दुनिया के कई हिस्सों में चल रहे भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक झटकों के चलते दुनियाभर की अर्थव्यवस्था को लगातार झटका लग रहा है। यही वजह है कि सोमवार को जारी विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की एक रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया की आर्थिक सुस्ती 30 सालों में सबसे बुरे दौर की तरफ बढ़ रही है यह चिंता की बात है। विश्व नेताओं की अपनी वार्षिक बैठक से पहले ‘फ्यूचर ऑफ ग्रोथ’ 2024 रिपोर्ट में कहा कि मंदी जलवायु संकट और कमजोर होते सामाजिक करार सहित कई परस्पर जुड़ी वैश्विक चुनौतियों को और बढ़ा रही है, जो संयुक्त रूप से वैश्विक वृद्धि में प्रगति को उलट रही हैं।
नए दृष्टिकोण का आह्वान
खबर के मुताबिक, रिपोर्ट में आर्थिक वृद्धि के लिए एक नए दृष्टिकोण का आह्वान किया गया जो दीर्घकालिक स्थिरता और समानता, गति और गुणवत्ता की जांच के साथ दक्षता को संतुलित करे। रिपोर्ट के मुताबिक, 107 अर्थव्यवस्थाओं में ग्रोथ क्वालिटी का विश्लेषण करते हुए पाया गया कि हाई इनकम वाली अर्थव्यवस्थाएं इनोवेशन और समावेशन पर सबसे अच्छा प्रदर्शन करती हैं, जबकि कम आय वाली अर्थव्यवस्थाएं स्थिरता पर। डब्ल्यूईएफ की प्रबंध निदेशक सादिया ज़ाहिदी ने कहा कि प्रमुख चुनौतियों से निपटने के लिए वैश्विक वृद्धि बहाल करना जरूरी होगा। हालांकि सिर्फ ग्रोथ ही पर्याप्त नहीं होगी।
नई राह तैयार करना है मकसद
रिपोर्ट आर्थिक वृद्धि का आकलन करने के लिए एक नए तरीके का प्रस्ताव रखती है जो दीर्घकालिक स्थिरता, लचीलेपन और निष्पक्षता के साथ-साथ वैश्विक और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ संरेखित करते हुए भविष्य के लिए इनोवेशन के साथ दक्षता को संतुलित करता है। डब्ल्यूईएफ ने अपनी ‘फ्यूचर ऑफ ग्रोथ’ पहल भी शुरू की। इस दो साल की पहल का मकसद आर्थिक वृद्धि के लिए एक नई राह तैयार करना, साथ ही संतुलित वृद्धि, इनोवेशन, समावेशन, स्थिरता आदि के सर्वोत्तम रूट्स की पहचान करने में अर्थशास्त्रियों और दूसरे विशेषज्ञों के साथ मिलकर दुनिया भर के नीति निर्माताओं का समर्थन करना है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकतर देश ऐसे वृद्धि कर रहे हैं जो न तो टिकाऊ और न ही समावेशी हैं। इनकी नवाचार करने या उसका लाभ उठाने की क्षमता सीमित हैं और वैश्विक झटकों से निपटने में उनके योगदान और संवेदनशीलता को कम करती है।