मध्य प्रदेश में अब अपराधियों को बक्षा नहीं जाएगा. प्रदेश में बदमाशों पर नकेल कसने के लिए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बड़ा फैसला लिया है. इसके तहत अब अपराधियों तक बेशक पुलिस पहुंचे या न पहुंचे लेकिन उनके पास वारंट, समन और नोटिस व्हाट्सएप सहित अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से जरूर पहुंच जाएगा.
सीएम ने कहा कि मध्य प्रदेश में अपराधियों की खैर नहीं है. नोटिस सहित अन्य कानूनी दस्तावेज अब सोशल मीडिया और टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर भेजे जाएंगे ताकि अपराधियों पर शिकंजा किया जा सके. इसी के साथ व्हाट्सएप, ई-मेल, टेक्स्ट मैसेज से वारंट – समन जारी कराने वाला मध्यप्रदेश पहला राज्य बन गया है.
मध्य प्रदेश बना पहला राज्य
बता दें कि मध्य प्रदेश ऑनलाइन वारंट और समन भेजने वाला देश का पहला राज्य बन गया है. इसके लिए गृह विभाग ने ऑनलाइन समन व वारंट भेजकर उसकी तामील माने जाने वाले नियम भी तैयार कर लिए गए हैं. अब किसी भी फरियादी या गवाह को भेजा गया ऑनलाइन समन उसकी तामील भी मान लिया जाएगा. इसका माध्यम ई-मेल,व्हाट्सएप ,टेक्स्ट मैसेज भी हो सकता है.
कब ऑनलाइन भेजा गया वारंट नहीं होगा मान्य
नए कानून के मुताबिक ऐसे आरोपी, गवाह या फरियादी जो ई-मेल व्हाट्सएप फोन नंबर या किसी में मैसेजिंग एप्लीकेशन का इस्तेमाल नहीं करते हैं तो ऑनलाइन समन या वारंट उनके लिए मान्य नहीं होगा. ऐसी स्थिति में थाने का स्टाफ वारंट या समन तामील करवाएगा, इसके बाद उसकी तस्वीर अपने सॉफ्टवेयर सीसीटीएनएस पर अपलोड करेगा.
कैसे फायदेमंद होगा साबित
दरअसल, वारंट या समन तामील करवाने की प्रक्रिया काफी लंबी होती है, लेकिन अब यह प्रक्रिया सरल हो जाएगी और वारंट या समन की तामील नहीं होने की शिकायतों के आंकड़ों में गिरावट आएगी. अदालतों के फैसले पर भी इसका खासा असर देखने को मिलेगा. साथ ही इससे फैसले भी जल्दी आ सकेंगे.
वाल्मीकि धाम आश्रम पहुंचे थे सीएम
सीएम मोहन यादव मंगलवार (20 अगस्त) की सुबह वाल्मिकी धाम आश्रम पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने राज्यसभा सांसद उमेश नाथ महाराज के साथ पूजा अर्चना की. मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि मध्य प्रदेश में अपराधियों पर लगाम लगाना जरूरी है. ऐसे में अब इस नए कानून के तहत नोटिस सहित अन्य कानूनी दस्तावेज अब सोशल मीडिया और टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर बदमाशों को भेजा जाएगा.