आगामी लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) में कांग्रेस, तृणमूल, लेफ्ट समेत कई विपक्षी राजनीतिक दलों ने केंद्र की बीजेपी सरकार को हराने के लिए इंडिया अलायंस का गठन किया है। इस बीच बंगाल में एक अलग ही तस्वीर देखने को मिली है। बंगाल में लेफ्ट और बीजेपी ने गठबंधन कर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) को हरा दिया है। हालांकि विजेताओं का कहना है कि यह कोई आधिकारिक गठबंधन नहीं है।
लेफ्ट की ओर से निरंजन मंडल ने कहा कि 63 सीटें थीं। यह उन लोगों का गठबंधन है जो पारदर्शिता और ईमानदारी चाहते हैं। कोई आधिकारिक गठबंधन नहीं है। यह लोगों का गठबंधन है। परेशचंद्र पाणिग्रही नामक व्यक्ति ने कहा कि यह सभी के लिए एक सहज जीत है। सभी ने मिलकर इसे जीता। ऐसा कोई गठबंधन नहीं था। मैंने अपने अच्छे लोगों को चुना, जो इस सहकारिता की रक्षा कर सकें। तृणमूल के अलावा सभी राजनीतिक दलों ने अपने उम्मीदवार उतारे थे।
संटू जाना नाम के एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि यहां तृणमूल को छोड़कर सभी राजनीतिक दलों ने मिलकर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी। लोगों ने उन लोगों को करारा जवाब दिया है जिन्होंने यह साबित करने की कोशिश की है कि यह बोर्ड भ्रष्ट है। लोगों ने स्वत:स्फूर्त होकर वोट किया, यह जनता की जीत है। सत्य की जीत है। हम चाहते हैं कि यह बोर्ड बेहतर हो।
उधर, इस नतीजे के बाद अमृतबेरिया क्षेत्र के तृणमूल प्रभारी और महिषादल ब्लॉक महासचिव चित्रलाल मैती ने कहा कि सहकारिता वामपंथ के कंट्रोल में थी। हमने कई सीटें बढ़ाई हैं। ‘राम-बाम’ गठबंधन ने जमीन पर लड़ाई लड़ी। हमने अकेले लड़कर 63 में से 29 सीटें जीतीं। इसका असर लोकसभा पर नहीं पड़ेगा।
‘इंडिया’ गठबंधन कितना प्रभावी होगा?
यह महज संयोग है कि विपक्षी दलों ने आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए ‘इंडिया’ गठबंधन बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसमें तृणमूल के साथ लेफ्ट और कांग्रेस भी है। लेकिन फिर भी ऐसी स्थिति में गठबंधन राज्य में कितना प्रभावी होगा? इसे लेकर राजनीतिक विश्लेषकों के एक वर्ग के मन में सवाल उठने लगे हैं।