संसद भवन में भारी सुरक्षा चूक के मामले में गिरफ्तार किए गए छह लोगों पर आतंकवाद विरोधी कानून, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत आरोप लगाए गए हैं. युवक अपने जूते में कुछ स्प्रे छिपाकर लाए थे. स्प्रे करते ही सदन में पीला धुआं फैलने लगा. सांसदों ने दोनों को पकड़ लिया और उनकी पिटाई की.
मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :
- छह आरोपियों में सागर शर्मा और डी मनोरंजन शामिल हैं, जिन्होंने लोकसभा के अंदर पीले धुएं वाले कैन का इस्तेमाल किया था. वहीं, नीलम देवी और अमोल शिंदे ने संसद के बाहर लाल और पीले रंग के कैन से धुआं उड़ाए.
- गिरफ्तार किए गए अन्य आरोपी ललित झा और विक्की शर्मा हैं, दोनों गुड़गांव के रहने वाले हैं. ललित झा ने कथित तौर पर एक वीडियो शूट किया था, जिसमें अन्य आरोपी धुएं के कैन छिपा रहे थे. ये शख्स अन्य सभी के सेलफोन लेकर भाग गया. विक्की शर्मा ने कथित तौर पर अन्य आरोपियों को शरण दी.
- सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली पुलिस की अब तक की जांच में पता चला है कि सभी आरोपी भगत सिंह फैन क्लब नाम के सोशल मीडिया ग्रुप से जुड़े हुए थे. हालांकि, इनका क्या मकसद था, इसका खुलासा अभी तक नहीं हो पाया है. बताया जा रहा है कि आरोपी करीब डेढ़ साल पहले मैसूर में मिले और योजना को आगे बढ़ाने पर चर्चा की. लगभग नौ महीने पहले एक और बैठक हुई, जब आरोपियों ने पूरे हमले की योजना बनाई.
- UAPA कानून… गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम यानी यूएपीए को आतंकी गतिविधियों पर नकेल कसने के लिए लाया गया था. यूएपीए की धारा-15 आतंकी गतिविधि को परिभाषित करती है. इसके तहत कम से कम 5 साल और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है. अगर आतंकी घटना में किसी की जान चली जाती है, तो दोषी व्यक्ति को सजा-ए-मौत या फिर आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है.
- सूत्रों ने बताया कि सागर शर्मा इसी जुलाई में लखनऊ से दिल्ली आए थे. इस यात्रा के दौरान, वह संसद में प्रवेश नहीं कर सके, लेकिन उन्होंने बाहर से ही इसकी निगरानी की और सुरक्षा जांच को ध्यान से देखा. कल की योजना को अंजाम देने के लिए आरोपी इस रविवार को दिल्ली पहुंचे. वे गुरुग्राम में विक्की के घर पर रुके थे.
- पता चला कि अमोल शिंदे अपने गृहराज्य महाराष्ट्र से अपने साथ धुएं के कैन लेकर आए थे. इंडिया गेट पर एक बैठक के दौरान समूह के सदस्यों के बीच कैन बांटे गए. इसके बाद पूरी योजना को अंजाम देने के लिए सफर शुरू किया गया.
- सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि सभी छह लोग संसद के अंदर जाना चाहते थे, लेकिन केवल सागर शर्मा और मनोरंजन ही पास पाने में कामयाब रहे. दोनों कल दोपहर में संसद में दाखिल हुए. इसके बाद उन्होंने बड़ी चालाकी से पूरी घटना को अंजाम दिया.
- बुधवार दोपहर को लोकसभा में शून्यकाल के दौरान चौंकाने वाला दृश्य देखने को मिला, जब सागर शर्मा दर्शक दीर्घा से कूदकर सदन में आ गये. उन्होंने पीले धुएं का कैन खोला और अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचने की कोशिश में एक डेस्क से दूसरे डेस्क पर छलांग लगा दी.
- सांसदों ने जैसे ही सागर शर्मा को पकड़कर पीटा, मनोरंजन ने भी धुएं का कैन खोल लिया. हालांकि, वह भी जल्द ही पकड़ लिया गया. लोकसभा के अंदर इस घटना से कुछ समय पहले, नीलम और अमोल ने संसद भवन की इमारत से बाहर कैन खोले और “तानाशाही” के खिलाफ नारे लगाए.
- दिल्ली पुलिस की एंटी टेरर सेल छह आरोपियों से पूछताछ कर रही है. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सांसदों को उनकी सुरक्षा के बारे में आश्वस्त किया है और कहा है कि गहन जांच की जाएगी. 2001 के संसद हमले की बरसी पर यह सुरक्षा में बड़ी चूक का मामला सामने आया है.
संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने वालों पर लगा UAPA, जानें क्या है यह कानून
सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक लोकसभा की सुरक्षा में बुधवार को सेंधमारी करने वालों पर USPA कानून (What Is UAPA ACT) के तहत मामला दर्ज किया गया है. ज्यादातर लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि यूएपीए कानून आखिर है क्या? यह कानून देश में लब लाया गया और आईपीसी के होते हुए इसे लाने की जरूरत क्यों पड़ी. UAPA कानून के तहत किस तरह की गतिविधियों पर लगाम कसी जा सकती है.
क्या है UAPA कानून ?
यूएपीए की धारा-15 आतंकी गतिविधि को परिभाषित करती है. इस कानून के तहत कम से कम 5 साल और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है. अगर आतंकी घटना में किसी की जान चली जाती है तो दोषी व्यक्ति को सजा-ए-मौत या फिर आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है. अगर कोई भी व्यक्ति आतंक फैलाने के मकसद से देश की अखंडता, एकता, सुरक्षा और संप्रभुता तो खंडित करने की कोशिश करता है या फिर देश या देश के बाहर भारतीयों के साथ आतंकी घटना कपने की कोशिश करता है, तो वह UAPA कानून के दायरे में आएगा.
क्यों लाया गया है UAPA?
यूएपीए कानून को आतंकी गतिविधियों पर लगाम कसने के लिए 1967 में लाया गया था. इस कानून के तहत उन लोगों पर कार्रवाई की जाती है जो आतंकी गतिविधियों में संदिग्ध होते हैं. UAPA कानून राष्ट्रीय जांच एजेंसी को संदिग्ध या फिर आरोपी की संपत्ति जप्त या फिर कुर्क करने का अधिकार देती है. UAPA कानून संविधान के अनुच्छेद-19(1) के तहत मौलिक अधिकारों पर तर्कसंगत सीमाएं लगाने के इरादे से पेश किया गया था. यूएपीए का मकसद देश की देश की संप्रभुता और अखंडता को चुनौती देने वाली गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए सरकार को अधिकार देना है. यह कानून कुछ खास हालातों में ही लागू होता है.
इस कानून को संविधान के अनुच्छेद-19(1) के तहत दिए गए मौलिक अधिकार पर तर्कसंगत सीमाएं लगाने के लिए पेश किया गया था. यूएपीए का उद्देश्य भारत की अखंडता और संप्रभुता को चुनौती देने वाली गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए सरकार को ज्यादा अधिकार देना था. यूएपीए को विशेष हालात में लागू किया जा सकता है.
IPC के होते हुए क्यों पड़ी UAPA कानून की जरूरत?
UAPA अकेला ऐसा कानून है जो आतंकवाद और गैरकानूनी गतिविधियों पर लागू होता है. ऐसे कई क्राइम थे, जिनका आईपीसी में जिक्र तक नहीं था. यही वजह रही कि 1967 में गैरकानूनी गतिविधि अधिनियम कीा जरूरत महसूस की गई और यूएपीए कानून लाया गया. यह कानून गैरकानूनी और आतंकवादी गतिविधियों पर लगाम कसने में सक्षम है.