हमास का मिलिट्री चीफ मोहम्मद दाइफ मारा गया। यह दावा गुरुवार, 1 अगस्त को इजराइली सेना ने किया। सेना ने बताया कि गाजा के खान यूनिस में 13 जुलाई को दाइफ को हवाई हमले में मार गिराया गया था।
मोहम्मद दाइफ की मौत की खबर काफी समय से चर्चा में थी, लेकिन इजराइल ने पुष्टि अब की। रिपोर्ट्स के मुताबिक, हमास के जिन 3 बड़े नेताओं ने इजराइल पर हमले में बड़ी भूमिका निभाई थी, उनमें दाइफ भी शामिल था। बाकी 2 नेता हमास का पॉलिटिकल चीफ इस्माइल हानियेह, गाजा का चीफ याह्या सिनवार थे।

इजराइली हमले में 7 बार बचा था दाइफ
इजराइल ने 7 बार दाइफ को मारने की कोशिश की थी, हालांकि उसे सफलता नहीं मिल पाई थी। उसके बार-बार बचने की वजह से उस पर कहावत ‘9 जिंदगी पाने वाली बिल्ली’ सटीक बैठती थी। हमास के 3 बड़े नेताओं में से मोहम्मद दाइफ और इस्माइल हानियेह की मौत हो चुकी है। याह्या सिनवार ही सबसे बड़ा नेता बचा है।
इससे पहले हानियेह 31 जुलाई को तेहरान में एक हमले में मारा गया। इसके बाद से ईरान और इजराइल के बीच जंग का खतरा मंडरा रहा है।
इजराइल के रक्षा मंत्री ने काले रंग से क्रॉस की दाइफ की तस्वीर
इजराइल के रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने दाइफ की मौत की पुष्टि करते हुए कहा कि यह गाजा से आतंक को मिटाने के टारगेट में एक बड़ा कदम साबित हुआ है। इजराइली सेना ने 13 जुलाई को गाजा के ओसामा बिन लादेन ‘दाइफ’ को मार गिराया। अब हम हमास को मिटाने के बेहद करीब पहुंच गए हैं।
गैलेंट ने अपने पोस्ट के साथ एक फोटो भी शेयर की, जिसमें वे दाइफ की तस्वीर को काले मार्कर से क्रॉस करते दिख रहे हैं। गैलेंट ने कहा, “IDF और शिन बेत की टीम के जॉइंट ऑपरेशन से यह साबित हुआ है कि हम अपने मकसद के करीब हैं। अब आतंकियों के पास 2 ही विकल्प बचे हैं, या तो वे सरेंडर कर दें नहीं तो उन्हें मार दिया जाएगा।”

कौन था मोहम्मद दाइफ?
दाइफ 2002 से हमास के मिलिट्री विंग का हेड था। मोहम्मद दाइफ 1965 में गाजा के खान यूनिस कैंप (रिफ्यूजी कैंप) में पैदा हुआ था। उस समय गाजा पर मिस्र का कब्जा था। 1950 में इजराइल में हथियार लेकर घुसपैठ करने वालों में उसका पिता भी शामिल था।
बचपन से ही उसने अपने रिश्तेदारों को फिलिस्तीन की लड़ाई लड़ते हुए देखा था। दाइफ ने गाजा की इस्लामिक यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की। 20 की उम्र के बाद अब तक दाइफ की कोई तस्वीर सामने नहीं आई थी।
हमास की स्थापना 80 के दशक के अंत में हुई। तब दाइफ की उम्र करीब 20 साल थी। ये वो समय था जब वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी पर इजराइल के कब्जे के खिलाफ पहले फिलिस्तीनी इंतिफादा या विद्रोह की शुरुआत हुई थी। इस दौरान दाइफ को आत्मघाती बम विस्फोटों में दर्जनों लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था।
1996 में दाइफ ने करवाया इजराइल पर हमला
इसके बाद 1993 में इजराइल-फिलिस्तीन से हजारों मील दूर अमेरिका में एक समझौता हुआ। इसे दुनिया ओस्लो समझौते के नाम से जानती है। यह शांति समझौता इजराइल और फिलिस्तीनियों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (PLO) के बीच हुआ था। इस समझौते के तहत 10 सितंबर, 1993 को PLO ने इजराइल को मान्यता दे दी।
बदले में इजराइल ने भी बड़ा फैसला लिया। उसने PLO को फिलिस्तीन का आधिकारिक प्रतिनिधि माना, लेकिन हमास को ये बात रास नहीं आई। उसका कहना था कि फिलिस्तीन को वो सारी जमीन वापस की जानी चाहिए जो उसके पास 1948 के अरब-इजराइल युद्ध के पहले तक थी।
ओस्लो समझौते के खिलाफ 1996 में इजराइल में एक अटैक हुआ। इसमें 50 से ज्यादा लोग मारे गए थे। इसका आरोप भी दाइफ पर लगा।

इजराइल का मोस्ट वांटेड जिसे बुलेट प्रूफ लीजेंड कहा जाता था
दाइफ सालों से इजराइल की “मोस्ट वॉन्टेड” लिस्ट में टॉप पर था। अमेरिका का विदेश विभाग उसे आतंकवादी घोषित कर चुका था। अमेरिका के मुताबिक 2014 में जब इजराइल और हमास के बीच जोरदार संघर्ष हुआ, उस दौरान देइफ ने ही हमास की आक्रामक रणनीति बनाई थी।
2014 में, इजराइली सेना ने एक घर पर हमले कर दाइफ को जान से मारने की कोशिश की। इसमें भी वो नाकाम रही। हमले में दाइफ की पत्नी और सात महीने का बेटा और एक 3 साल की बेटी मारी गई।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने सुरक्षा मामलों के एक्सपर्ट और इजराइली पत्रकार रोनेन बर्गमैन के मुताबिक दाइफ हमास का एकमात्र मिलिट्री कमांडर था जो इतने लंबे समय तक जिंदा रहा। इतनी कोशिशों के बावजूद दाइफ के न मारे जाने की वजह से उसे ‘बुलेट प्रूफ लीजेंड’ कहा जाता था।