बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हम (हिंदुस्तान आवाम मोर्चा) सुप्रीमो जीतन राम मांझी आज दिल्ली के जंतर-मंतर में सीएम नीतीश के खिलाफ धरना दे रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री पर दलितों को अपमानित करने का आरोप लगाया है। इसके पहले वो पटना में भी नीतीश के खिलाफ धरना दे चुके हैं। इसमें उन्होंने सभी दलित सांसदों को भी आमंत्रित किया है। मांझी ने कहा है कि इस दौरान वे नीतीश कुमार स्वाहा’ जैसे मंत्रोच्चार के साथ हवन भी करेंगे।’
दिल्ली के जंतर-मंतर पर स्वाभिमान सभा
धरने से पहले मांझी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के समाधि स्थल राजघाट पर जाकर प्रार्थना करेंगे। हम नेता ने बताया कि देशभर के विभिन्न दलित संगठनों की तरफ से नीतीश कुमार के खिलाफ दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक दिवसीय दलित और महिला स्वाभिमान सभा का आयोजन किया गया है।
नीतीश ने कहा था- मांझी मेरी मूर्खता से CM बने
बिहार विधानसभा में 9 नवंबर को सीएम नीतीश कुमार और पूर्व जीतन राम मांझी के बीच तीखी नोकझोंक हुई। मांझी आरक्षण की समीक्षा की मांग कर रहे थे। तभी CM ने उन्हें बीच में ही टोका और कहा- मेरी मूर्खता से ये मुख्यमंत्री बने थे। इसे राज्यपाल बनने की चाहत है। मुख्यमंत्री ने बीजेपी विधायकों की ओर इशारा करते हुए कहा कि इसे गवर्नर क्यों नहीं बना देते हैं।
मांझी ने भी CM के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी इज्जत बचाने के लिए मुझे मुख्यमंत्री बनाया था। रबर स्टांप की तरह इस्तेमाल करना चाहते थे। इशारे पर नहीं चला तो हटा दिया।
दरअसल, विधानसभा में आरक्षण संशोधन विधेयक में चर्चा के दौरान पूर्व सीएम मांझी ने कहा कि मुझे जातीय गणना के आंकड़ों पर भरोसा नहीं है। जिस पर CM भड़क गए।
मांझी और नीतीश की बहस के बाद विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया। नीतीश कुमार जब पूर्व CM पर भड़क रहे थे, तब संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने एक-दो बार उन्हें बैठाने की कोशिश की।
पटना में भी कर चुके हैं प्रदर्शन
इससे पहले जीतन राम मांझी पटना में प्रदर्शन कर चुके हैं। सदन के आखिरी दिन वे विधानसभा अध्यक्ष के दरवाजे पर ही धरने पर बैठ गए थे। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट परिसर स्थित अंबेडकर की प्रतिमा के आगे मौन प्रदर्शन किया था। वे लगातार इस मामले पर अपना विरोध जता रहे हैं।
पीएम मोदी भी मांझी का कर रहे हैं समर्थन
इस मामले पर पीएम नरेंद्र मोदी भी जीतन राम मांझी के साथ हैं। अपने कई चुनावी रैलियों में नीतीश कुमार के व्यवहार को वे दलितों का अपमान बता चुके हैं। विधानसभा में प्रदर्शन के दौरान जीतन राम मांझी को भाजपा नेताओं का साथ मिला था। वहीं जब जीतन राम मांझी दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे हैं तो लोकसभा का शीतकालीन सत्र चल रहा है।
जानिए मांझी के सीएम बनने और हटने का पूरा घटनाक्रम..
- 2014 का लोकसभा चुनाव नीतीश कुमार ने बीजेपी से अलग होकर अकेले लड़ा था। चुनाव में उनकी करारी हर हुई थी। इसकी जिम्मेदारी लेते हुए नीतीश ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था।
- 9 मई 2014 को नीतीश ने अपनी ही पार्टी के सबसे विश्वासपात्र और करीबी जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप दी।
- सीएम बनने के कुछ महीने तक मांझी नीतीश कुमार के अनुसार ही फैसले ले रहे थे। इस वजह से विपक्षी पार्टियों ने उन्हें रबर स्टाम्प कहना शुरू कर दिया।
- विपक्ष के इस आरोप के बाद मांझी खुद फैसले लेने लगे। इसके बाद उनकी नीतीश से दूरियां बढ़ने लगी। उन पर इस्तीफा देने का दवाब बनाया जाने लगा, लेकिन मांझी अड़े हुए थे।
- 20 फरबरी 2015 में उन्हें JDU से निकल दिया गया। मजबूरन उन्हें सीएम पद से हटना पड़ा। नीतीश कुमार फिर से बिहार के सीएम बने।
- जीतन राम मांझी 9 महीने तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे। 2015 में उन्होंने अपनी नई हम (हिंदूस्तान आवाम मोर्चा) पार्टी बनाई और विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ हो लिए।
- 2017 में नीतीश कुमार में फिर बीजेपी के साथ आ चुके थे। इधर, 2019 में जब लोकसभा चुनाव का वक्त आया तो जीतनराम मांझी NDA से गठबंधन छोड़कर एक बार फिर से महागठबंधन में आ गए। इस लोकसभा चुनाव में HAM तीन लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ी लेकिन मांझी समेत तीनों ही कैंडिडेट चुनाव हार गए।
- 2020 विधानसभा चुनाव में मांझी एक बार फिर से नीतीश कुमार के साथ हो गए। विधानसभा चुनाव में हम पार्टी को 7 सीटें मिलीं। इसमें से 4 पर पार्टी ने जीत हासिल की। नीतीश सरकार में जीतनराम मांझी के बेटे संतोष सुमन मंत्री बने।
- 13 जून 2023 को संतोष सुमन ने नीतीश सरकार से इस्तीफा दे दिया है और महागठबंधन से अलग होने का फैसला लिया। तब से वे लगातार नीतीश कुमार और उनकी सरकार पर हमलावर हैं।