बिहार की सियासत का कोण बदलने लगा है। जबसे सत्ता में जेडीयू के साथ बीजेपी आई है। बीजेपी के निशाने पर कांग्रेस और उनके नेता राहुल गांधी बन गए है। दिलचस्प यहां यह है कि जिस कांग्रेस को नीतीश कुमार नरेंद्र मोदी को अपदस्थ करने के लिए जरूरी समझते थे, वही कांग्रेस आज उनके निशाने पर है। जानिए हमले के वे बिंदु जिनके सहारे कांग्रेस को लोकतंत्र का विलेन बताया जाने लगा है।
झूठ बोल रहे हैं राहुल : नीतीश
एनडीए की सरकार में मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार ने चुप्पी तोड़ते जो राजनीतिक बयान दिए वाह सीधे सीधे राहुल गांधी पर निशाना था। दरअसल, नीतीश कुमार राहुल गांधी के उस बयान पर बिफर पड़े जिसमें उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने मेरे दवाब पर जातीय सर्वे कराया। पलटवार करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि काम मैंने किया, क्रेडिट वह ले रहे हैं। जो लोग आज क्रेडिट लेते घूम रहे हैं वो सब झूठे हैं। ये सब काम हमनें ही शुरू किया था और हमने ही पूरा किया है।
पिछड़ा विरोधी रहा कांग्रेस: सुशील मोदी
कांग्रेस का इतिहास पिछड़ा विरोधी रहा है और जिनके पिता राजीव गांधी ने मंडल आयोग की रिपोर्ट लागू करने का विरोध संसद में खड़े होकर किया था, वे आज किस मुंह से बिहार में जातीय सर्वे कराने का श्रेय लेने की बात कह रहे हैं? राहुल गांधी बतायें कि कांग्रेस ने मंडल आयोग की रिपोर्ट को 10 साल तक क्यों दबाये रखा था? उनकी पार्टी ने पिछड़े समाज के सीताराम केसरी को बुरी तरह अपमानित कर अध्यक्ष-पद से हटाया था।
बिहार में जातीय सर्वे कराने का निर्णय एनडीए सरकार का था और बीजेपी ने हर स्तर पर इसका समर्थन किया, जबकि आरजेडी और कांग्रेस के लोग इसका श्रेय हड़प लेना चाहते हैं। हिमाचल प्रदेश में एक साल से कांग्रेस की सरकार है, लेकिन वहां जातीय सर्वेक्षण कराने का निर्णय क्यों नहीं हुआ? तेलंगाना में पार्टी सत्ता में आने के बाद जातीय सर्वे पर क्यों चुप्पी साध गई?
पप्पू हैं पप्पू ही रहेंगे: ललन सिंह
जाति आधारित गणना राहुल गांधी के दबाव में नीतीश कुमार ने कराई, इससे बड़ा असत्य हो ही नहीं सकता। नीतीश कुमार कभी किसी के दबाव में काम नहीं करते हैं। जाति आधारित गणना, नीतीश कुमार का निश्चय था और यह मुद्दा नीतीश कुमार ने स्वर्गीय वीपी सिंह जी के प्रधानमंत्रित्व काल में भी उठाया था, जब आपका राजनीतिक उदय भी नहीं हुआ था। देश की राजनीति में कुछ पाने के लिए असत्य कथन का सहारा मत लीजिए। यही कारण है कि आपकी कांग्रेस पार्टी दिनों-दिन सिकुड़ती जा रही है। एक बात और आप ‘पप्पू’ हैं, ‘पप्पू’ ही रहेंगे।
ललन सिंह, सांसद (जेडीयू)
प्लान 5 फैक्टर
1. ज्यादा लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ना: जेडीयू के महागठबंधन से निकलने के बाद कांग्रेस की दावेदारी ज्यादा लोकसभा सीटों पर होगी। इन सारी सीटों पर एनडीए के उम्मीदवार को वन टू वन इंडिया गठबंधन से लड़ना पड़ेगा।
2. सवर्ण पर साधा निशाना: कांग्रेस बीजेपी के भीतर उदय हुई पिछड़ों की राजनीति को उभार कर अपने पारंपरिक वोट सवर्ण की किलाबंदी करने लगी है। संगठन से लेकर सदन में कांग्रेस सवर्ण की भागीदारी बढ़ाने जा रही है। कांग्रेस के अध्यक्ष अखिलेश सिंह को बनाना भी बीजेपी के लिए खतरे की घंटी थी। यही वजह भी है कि आरजेडी और कांग्रेस का बढ़ता भूमिहार प्रेम का जवाब बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने विजय सिन्हा को डेप्युटी सीएम बनाया।
3. दलित भी कांग्रेस के निशाने पर: बिहार विधान सभा में पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को सीएम नीतीश कुमार की ओर से अपमानित करने का मुद्दा बीजेपी ने जिस तरह से पांच राज्यों के चुनाव में उठाया और लाभ भी लिया, अब उस मुद्दे को कांग्रेस ने थाम लिया है। यही वजह भी है कि राहुल गांधी ने बिहार में प्रवेश करते ही दलित बस्तियों का विशेष ध्यान रखा। उनसे बात की। उसके साथ बैठे, चाय पी और यह सब करने के पीछे कांग्रेस यह बताना चाह रही है कि आपका पुराना घर कांग्रेस है।
4. मुस्लिम मतों की घेराबंदी: सीमांचल से शुरू हुई कांग्रेस की यात्रा के विशेष मकसद है। दरअसल, महागठबंधन मुस्लिम मतों की पूरी तरह से घेराबंदी करना चाहती है। कांग्रेस अब आरजेडी के प्रभाव के साथ मुस्लिम मतों में बिखराव को रोकने चाहती है। इसलिए बिहार और खासकर सीमांचल से राहुल गांधी की यात्रा इस प्लान की शुरुआत है।
5. ओवैसी फैक्टर: मुस्लिम मतों का एक बड़ा हिस्सा ओवैसी की पार्टी ले जाती है। यह महागठबंधन के लिए सबसे बड़ा खतरा है। कांग्रेस इसे बीजेपी की बी टीम कह कर प्रचारित भी करते रही है। राहुल गांधी ने ओबेसी फैक्टर पर भी भाषण को केंद्रित किया।