कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने मंगलवार को तीन नए आपराधिक कानूनों में राज्य-विशिष्ट संशोधनों का सुझाव देने के लिए एक समिति नियुक्त करने के तमिलनाडु सरकार के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि आपराधिक कानून संविधान की एक समवर्ती सूची का विषय है, जो राज्यों को नए कानून में संशोधन करने के लिए सक्षम बनाता है।
एक जुलाई को लागू हुए कानून
पूर्व गृह मंत्री ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा, ‘मैं इस साल एक जुलाई को लागू हुए तीन आपराधिक कानूनों में राज्य संशोधनों का सुझाव देने के लिए एक समिति नियुक्त करने के तमिलनाडु सरकार के फैसले का स्वागत करता हूं।’
उन्होंने आगे कहा, ‘आपराधिक कानून संविधान की समवर्ती सूची का विषय है और राज्य विधानमंडल नए कानून में संशोधन करने में सक्षम है।’
हितधारकों के साथ परामर्श करने का अनुरोध
चिदंबरम ने कहा, ‘मैं न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) के. सत्यनारायणन की एक सदस्यीय समिति के रूप में नियुक्ति का भी स्वागत करता हूं। मैं समिति से न्यायाधीशों, वकीलों, पुलिस, कानून शिक्षकों, विद्वानों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं सहित सभी हितधारकों के साथ परामर्श करने का अनुरोध करता हूं।’
स्टालिन ने नए आपराधिक कानूनों में संशोधन की सिफारिश के लिए समिति गठित की
बता दें, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने सोमवार को नए आपराधिक कानूनों में राज्य की दृष्टि से विशेष संशोधन की सिफारिश के लिए पहला कदम उठाते हुए उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की एकल समिति गठित करने का आदेश दिया था, जो तीनों कानूनों का अध्ययन करेगी तथा इनमें संशोधनों के लिए राज्य सरकार से सिफारिश करेगी।
स्टालिन ने केंद्रीय कानूनों में राज्य के संशोधनों पर विचार-विमर्श के लिए राज्य सचिवालय में एक उच्च-स्तरीय परामर्शदात्री बैठक की अध्यक्षता करने के बाद अधिकारियों को मद्रास उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एम सत्यनारायणन की एकल समिति गठित करने का निर्देश दिया था।
विज्ञप्ति में कहा गया था, ‘यह समिति नए कानूनों की स्पष्ट रूप से जांच करेगी, राज्य स्तर पर अधिवक्ताओं सहित सभी हितधारकों के साथ परामर्श करेगी और एक महीने के भीतर राज्य सरकार को एक रिपोर्ट (राज्य-स्तरीय संशोधनों पर) सौंपेगी।’