इंडी गठबंधन की निर्णायक बैठक शनिवार (13 जनवरी) को होने जा रही है। बैठक में नीतीश कुमार, शरद पवार, उद्धव ठाकरे, समेत 14 राजनीतिक दलों के नेताओं को सूचित किया गया है। बैठक सुबह 11.30 बजे आरंभ होगी। बैठक वर्चुअल है, इसलिए उम्मीद है कि सभी नेता जरूर शामिल होंगे। बैठक में दो महत्वपूर्ण मुद्दों पर अंतिम फैसला होने की उम्मीद है। दरअसल, पिछली बैठक में गठबंधन ने पीएम कैंडिडेट तो तय कर लिया, लेकिन लंबे वक्त से लटके संयोजक के रूप में किसी का चयन नहीं किया था। अलायंस की अब तक चार बैठकें हो चुकी हैं। पहली बैठक पटना में 23 जून को बिहार के सीएम नीतीश कुमार की पहल पर हुई थी। तब से ही संयोजक का मामला लटका हुआ है। हर बैठक के पहले यह चर्चा जोर-शोर से होती है कि इस बार संयोजक का नाम घोषित हो जाएगा, लेकिन अब तक इस पर कोई निर्णय नहीं हो पाया है। नीतीश कुमार को संयोजक बनाने की मांग उनकी पार्टी जेडीयू भी करती रही है। अब तक संयोजक न बनाए जाने से नीतीश कुमार की नाराजगी की खबरें भी आती रही हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार भी संयोजक का नाम तय होता है या हर बार की तरह यह मौका भी हाथ से निकल जाएगा।
संयोजक पद के लिए नीतीश कुमार दावेदार
कांग्रेस की सलाह पर नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों को एकजुट किया। इसके लिए वे तमाम बड़े विपक्षी नेताओं से जाकर मिले। उन्हें एक साथ आने के लिए तैयार किया। कांग्रेस से कभी जिनकी पटरी नहीं बैठी, वैसे दलों को भी एक साथ बिठाने का श्रेय नीतीश कुमार को ही जाता है। आम आदमी पार्टी (AAP) और तृणमूल कांग्रेस (TMC) की कभी कांग्रेस से नहीं बनी। टीएमसी नेता और बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी विपक्षी एकता की कोशिश की थी। हालांकि वे बिना कांग्रेस विपक्षी एकजुटता की पक्षधर थीं। ऐसे विपरीत मिजाज वाले नेताओं को भी नीतीश ने एक टेबल पर बैठने को राजी कर लिया था। यही वजह है कि शुरू से ही यह माना जाता रहा कि नीतीश कुमार ही विपक्षी गठबंधन के संयोजक होंगे। इसके बावजूद अभी तक संयोजक बनाने का मामला टलता रहा है। पिछली बैठक में तो ममता बनर्जी ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए प्रस्तावित कर दिया। अरविंद केजरीवाल ने उसका समर्थन किया। संयोजक पद पर सबने चुप्पी साध ली।
संयोजक नहीं बनाए जाने से नीतीश नाराज
हालांकि नीतीश कुमार ने कभी खुल कर संयोजक न बनाए जाने पर अपनी नाराजगी जाहिर नहीं की, लेकिन उनके हाव-भाव से यह अनुमान लगाया जाता रहा है कि वे नाराज हैं। उनकी नाराजगी दो मौकों पर झलकी। विपक्षी गठबंधन की पिछली बैठक में वे प्रेस कांफ्रेंस में शामिल हुए बगैर पटना लौट गए थे। उन्होंने अपनी पार्टी के अध्यक्ष ललन सिंह को भी उसके बाद चलता कर दिया। कयास लगे कि नीतीश ने ललन सिंह को इसलिए हटाया है कि वे अपनी बात ठीक से बैठक में नहीं रख पाए। नीतीश की नाराजगी की दूसरी झलक तब मिली, जब उन्होंने अकेले यूपी, झारखंड, हरियाणा और पश्चिम बंगाल में रैलियों की योजना बना ली। हालांकि इनमें यूपी और झारखंड की रैलियां टाल दी गई हैं। नीतीश की नाराजगी इस बात के लिए भी कई बार दिखी कि सीटों के बंटवारे में कांग्रेस बेवजह विलंब कर रही है।
नीतीश अब भी चूके तो बदल सकते हैं राह
सियासी गलियारे में यह भी चर्चा है कि नीतीश कुमार को अगर इस बार भी संयोजक नहीं बनाया गया तो वे अपनी राह बदल सकते हैं। एनडीए के प्रति उनके झुकाव के संकेत तो पहले से ही मिलते रहे हैं। अगर इसी आधार पर उन्होंने राह बदल ली तो आश्चर्य की बात नहीं होगी। प्रसंगवश यह जिक्र उचित है कि नीतीश कुमार ने विपक्षी एकता की पहल के दौरान ही यह स्पष्ट कर दिया था कि वे पीएम पद के दावेदार नहीं हैं। उसके बाद से यह संभावना जताई जाने लगी थी कि उन्हें गठबंधन में संयोजक बनाया जाएगा। उसके बाद से ही हर बैठक के पहले यह चर्चा जोर पकड़ने लगती है कि नीतीश इस बार संयोजक जरूर बन जाएंगे। नीतीश की नाराजगी की खबरों के बीच ये सूचनाएं भी आई थीं कि उन्हें मनाने की कोशिश हो रही है। राहुल गांधी ने उन्हें फोन किया है। मल्लिकार्जुन खरगे ने उनसे बात की है। यूटीबीटी के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी उन्हें मनाने की कोशिश की है। उद्धव ने इस मुद्दे पर ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल से भी चर्चा की है।
सीट शेयरिंग का पेंच भी सुलझने की उम्मीद
गठबंधन के जिम्मे दूसरा महत्वपूर्ण काम सीटों के तालमेल का है। कांग्रेस ने बारी-बारी से सभी दलों के साथ बातचीत की है। सीट शेयरिंग की समस्या को सुलझाना गठबंधन की प्राथमिकता होगी। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच तनातनी की स्थिति है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी कांग्रेस को दो सीटों से ज्यादा देने को तैयार नहीं है। बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ममता की आलोचना करने में भाजपा से भी एक कदम आगे निकल जाते हैं तो ममता भी कांग्रेस को काबू में रखने के लिए पैंतरेबाजी से बाज नहीं आतीं। बिहार में सीटों को लेकर पहले से ही बयान वाण चल रहे हैं। जेडीयू के नेता पिछली बार की तरह 17 सीटों पर अड़े हैं तो कांग्रेस नौ-ग्यारह के दावे कर रही है। वाम दल आठ सीटों की मांग कर रहे हैं। आरजेडी भी जेडीयू से कम सीटों पर तैयार नहीं। ऐसे में सीटों का पेंच सुलझाना विपक्षी गठबंधन के लिए आसान नहीं है।
कब-कब और कहां-कहां हुई I.N.D.I.A की बैठक
जून 2023 से लेकर अब तक इंडी अलायंस की चार बैठकें हो चुकी हैं। पहली बैठक पटना, दूसरी बेंगलुरु, तीसरी मुंबई और चौथी दिल्ली में हुई थी। पहली बार तकरीबन डेढ़ दर्जन विपक्षी दलों की बैठक 23 जून 2023 को हुई थी। दूसरी बैठक बेंगलुरु में 17 और 18 जुलाई 2023 और तीसरी बैठक 31 अक्टूबर और एक सितंबर को हुई थी। चौथी बैठक दिसंबर में दिल्ली में हुई। इन बैठकों में अभी तक तीन ही फैसले हुए हैं। विपक्षी गठबंधन का नाम तय हुआ और सीटों के बंटवारे के लिए राज्य की लीड रोल में रहीं विपक्षी पार्टियों को जिम्मेवारी दी गई। तीसरा बड़ा फैसला पीएम फेस को लेकर हुआ। हालांकि मल्लिकार्जुन खरगे नाम पीएम पद पर चुनाव बाद फैसले की बात कही।