अब विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया राजनीति के अखाड़े में नजर आएंगे। विनेश और बजरंग कांग्रेस में शामिल हो गए, विनेश कांग्रेस के टिकट पर जींद की जुलाना सीट से चुनाव लड़ेंगी। बजरंग पूनिया को अखिल भारतीय किसान कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया। ओलंपियन रेसलर विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया जब राहुल गांधी से मिले थे, उसी वक्त ये साफ हो गया था कि दोनों कांग्रेस में शामिल होंगे। अब दोनों राजनीति के दंगल में किस्मत आज़माएंगे। कांग्रेस में शामिल होने से पहले विनेश फोगाट ने रेलवे की नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया। कांग्रेस की सदस्यता लेने के बाद विनेश फोगाट ने कहा कि जब वो बेटियों की इज्जत की लड़ाई लड़ रही थीं, तो कांग्रेस ने पूरी मज़बूती से उनका साथ दिया और उस वक्त BJP ने उनको बदनाम करने की मुहिम चलाई थी। लेकिन उन्होंने ख़ुद को सही साबित करने के लिए नेशनल चैंपियनशिप खेली, ओलंपिक के लिए ट्रायल दिया, फाइनल तक पहुंचीं, पर लगता है कि ईश्वर ने उनके लिए कुछ अलग सोच रखा था। विनेश ने कहा कि बेटियों के सम्मान की लड़ाई जारी रहेगी और इस लड़ाई को आगे ले जाने के लिए उन्हें जिस ताक़त की ज़रूरत है, वो उनको कांग्रेस से मिलेगी।
लेकिन बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ संघर्ष में जम कर लड़ने वाली साक्षी मलिक विनेश और बजरंग के कांग्रेस में शामिल होने से दुखी हैं। साक्षी मलिक ने बड़ी मायूसी से कहा कि विनेश और बजरंग पूनिया ने अपनी निजी हैसियत से फ़ैसला लिया है, उनसे सलाह मशविरा नहीं किया। साक्षी ने कहा कि कुश्ती संघ में बेटियों के सम्मान की लड़ाई से राजनीति को जितना दूर रखा जाता उतना ही अच्छा होता। विनेश और बजरंग ने राजनीति का रास्ता क्यों चुना वही जानें लेकिन वह रेसलिंग फेडरेशन में सुधार के लिए लड़ाई जारी रखेंगी। बृजभूषण शरण सिंह ने गोंडा में विनेश और बजरंग पर कटाक्ष किया। कहा, वो जो बात शुरू से कह रहे थे, वह आज सच साबित हो गई, पूरा देश जान गया कि जंतर-मंतर के आंदोलन के पीछे कौन था। हरियाणा के बीजेपी नेता अनिल विज ने कहा कि वह चैंपियन बेटी के तौर पर विनेश का हमेशा सम्मान करेंगे लेकिन विनेश अब तक देश की बेटी थीं, अब वो कांग्रेस की बेटी बनना चाहती हैं, तो भला बीजेपी को क्या ऐतराज़ हो सकता है, आज एक बात साफ हो गई कि पहलवानों के आंदोलन के पीछे कांग्रेस थी। जवाब में बजरंग पूनिया ने कहा कि जब वो जंतर-मंतर पर धरना दे रहे थे, तब उन्होंने बीजेपी की महिला सांसदों को चिट्ठी लिखी थी और समर्थन मांगा था, लेकिन तब बीजेपी ने उनका साथ देने के बजाए उन्हें बदनाम किया, इसलिए वो कांग्रेस में आए ताकि इंसाफ की लड़ाई को जारी रख सकें।
विनेश और बजरंग के बारे में बृजभूषण शरण सिंह को बोलने का कोई अधिकार नहीं है। उन्हीं की हरकतों की वजह से पहलवानों को सड़क पर उतरना पड़ा। उन्हीं की धमकियों की वजह से पहलवान बेटियों को संघर्ष करना पड़ा। बृजभूषण के हटने के बाद भी रेसलिंग फेडरेशन का रवैया नहीं बदला, पहलवानों ने कोर्ट में केस भी किया लेकिन वहां भी बृजभूषण ने उन्हें कानूनी दांव पेंच मे फंसा दिया, वो कब तक लड़ते? उन्हें सियासी अखाड़े में उतरना पड़ा। राजनीति के मैदान में आना और चुनाव लड़ना उनकी चॉइस कम और मजबूरी ज्यादा है क्योंकि बृजभूषण शरण सिंह जैसे लोगों ने उनके सामने कोई विकल्प नहीं छोड़ा। बजरंग और विनेश ने कुश्ती के मैदान में देश का नाम रौशन किया, देश के लिए मेडल जीते, इसलिए उनके फैसले का सम्मान होना चाहिए। विनेश ने जिस हिम्मत के साथ बेटियों के सम्मान की लड़ाई लड़ी, फिर सड़क से उठकर पेरिस में ओलंपिक के फाइनल तक का सफर तय किया, इसने उनको यूथ आइकन बना दिया। अगर चुनाव लड़कर विनेश अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूरा करना चाहती हैं तो ये उनका अधिकार है। इस पर कम से कम वो तो खामोश रहें जिनका लोकसभा का टिकट पार्टी ने काट दिया था।