बिहार में एनडीए नीत सरकार के बनते ही इस सरकार को गिराने का खेल शुरू हो गया है। इस खेल को तब और बल मिल गया जब पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा खेला तो अभी बाकी है। अभी खेल उधर से शुरू हुआ तो अंत इधर से होगा। लेकिन जैसे-जैसे नई सरकार आगे बढ़ते जा रही है, तेजस्वी यादव के खेला को विराम मिलते दिख रहा है। जिस टूट फूट या विधायकों की अनुपस्थिति को लेकर दावे किए जा रहे थे वह अब क्रियान्वित होते नहीं दिख रहा है। लेकिन महागठबंधन की कोशिश अभी कम नहीं हुई है।
क्या है महागठबंधन का गेम प्लान?
हाल के राजनीतिक हालत और महागठबंधन के कुछ शीर्ष नेताओं के बयानों पर गौर करें तो पिक्चर कुछ कुछ क्लियर होते दिख रहा है। दरअसल, पहले मिशन 16 का दावा किया गया। इसके तहत 16 वैसे विधायकों की तलाश हो रही थी जो लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं या फिर मंत्री की तमन्ना रखते हो। चर्चा यह है कि यह एक बड़ा नंबर साबित हुआ।
फिर बना प्लान B
प्लान बी के बारे में यह कहा जा रहा था कि नीतीश हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के चार विधायकों के साथ निर्दलीय विधायक सुमित सिंह को मिलाने की कोशिश जारी रही। साथ इसके 7 से 8 विधायक को अनुपस्थित रह जाने के खेल को अंजाम दिया जायेगा। पर यह भी जब होता नहीं दिख रहा है। तो अब प्लान सी पर काम हो रहा है।
क्या है प्लान सी?
पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर को अभी भी लगता है कि एनडीए सरकार फ्लोर पर बहुमत साबित नही कर पाएगी। प्रो. चंद्रशेखर का मानना है कि सदन में अंतरात्मा के आवाज पर वोटिंग होगी और सरकार सदन में परास्त होगी। बिहार में अभी कई ऐसे विधायक हैं, जिनका जमीर अभी बचा है। और ये विधायक राज्य में सामजिक न्याय और सेक्युलरिज्म के पक्ष में मतदान कर नफरत फ़ैलाने वाली पार्टी को सत्ता से बाहर करने में अपना योगदान देंगे।