बिहार के बेगूसराय में पीएम नरेंद्र मोदी की जनसभा समाप्त होते ही बीजेपी ने लोकसभा के लिए 195 सीटों की लिस्ट जारी कर दी। लेकिन, इनमें बिहार के एक भी कैंडिडेट का नाम शामिल नहीं था। इसको लेकर चर्चा है कि NDA में सीट बंटवारे पर अभी भी पेंच फंसा हुआ है।
शनिवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने बिहार में लगभग 6 घंटे बिताए। 2 लाख करोड़ से ज्यादा की योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने मगध के औरंगाबाद और मिथिलांचल के बेगूसराय में जनसभा को भी संबोधित किया।
एनडीए में सीटों का फॉर्मूला भले ही अभी तक सेट नहीं हुआ हो, लेकिन इन 6 घंटों में पीएम मोदी बिहार में चुनाव का एजेंडा सेट कर गए। पीएम ने चुनाव की घोषणा से ठीक पहले बिहार के लिए पार्टी की लाइन क्लियर कर दिया है। यहां बीजेपी नहीं, एनडीए चलेगा। इस बार भी बिहार में जंगलराज बनाम मोदी की गारंटी ही चुनावी मुद्दा होगा। वंशवाद के सहारे बिहार में विपक्ष के नेता के रूप में उभरते तेजस्वी यादव को जवाब दिया जाएगा। साथ ही सामाजिक न्याय की राजनीति का दावा करने वाले लालू और कांग्रेस को परिवारवाद, घोटाला और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेरा जाएगा।
बिहार में राम नहीं सीता का गुणगान होगा
देश भर में भले ही बीजेपी अयोध्या में राम जन्म भूमि मंदिर का मुद्दा जोर-शोर से उठाएगी, लेकिन बिहार में बीजेपी राम से ज्यादा सीता का गुणगान करेगी। दो दिन पहले केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सीतामढ़ी के पुनौरा धाम में पूजा कर इसके संकेत दे दिया है। वहीं आज पीएम ने भी इसे स्पष्ट कर दिया। औरंगाबाद की सभा में मोदी ने कहा कि अयोध्या में रामलला विराजित हुए तो स्वाभाविक है कि सबसे ज्यादा खुशी माता सीता की धरती पर ही मनाई जाएगी। पीएम का इशारा साफ था, बीजेपी बिहार में सीता माता मंदिर के निर्माण के मुद्दे को जोर-शोर से उठाएगी।
लैंड फॉर जॉब्स के मुद्दे को भुनाएगी बीजेपी
नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल हो जाने के बाद अब बीजेपी के लिए लोकसभा चुनाव में राजद से ही मुख्य मुकाबला होगा। कांग्रेस और लेफ्ट जरूर महागठबंधन का हिस्सा है, लेकिन विपक्ष के सबसे ताकतवर नेता अब भी लालू ही हैं। ऐसे में नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर से लालू यादव को उनके कार्यकाल में हुए घोटाले और भ्रष्टाचार पर ही घेरेंगे। बेगूसराय की सभा में पीएम मोदी ने स्पष्ट कर दिया कि लैंड फॉर जॉब्स मुद्दे को चुनाव में बीजेपी जमकर उठाएगी। बेगूसराय की सभा में पीएम मोदी ने कहा कि बिहार में एक परिवार ने युवाओं को नौकरी के बदले जमीने लीं।
कर्पूरी को भारत रत्न देने के पीछे की सियासत
चुनाव से ठीक पहले केंद्र सरकार की तरफ से बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के मुद्दे को भी बीजेपी चुनाव में भुनाएगी। लालू यादव और तेजस्वी लगातार सामाजिक न्याय की बात करते हैं। प्रधानमंत्री ने आज मंच से इसका भी जवाब दिया। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय नहीं, ये परिवारवाद की सियासत करते हैं। सामाजिक न्याय के असली पुरोधा भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर थे और उनके असली वारिस नीतीश कुमार हैं।
महागठबंधन को रैली से पहले जवाब
बिहार में रविवार को महागठबंधन की चुनाव की घोषणा से पहले रैली होनी है। उसके ठीक एक दिन पहले नरेंद्र मोदी ने मनोवैज्ञानिक बढ़त बनाने की कोशिश की है। ऐसा दावा किया जा रहा है कि महागठबंधन की रैली में 5 लाख से ज्यादा लोग शामिल होंगे। इससे पहले दो जगह रैली कर मोदी ने संदेश दिया कि वे बिहार के किसी भी हिस्से में रैली करें, भीड़ हमेशा उनके साथ रहेगी। इसके साथ ही उन्होंने तेजस्वी का नाम लिए बिना 17 महीने बनाम 17 साल का जवाब भी यह कह कर दिया कि वे अपने माता-पिता के शासनकाल का जिक्र करने से क्यों बचते हैं।
मोदी के सामने नीतीश ने किया सरेंडर
2014 से पहले जिस नरेंद्र मोदी के नाम पर नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ वर्षों पुराना रिश्ता खत्म किया था, अब 2024 के चुनाव से पहले उन्होंने मोदी के सामने लगभग पूरी तरह सरेंडर कर दिया है। औरंगाबाद और बेगूसराय दोनों सभाओं में नीतीश कुमार साथ रहें। उन्होंने मोदी के सामने मंच से कहा कि वे इधर-उधर हुए, लेकिन अब परमानेंटली यहां आ गए हैं। उन्होंने कहा कि मोदी इस बार 400 से ज्यादा सीटें जीतेंगे। अपने भाषण में उन्होंने नरेंद्र मोदी का जमकर गुणगान भी किया। बेगूसराय में सीएम ने भीड़ को खड़ा करवा कर पीएम का अभिवादन करवाया। हालांकि, दोनों जगह पीएम नरेंद्र मोदी ने सीएम नीतीश कुमार की बातों को गंभीरता से नहीं लिया। अपने भाषण में एक बार भी इसका जिक्र नहीं किया।
पीएम के मंच पर चिराग का न होना चर्चा का विषय
पीएम नरेंद्र मोदी दोनों सभाओं में भले बार-बार अबकी बार एनडीए सरकार का नारा लगाते रहे हों, लेकिन दोनों सभाओं में मंच पर एलजेपी(आर) के नेता चिराग पासवान का मौजूद नहीं रहना चर्चा का विषय बना रहा। नीतीश कुमार के दोबारा एनडीए में शामिल होने के बाद से उनकी नाराजगी की बातें रह-रह कर सामने आ रही हैं। एनडीए सरकार के शपथ ग्रहण के दौरान भी जेपी नड्डा उन्हें अपने साथ लेकर आए थे। ऐसे में औरंगाबाद की सभा में नीतीश और पीएम के अलावा हम सुप्रीमो जीतन राम मांझी और पशुपति पारस को तो जगह दी गई थी, लेकिन चिराग बिहार आना भी मुनासिब नहीं समझे। पीएम बिहार में थे और सूत्रों की माने तो चिराग पासवान दिल्ली में थे।
अब समझिए औरंगाबाद और बेगूसराय में सभा क्यों
योजनाएं तो बहाना था, सवर्णों को साधना था
औरंगाबाद और बेगूसराय दोनों को सवर्णों का गढ़ कहा जाता है। यहां फिलहाल भले बीजेपी के सांसद हों, लेकिन विधानसभा में पार्टी की स्थिति उतनी मजबूत नहीं है, जितनी होनी चाहिए। औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा की 6 सीटें पड़ती हैं। इनमें 4 राजद-कांग्रेस के पास है। मात्र दो सीट पर हम के उम्मीदवार जीते हैं। वहीं बेगूसराय के 7 में से 2 विधायक बीजेपी के हैं। बाकी 5 पर सीपीआई और राजद का कब्जा है।
बेगूसराय में पहले दो भूमिहार गिरिराज सिंह और राकेश सिन्हा के बीच टिकट पाने के होड़ की चर्चा है। नीतीश कुमार के एनडीए में आने के बाद सवर्णों की नाराजगी की बात भी गाहे-बगाहे आते रहती है। ऐसे में पीएम ने अपनी सभा के माध्यम से इन सभी को साधने की कोशिश की है।