बिहार की बक्सर लोकसभा सीट पर खेल बड़ा दिलचस्प हो चुका है। एक लाइन में कहें तो उम्मीदवारों को अपनों से खतरा है और मुकाबला गैरों से करना है। कुल मिलाकर यहां की सियासी जंग अब सीधी टक्कर के रास्ते से अलग हटकर बहुकोणीय संघर्ष की राह पर उतर गई है। स्थिति यह है कि बक्सर में पिछले तीन दशक से जीत हार का खेल रचने वाले प्रमुख दल भाजपा और राजद को अपने ही वोट बैंक में सेंधमारी का खतरा दिख रहा है। बक्सर की चुनावी जंग अब पांच उम्मीदवारों के आपसी संघर्ष के साथ परवान चढ़ गई है। 2024 लोकसभा चुनाव में बक्सर से भाजपा के मिथिलेश तिवारी, राजद के सुधाकर सिंह, निर्दलीय चुनाव लड़ रहे आनंद मिश्रा, ददन पहलवान के अलावा अब बसपा उम्मीदवार अनिल कुमार चौधरी भी चुनौती देते नजर आ रहे हैं।
बक्सर लोकसभा सीट पर अगड़ी जाति के साथ ओबीसी और एमबीसी (अति पिछड़ी जाति) मतदाता अच्छी खासी तादाद में हैं. बीजेपी ने दो बार के सांसद (साल 2014 और 2019) अश्विनी चौबे का टिकट इस बार काट दिया है. भाजपा ने मिथिलेश तिवारी को अपना प्रत्याशी बनाया है. मिथिलेश तिवारी पिछले 3 से भी ज्यादा दशक से यहां सक्रिय हैं. उनको कैंडिडेट बनाने का पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भी स्वागत किया है. हालांकि, यहां के स्थानीय लोगों खासकर युवाओं में अश्विनी चौबे को लेकर काफी नाराजगी भी है. मिथिलेश तिवारी हर संभव कोशिश में जुटे हैं कि बीजेपी के कोर वोट बैंक में किसी तरह की दरार न आए. उन्होंने नया नारा भी दिया- छोड़ो सारे क्लेश को, सांसद बनाओ मिथिलेश को.
BJP vs RJD में मुख्य मुकाबला
भाजपा के मिथिलेश तिवारी के मुकाबले राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने पार्टी के वरिष्ठ नेता जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है. सुधाकर सिंह भी मिथिलेश की तरह अगड़ी जाति से आते हैं. मिथिलेश जहां ब्राह्मण तो वहीं सुधाकर राजपूत जाति से हैं. ब्राह्मण वोट बैंक के बीजेपी से खिसकने की संभावनाओं से आरजेडी उत्साहित है, लेकिन ओबीसी (जैसे कुशवाहा, यादव) और अति पिछड़ी जातियों (खासकर निषाद) को साधना सुधाकर सिंह के लिए चुनौती बना हुआ है. दरअसल, ददन पहलवान भी आरजेडी के लिए सिरदर्द बने हुए हैं. ददन निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं. यादव वोट बैंक में उनकी अच्छी पैठ मानी जाती है जो आरजेडी का कोर वोट बैंक है. बता दें कि साल 2004 के लोकसभा चुनाव में ददन पहलवान बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे और तकरीबन 1.80 लाख वोट हासिल किया था.
आनंद मिश्रा किसका बिगाड़ेंगे खेल?
पूर्व आईपीएस अधिकारी आनंद मिश्रा भी इस बार बक्सर लोकसभा सीट से अपना भाग्य आजमा रहे हैं. अब सबके मन में यही सवाल उठ रहा है कि आनंद मिश्रा किसका खेल बिगाड़ेंगे भाजपा या फिर राजद का? अश्विनी चौबे से नाराजगी का असर जमीन पर भी देखा जा रहा है. ऐसे में बीजेपी को ब्राह्मण वोट बैंक के खिसकने का डर है. बता दें कि पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बक्सर क्षेत्र में रैली की थी. मिथिलेश तिवारी इससे खासे उत्साहित हैं. बता दें कि साल 2009 का लोकसभा चुनाव छोड़ दें तो साल 1996 से अभी तक भाजपा यहां से जीत हासिल करती रही है. साल 2009 में यहां से आरजेडी के जगदानंद सिंह ने जीत हासिल की थी. बक्सर लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा की 6 सीटें आती हैं- बक्सर, ब्रह्मपुर, दिनारा, रामगढ़, राजपुर और डुमरांव. फिलहाल बक्सर लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली विधानसभा की सभी 6 सीटों पर महागठबंधन का कब्जा है.
ब्राह्मण बहुल क्षेत्र बक्सर से भाजपा के रणनीतिकारों ने पूर्व विधायक मिथिलेश तिवारी को उम्मीदवार बनाया है। मिथिलेश तिवारी को उम्मीदवारी मिलने के साथ ही बक्सर लोकसभा से वर्ष 2014 और 2019 में जीत हासिल करने वाले अश्विनी चौबे ने विरोध शुरू कर दिया। हालांकि वो खुल कर इसे जता नहीं रहे लेकिन टिकट न मिलने की नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। अश्विनी चौबे विरोध में काफी सक्रिय नहीं हैं पर उनके मौन के कई अर्थ निकाले जा रहे हैं।
राजद उम्मीदवार भी कम परेशान नहीं
राजद ने बक्सर लोकसभा से पूर्व कृषि मंत्री और किसान नेता सुधाकर सिंह को चुनावी जंग में उतारा है। सुधाकर सिंह अपने पिता की विरासत संभालने चुनावी जंग में शामिल हुए हैं। पूर्व मंत्री सुधाकर सिंह राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे हैं। ये वही जगदानंद सिंह हैं जिन्होंने वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के धाकड़ नेता और कई बार बक्सर से लोकसभा चुनाव जीत चुके लालमुनि चौबे को परास्त किया था। पर इस बार इनके खेल बिगाड़ने को पूर्व मंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के करीबी ददन पहलवान भी चुनावी जंग में निर्दलीय शामिल हो चुके हैं। ददन पहलवान ने वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में बतौर बसपा उम्मीदवार उतारकर जगदानंद सिंह के मुकाबले को भी त्रिकोणात्मक बना डाला था। तब ददन पहलवान को एक लाख से ज्यादा मत मिले थे। इस बार भी ददन पहलवान बक्सर के चुनावी जंग में उतारकर सुधाकर सिंह के वोट बैंक में ही सेंधमारी करते दिख रहे हैं। अब तो बहुजन समाज पार्टी ने भी बक्सर लोकसभा सीट से चुनावी जंग का एलान करके राजद उम्मीदवार सुधाकर सिंह की बेचैनी बढ़ा दी है। बसपा के बक्सर में लगभग एक लाख से ज्यादा वोटों का जनाधार माना जाता है। इस बार बसपा ने अनिल कुमार चौधरी को उतारा है।
अपने-अपने दांव और अपना-अपना पेंच
यह वर्तमान का सच है कि बक्सर का चुनाव बहुकोणीय हो गया है। भाजपा उम्मीदवार को जहां पीएम मोदी की गारंटी और नीतीश कुमार के सुशासन का भरोसा है, वहीं राजद उम्मीदवार सुधाकर सिंह को राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की चुनावी रणनीति के साथ साथ एमवाई समीकरण का भरोसा है। इसके साथ सीपीआईएम माले और कांग्रेस के कैडर वोट का भी भरोसा है। वैसे बक्सर में चुनाव अंतिम चरण में हैं। इस बीच भाजपा और राजद के रणनीतिकार अपने वोटों में हो रही सेंधमारी के विरुद्ध कितना डैमेज कंट्रोल कर पाते हैं, चुनावी परिणाम इस बात पर निर्भर करेगा।