पश्चिम बंगाल में CBI जांच के खिलाफ ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 1 मई को याचिका लगाई थी। कोर्ट ने 8 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। आज यानी 10 जुलाई को कोर्ट ने याचिका को सुनवाई योग्य माना। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने केंद्र सरकार की उस दलील को खारिज कर दिया कि, यह अर्जी सुनवाई योग्य नहीं है।
कोर्ट ने कहा- बंगाल सरकार ने कानूनी पहलू उठाया है जिस पर विचार किया जाना चाहिए। कोर्ट इस मामले पर 13 अगस्त को अगली सुनवाई करेगा। इसके साथ ही बेंच ने कहा कि, जब राज्य सरकार ने CBI जांच के लिए दी गई अपनी परमीशन को वापस ले लिया तो फिर एजेंसी वहां के मामलों में केस क्यों दर्ज कर रही है।
बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में संविधान के आर्टिकल 131 का हवाला देते हुए याचिका दाखिल की है। इसमें सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र का जिक्र है। इसके मुताबिक केंद्र और राज्यों के बीच के मामलों की सुनवाई सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में की जाती है।
पश्चिम बंगाल और केंद्र के बीच ताजा विवाद संदेशखाली केस के बाद शुरु हुआ। ED ने 5 जनवरी को बंगाल के संदेशखाली में टीएमसी नेता शेख शाहजहां के घर छापा मारा था। इस दौरान अधिकारियों पर पर TMC समर्थकों ने जानलेवा हमला किया था। इसमें तीन अधिकारी घायल हो गए थे। बाद में सामने आया कि शाहजहां ने कई महिलाओं से यौन उत्पीड़न किया है।
केंद्र ने सीबीआई जांच की सिफारिश की, चूंकि राज्य सरकार की परमीशन नहीं थी। इसलिए जांच एजेंसी ने हाईकोर्ट से इजाजत ली। कलकत्ता हाईकोर्ट ने 10 अप्रैल को संदेशखाली केस CBI को सौंपा। हाईकोर्ट के आदेश के बाद CBI ने महिलाओं के यौन शोषण मामले में FIR दर्ज की।
HC के आदेश के बाद ममता सरकार CBI जांच पर रोक नहीं लगा सकती
हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य की ममता बनर्जी सरकार CBI जांच पर रोक नहीं लगा सकती है। दरअसल, राज्य से जुड़े किसी भी मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी CBI की इन्क्वायरी के लिए राज्य सरकार से अनुमति लेनी होती है।
पश्चिम बंगाल सरकार ने 16 नवंबर, 2018 को राज्य में जांच और छापेमारी करने के लिए CBI को दी गई ‘सामान्य सहमति’ वापस ले ली थी। उस समय चिटफंड घोटाले को लेकर ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया था।
अब समझिए CBI को केस कैसे मिलता है

दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के सेक्शन 2 के तहत CBI सिर्फ केंद्र शासित प्रदेशों में सेक्शन 3 के तहत अपराधों पर खुद से जांच शुरू कर सकती है। राज्यों में जांच शुरू करने से पहले सीबीआई को सेक्शन 6 के तहत राज्य सरकार से इजाजत लेना जरूरी है।
CBI को 4 तरह से केस दिया जा सकता है
- केंद्र सरकार खुद CBI जांच का आदेश दे।
- हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट CBI को जांच के आदेश दे।
- राज्य सरकार केंद्र सरकार से CBI जांच की सिफारिश करे।
- किसी केस को लेकर पब्लिक की डिमांड हो। इस केस को भी सरकार ही तय करती है।