण रहा है और आज भी गरीब मरीजों के लिए सबसे बड़ा सहारा है।
बड़ी बीमारी के इलाज के लिए पूरा बिहार पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल आता था। इसकी स्थापना 1925 में हुई थी। यह एशिया के सबसे पुराने मेडिकल कॉलेजों में से एक का था। ब्रिटिश भारत का छठा सबसे पुराना मेडिकल कॉलेज रहा, जिसमें वर्तमान भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान शामिल थे। सरकार एक बार फिर पटना मेडिकल कॉलेज को विश्व स्तर का हॉस्पिटल बना रही है।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा इन दिनों बिहार दौरे पर हैं. वह कल यानी शुक्रवार (6 सितंबर) को बिहार की राजधानी पटना पहुंचे थे. जहां उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की थी. इसके बाद दोनों नेताओं ने IGIMS में 188 करोड़ रुपये की लागत से बने नवनिर्मित नेत्र अस्पताल के अलावा भागलपुर और गया के सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल का उद्घाटन किया था. इस मौके पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दोनों ने बिहार को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने का भरोसा दिया. इस दौरान सीएम नीतीश ने प्रदेश में 9 नए मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा की, तो वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बिहार को मेडिकल हब बनाने का वादा किया.
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि देश में 75 नये मेडिकल कॉलेज खुले हैं, जबकि 200 सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक बने हैं. इनमें 5 सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक बिहार में हैं. उन्होंने कहा कि इनके निर्माण पर 200 करोड़ रुपये प्रति ब्लॉक खर्च हुए हैं. नड्डा ने PMCH का जिक्र करते हुए कहा कि नीतीश कुमार ने इसका खोया गौरव वापस लौटाया है. आज यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा अस्पताल बनने जा रहा है. इसी तरह अन्य अस्पतालों का भी विस्तार हो रहा है. उन्होंने कहा कि दरभंगा में प्रस्तावित एम्स की जमीन को देखने वे जा रहे हैं. वहां शीघ्र ही शानदार और भव्य एम्स बनकर तैयार होगा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसका उद्घाटन करेंगे. केंद्रीय मंत्री ने बताया कि डिजाइन पर काम हो रहा है और इस काम के लिए एजेंसी तय कर ली गई है.