एनडीए में शामिल पार्टियां कितनी-कितनी सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ेगी, इसकी घोषणा हो चुकी है। लेकिन महागठबंधन में अभी तक पेंच फंसा हुआ है। सीट बंटवारे से पहले आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव सिंबल बांट रहे हैं। इसके अलावा सीपीआई ने भी बेगूसराय से अपने उम्मीदवार अवेधश राय को टिकट दिया।
महागठबंधन में कांग्रेस हो या माले नाराजगी बड़ी है। महागठबंधन के अंदर का तनाव को लालू यादव ने नहीं रोका तो कांग्रेस थैंक्यू बोल सकती है। कांग्रेस के दिल्ली स्तर के कई नेता सीट बंटवारे पर फंसे पेंच को दूर करने में लगे हैं। कई सीनियर नेता लालू यादव से संपर्क कर रहे हैं। फिलहाल महागठबंधन के कोई भी बड़े नेता कैमरे पर कुछ बोलना नहीं चाहते।
लालू-तेजस्वी के सामने यह तय हुआ था
संयुक्त रूप से सीटों और उम्मीदवारों की घोषणा महागठबंधन कर सकती थी, लेकिन लालू यादव ही सब कुछ कर रहे हैं। कांग्रेस या लेफ्ट के नेता मुखर होकर कुछ बोल भी नहीं पा रहे हैं। कांग्रेस नेतृत्व में इतनी ताकत नहीं दिख रही कि वे अकेले चलने का फैसले ले सकें। आरजेडी सुप्रीमो मालिकाना अंदाज में हैं।
गठबंधन में सबको लेकर चलने की शैली कमजोर दिख रही है। साथी पार्टियों से लालू यादव की यही बात हुई थी कि सभी सीटों का ऐलान एक साथ करेंगे। कुछ दिन पहले हुई बैठक में यह तय हुआ था। जिसमें लालू और तेजस्वी यादव भी मौजूद थे। माले तो साफ-साफ कहती रही है कि हम आठ सीटें चाहते हैं। दक्षिण और उत्तर बिहार की जिन सीटों पर माले का दावा है उसका नाम भी सामने आया है।
कन्हैया कुमार को बेगूसराय नहीं दिला पाई कांग्रेस
बेगूसराय की सीट पर कांग्रेस ने स्थिति साफ नहीं की। कन्हैया चुनाव लड़ेंगे यह बात भी किसी बड़े नेता की तरफ से नहीं आई। इस बीच इलेक्शन कमिटी की बैठक में कन्हैया कुमार पटना आए भी थे। कांग्रेस की स्थिति ऐसी है कि प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह को नहीं मालूम कि लालू प्रसाद सिंबल बांट रहे हैं। कांग्रेस को छह सीटों से ज्यादा नहीं दी जा रही। वह 10 सीट चाहती है।
माले को आरा, नालंदा, काराकाट के साथ सीवान और कटिहार भी चाहिए
माले को महागठबंधन में आरा, नालंदा और काराकाट की सीट मिलने की जानकारी है। इसके अलावा सीवान और कटिहार की सीट भी मांग रही है। जबकि आरजेडी सीवान से पूर्व स्पीकर अवध बिहारी चौधरी और कटिहार से अशफाक करीम को उतारना चाहती है। माले चाहती है कि आमने-सामने बैठकर सीटों का मसला सुझलाया जाए।
बता दें, जब माले से राजाराम सिंह को राज्यसभा भेजने का समय था, उस समय माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने फोन कर मनाया था। अखिलेश प्रसाद सिंह के लिए वोट मांगा था। जानकारी है कि माले को कटिहार सीट देने की बात तभी हुई थी। माले ने अखिलेश को राज्यसभा भेजने में मदद की। इसके गवाह तेजस्वी यादव भी रहे हैं, लेकिन कटिहार की सीट भी माले को नहीं मिल रही।
गतिरोध जल्द हल होने की उम्मीद- कुणाल, माले के राज्य सचिव
माले के राज्य सचिव कुणाल कहते हैं कि महागठबंधन के अंदर गतिरोध बना हुआ है। उम्मीद है जल्द ही हल हो जाएगा। कांग्रेस विधायक दल के नेता डॉ.शकील अहमद खान कहते हैं कि भाजपा को हराना हमारी पहली प्राथमिकता है। जो सहयोग नहीं कर रही उनकी खबर जनता लेगी। बड़ी पार्टी की जवाबदेही भी बड़ी होती है।
गठबंधन के साथी एक-दूसरे का सम्मान करते हुए मैदान में रहेंगे
वहीं, आरजेडी के प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद कहते हैं कि एकजुटता के साथ मोदी बनाम मुद्दों के साथ महागठबंधन चुनाव मैदान में जा रही है। गठबंधन के साथी एक-दूसरे का सम्मान करते हुए चुनाव मैदान में रहेंगे।