सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर से 370 हटाने का फैसला बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने कहा- आर्टिकल 370 अस्थायी था। इसके साथ ही राज्य में सितंबर 2024 तक चुनाव कराने का आदेश भी दिया गया।
केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाया था। इसके खिलाफ 23 याचिकाओं पर 5 जजों की बेंच ने सुनवाई की।
वर्ल्ड मीडिया में भी इस मामले पर रिएक्शन आ रहे हैं। पड़ोसी देश पाकिस्तान का मीडिया कह रहा है कि कश्मीर में अब दूसरे राज्यों के लोग भी रह सकेंगे। वहीं, अमेरिकी मीडिया का रिएक्शन कुछ हद तक सुप्रीम कोर्ट के फैसले और टिप्पणियों के इर्दगिर्द ही है।
BBC ने कहा- जम्मू और कश्मीर को खास दर्जा वापस नहीं मिलेगा
ब्रिटिश मीडिया हाउस के मुताबिक- भारत के सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर का स्पेशल स्टेटस हटाए जाने के फैसले पर मुहर लगा दी है। प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने 2019 में यह स्टेटस खत्म किया था। आर्टिकल 370 के तहत ही राज्य को स्पेशल स्टेटस मिला था। राज्य की 1.2 करोड़ आबादी को दो केंद्र शासित राज्यों में बांट दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि सितंबर 2024 में राज्य में विधानसभा चुनाव कराए जाएं। कोर्ट ने यह भी कहा है कि केंद्र सरकार राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल करे।
‘द डॉन’ ने लिखा- जम्मू और कश्मीर में चुनाव कराने के आदेश
पाकिस्तान के अंग्रेजी अखबार ‘द डॉन’ ने कहा- भारत के सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने एकमत से साफ कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और धारा 35ए की वापसी नहीं होगी। कोर्ट के मुताबिक- यह दोनों टेम्परेरी प्रोविजन थे। फैसले में एक अहम बात यह है कि राज्य में 30 सितंबर 2024 तक चुनाव कराने का आदेश इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया को दिया गया है।
अखबार आगे लिखता है- फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर लगने के बाद यह साफ है कि अब दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन और दूसरी प्रॉपर्टीज खरीद सकेंगे। भाजपा सरकार मुस्लिम मेजॉरिटी वाले कश्मीर में हिंदुओं को बसाना चाहती है।
डायचे वैले ने फैसले के बाद मोदी के बयान को अहमियत दी
जर्मन मीडिया हाउस डायचे वैले (dw) ने अपनी खबर में सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लेख किया। कहा- 2019 में नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू और कश्मीर को लेकर जो फैसला किया था, उसको सुप्रीम कोर्ट ने सही करार दिया है। कोर्ट ने साफ कर दिया कि स्पेशल स्टेटस वास्तव में अस्थायी प्रावधान या टेम्परेरी प्रोविजन था।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर के साथ देश के दूसरे राज्यों की तरह ही बर्ताव किया जाना चाहिए। फैसले के बाद मोदी ने कहा- यह फैसला राज्य के बेहतर भविष्य पर मुहर लगाता है। भारत अब ज्यादा मजबूत और एकीकृत होगा।
जियो टीवी ने कहा- कश्मीर में इस साल चुनाव होंगे
पाकिस्तान के टीवी चैनल और वेबसाइट ‘जियो न्यूज’ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को विस्तार से बताया है। कहा- भारत के सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है कि जम्मू-कश्मीर से स्पेशल स्टेटस हटाया जाना सही था, क्योंकि यह अस्थायी प्रावधान था।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले में दो अहम बातें कही गई हैं। पहली- जम्मू और कश्मीर को राज्य का दर्जा दिया जाए। दूसरी- यहां सितंबर 2024 तक चुनाव कराए जाएं।
CNN ने कहा- मोदी सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की भी मुहर
अमेरिकी न्यूज चैनल CNN ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले की जानकारी दी। कहा- भारत की सबसे बड़ी अदालत ने केंद्र सरकार के 2019 में लिए गए फैसले पर मुहर लगा दी है। हालांकि, उसने यह भी कहा है कि मुस्लिम मेजॉरिटी वाले कश्मीर को राज्य का दर्जा लौटाया जाए और यहां जल्द से जल्द विधानसभा चुनाव भी कराए जाएं।
कश्मीर मुद्दे को लेकर दो एटमी ताकतें (भारत और पाकिस्तान) 70 साल से आमने-सामने हैं। यहां कई साल तक हिंसा चलती रही। नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच इसको लेकर अकसर तनाव रहता है।