बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनी एनडीए सरकार विधानसभा में 12 फरवरी को बहुमत साबित करने वाली है। विधानसभा के आंकड़ों को देखें तो साफ लगता है कि सत्ताधारी गठबंधन बहुमत का आंकड़ा आसानी से पार कर लेगा। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि इस स्थिति में महागठबंधन में शामिल कांग्रेस को अपने अधिकांश विधायकों को हैदराबाद शिफ्ट करने की जरूरत क्यों पड़ी? दरअसल, नीतीश कुमार के फिर से एनडीए में शामिल होने के बाद भाजपा ने दावा किया था कि कांग्रेस के 10 विधायक उनके संपर्क में हैं। कुछ दिनों के बाद लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। नीतीश कुमार के एनडीए में फिर से जाने के बाद महागठबंधन में शामिल दलों की सबसे बड़ी चुनौती न केवल गठबंधन में एकजुटता बनाए रखने की है, बल्कि, अपने दलों को बिखराव से रोकना भी है।
‘रिस्क लेने से बच रही कांग्रेस’
बिहार की राजनीति को नजदीक से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार सुरेंद्र किशोर भी कहते हैं कि कांग्रेस को अपने विधायकों के पाला बदलने का डर सता रहा होगा, इस कारण उन्हें अन्य जगहों पर भेज दिया गया। क्योंकि, कुछ ही समय के बाद लोकसभा चुनाव भी होने वाले हैं, ऐसी स्थिति में विधायकों का पाला बदलने का खतरा सबसे अधिक होता है। आज की राजनीति में विधायकों के पाला बदलने की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस स्थिति में कोई भी ‘रिस्क’ लेने से कांग्रेस बच रही है और पार्टी में एकजुटता भी साबित कर रही है।
19 में से 16 विधायक हैदराबाद में
बिहार में कांग्रेस के 19 विधायक हैं, जिनमें से 16 विधायकों को रविवार को हैदराबाद शिफ्ट कर दिया गया है। हैदराबाद नहीं गए कांग्रेस के विधायक सिद्धार्थ सौरव का भी मानना है कि अभी कोई कारण समझ में नहीं आता है कि विधायकों को क्यों ले जाया गया? उन्होंने ये भी कहा कि हो सकता है कि सरकार बनी है, इसलिए घुमाने ले गए होंगे। मेरी समझ से अभी कोई कारण नहीं लगता है कि विधायकों को ले जाया जाए।
एनडीए के पास बहुमत- कांग्रेस विधायक
विधायकों के टूटने की आशंका से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि टूट की संभावना या प्रयास तब होता है, जब बहुमत नहीं हो। एनडीए के पास बहुमत है और ये कोई अभी की बात नहीं है, इससे पहले भी जदयू जिधर गई, उधर बहुमत हो गया। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता मनोज शर्मा कहते हैं कांग्रेस को अपने विधायकों पर भरोसा नहीं है। ऐसे भी कांग्रेस के विधायकों को अब उस पार्टी में अपना भविष्य सुरक्षित नहीं लगता होगा तो वे नया ठिकाना तलाश करेंगे ही।
सिद्धार्थ, आबिदुर और दुबे जी नहीं गए हैदराबाद, बिहार कांग्रेस में अब भी ‘ऑपरेशन लोटस’ का डर!
बिहार में ‘खेल’ होने के डर से कांग्रेस के 16 विधायकों को हैदराबाद शिफ्ट किया गया। बिहार में कांग्रेस के 19 विधायक हैं। तीन विधायक सिद्धार्थ सौरव, आबिदुर रहमान और विजय शंकर दुबे नहीं गए हैं। 12 फरवरी को सदन में फ्लोर टेस्ट होना है। जहां बीजेपी और जदयू को बहुमत साबित करना होगा। लेकिन बिहार की राजनीति में इस वक्त लालू प्रसाद यादव और आरजेडी एक बड़ा फैक्टर हैं। आरजेडी के पास इस वक्त 79 विधायक हैं। विधायकों के गणित में राजद की कोशिश बीजेपी और जदयू के गठबंधन को फेल करने की होगी। पटना में मौजूद कांग्रेस के विधायक सिद्धार्थ सौरव ने बात की। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस के विधायक इंटैक्ट हैं।
कांग्रेस विधायकों के टूटने की अफवाह’
सिद्धार्थ सौरव ने कहा कि विधायकों के टूटने का डर है, इसलिए कांग्रेस के विधायक हैदराबाद में हैं। उन्होंने ये भी सवाल उठाया कि बिहार में पिछले 30 वर्षों से जोड़-तोड़ की राजनीति चल रही है। स्पष्ट बहुमत की सरकार न होने की वजह से विधायकों के टूटने का खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा कांग्रेस और बीजेपी को भी जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना है कि ये अफवाह फैलाई जा रही है कि कांग्रेस के विधायक टूट सकते हैं। लेकिन बड़ा सवाल ये भी है कि जब सभी विधायक हैदराबाद में हैं तो वो पटना में क्या कर रहे हैं?
बिहार में 30 साल से जोड़-तोड़ की राजनीति
कांग्रेस विधायक सिद्धार्थ सौरव ने कहा की बिहार में जो जोड़-तोड़ की राजनीति चल रही है उसके लिए बीजेपी, कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल और जेडीयू सभी पार्टियां दोषी हैं। उन्होंने अपनी बात स्पष्ट तौर पर रखते हुए कहा की जब नीतीश कुमार, राष्ट्रीय जनता दल और महागठबंधन के साथ गए तो राष्ट्रीय जनता दल ने भी उन्हें स्वीकार किया। अब वो बीजेपी के साथ हैं, इसलिए अब बहुमत दूसरी तरफ है। बिहार में इस तरह की गठजोड़ वाली राजनीति के लिए सभी पार्टियों जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस और राजद ने नीतीश को लेने से इनकार कर दिया होता तो आज विधायकों के टूटने का डर नहीं बना होता। लेकिन बिना जेडीयू के टूटे इंडिया गठबंधन की सरकार बने, बिहार में संभव नहीं है। कोई भी दल बिहार में अकेले सत्ता हासिल नहीं कर सकता है।
बिहार में 12 फरवरी को विश्वास मत
रविवार को बिहार में कांग्रेस के अधिकांश विधायकों को दिल्ली से हैदराबाद ले जाया गया। बताया जा रहा है कि पार्टी के कुल 19 विधायकों में 16 विधायकों को हैदराबाद के बाहरी इलाके रंगारेड्डी जिले के एक रिसॉर्ट में ले जाया गया और उनके 11 फरवरी तक वहां रहने की संभावना है। हाल ही में बनी एनडीए की सरकार को 12 फरवरी को बिहार विधानसभा में विश्वास मत हासिल करना है।