भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का पावन पर्व जन्माष्टमी कल यानी 26 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन रोहिणी नक्षत्र का योग बन रहा है। रोहिणी नक्षत्र सोमवार की रात 09:19 बजे से शुरू होकर अगले दिन मंगलवार की रात 08:23 बजे तक रहेगा। आचार्य राकेश झा ने बताया कि जन्माष्टमी पर मिथिला पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि सोमवार सुबह 08:28 बजे से शुरू हो रहा है, जो अगले दिन मंगलवार की सुबह 06:41 बजे तक रहेगा। वहीं, साधु-संत 27 अगस्त मंगलवार को कृष्णाष्टमी की व्रत और पूजा करेंगे।
ग्रह-गोचरों का बन रहा उत्तम संयोग
ज्योतिषी झा के अनुसार जन्माष्टमी पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं। इसमें जयंती योग, हर्षण योग, बव करण, सोमवार दिन, सर्वार्थ सिद्धि योग के अलावा वृष लग्न के साथ चन्द्रमा वृष राशि के उच्च के रोहिणी नक्षत्र में गोचर करेगा। इस गोचर से गजकेसरी योग और शनि के मूल त्रिकोण राशि कुंभ में गोचर से शश राजयोग बनेगा। जयंती योग में श्रीकृष्ण की आराधना करने का संयोग जन्म-जन्मांतर के पुण्य संचय होने से ही प्राप्त होता है। ऐसे उत्तम संयोग में जन्माष्टमी का व्रत करने और श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाने से श्रद्धालुओं को करोड़ों यज्ञ करने का पुण्य और तीन जन्मों के पाप नष्ट और शत्रुओं का दमन होता है।
जन्माष्टमी पर घर-घर विराजेंगे कान्हा
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर सनातन धर्मावलंबियों के घरों में विधि-विधान से कान्हा का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। सोमवार की मध्यरात्रि में भगवान के बालस्वरूप में कान्हा, लड्डू गोपाल, शालिग्राम का प्राकट्य कराकर गंगाजल और पंचामृत से स्नान कराकर नए वस्त्र, मोर पंख, बांसुरी, माला, गुलाब, कमल, इत्र, कदम्ब से श्रृंगार कर पंजीरी, मिष्ठान, पंचमेवा, माखन-मिश्री, ऋतुफल का भोग फिर आरती होगी।
श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा से उन्नति
पंडित राकेश झा ने कहा कि भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा और जन्माष्टमी का व्रत करने से श्रद्धालुओं को संतान सुख, वैवाहिक सुख, प्रेम की प्रगाढ़ता, सुख-समृद्धि, शांति, उन्नति, आपसी सद्भावना तथा तीन जन्म के पापों से मुक्ति मिल जाती है। भविष्य पुराण के मुताबिक इस व्रत को करने से अकाल मृत्यु,गर्भपात,वैधव्य, दुर्भाग्य और कलह नहीं होते हैं।