बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग समय-समय पर उठती रही है। इन दिनों भी प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इसकी मांग उठाने के बाद एक बार फिर यह मुद्दा प्रदेश में सियासी घमासान मचा हुआ है। एक तरफ जहां महागठबंधन नीतीश कुमार के साथ खड़ा है वहीं एनडीए इसके विरोध में पुरजोर हमला कर रहा है ।
राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर केंद्र ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया तो वह उन्हें सत्ता से हटा देंगे। बुधवार को पटना हवाईअड्डे पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए लालू प्रसाद ने कहा, ‘बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए और अगर ऐसा नहीं हुआ तो हम केंद्र से मोदी सरकार को हटा देंगे।’ नीतीश कुमार सरकार द्वारा बुधवार को कैबिनेट की बैठक में इस पर प्रस्ताव पारित करने के बाद एक बार फिर से विशेष दर्जे की मांग ने जोर पकड़ लिया है। राज्य सरकार ने केंद्र से विभिन्न परियोजनाओं को लागू करने के लिए 2,50,000 करोड़ रुपये का फंड उपलब्ध कराने की भी मांग की है। बैठक के बाद नीतीश कुमार ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर एक पोस्ट अपलोड करते हुए कहा, ‘कैबिनेट बैठक के दौरान हमने बिहार को विशेष दर्जा देने का प्रस्ताव पारित किया है और केंद्र से इसे पूरा करने का अनुरोध किया है।’ विशेष दर्जे की मांग पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राज्य भाजपा प्रमुख सम्राट चौधरी ने मुख्यमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘नीतीश कुमार को विशेष दर्जे की नहीं, बल्कि विशेष व्यवहार की जरूरत है। उनके पास विशेष दर्जे की मांग करने का नैतिक अधिकार नहीं है।’
नीतीश कुमार ने कहा कि हम लोग बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग वर्ष 2010 से ही कर रहे हैं। इसके लिए 24 नवंबर 2012 को पटना के गांधी मैदान में और 17 मार्च 2013 को दिल्ली के रामलीला मैदान में अधिकार रैली भी की थी। हमारी मांग पर तत्कालीन केंद्र सरकार ने इसके लिए रघुराम राजन कमेटी भी बनाई थी, जिसकी रिपोर्ट सितंबर 2013 में प्रकाशित हुई थी। परंतु उस समय भी तत्कालीन केंद्र सरकार ने इसके बारे में कुछ नहीं किया। मई 2017 में भी हम लोगों ने विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा था।
कैबिनेट बैठक के फैसले का उल्लेख
अपनी पोस्ट के अंत में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कैबिनेट बैठक में लिए गए फैसले का उल्लेख किया है। उन्होंने लिखा कि आज हुई कैबिनेट की बैठक में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध करने का प्रस्ताव पारित किया गया है।
उन्होंने यह भी लिखा है कि मेरा अनुरोध है कि बिहार के लोगों के हित को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार बिहार को शीघ्र विशेष राज्य का दर्जा दे।
वही इसे लेकर बीजेपी नीतीश कुमार पर पूरी तरह से हमलावर हो गयी है। बीजेपी नेता सुशील मोदी ने कहा कि विशेष राज्य पर कैबिनेट का प्रस्ताव मरे घोड़े पर चाबुक चलाने जैसा है. पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जब 14 वें वित्त आयोग ने “विशेष राज्य” की अवधारणा को ही अमान्य कर दिया है और अब किसी भी राज्य को विशेष दर्जा नहीं दिया जा सकता. तब इस मुद्दे पर बिहार सरकार का कैबिनेट से पारित प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजना सिर्फ एक राजनीतिक स्टंट है. इस मरे हुए घोड़े पर नीतीश कुमार कितना भी चाबुक चलायें, घोड़ा दौड़ने वाला नहीं.,
सुशील मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार को विशेष आर्थिक पैकेज देकर विशेष दर्जा से कई गुना अधिक मदद कर रहे हैं, लेकिन राजद-जदयू यह स्वीकार नहीं करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि जब नीतीश कुमार और लालू प्रसाद केंद्र सरकार में ताकतवर मंत्री रहे, तब इन लोगों ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा क्यों नहीं दिलवाया? मोदी ने कहा कि महागठबंधन सरकार में शामिल कांग्रेस बताये कि 2004 से 2014 तक मनमोहन सिंह की सरकार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा क्यों नहीं दे दिया?
सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार की पहल पर यूपीए सरकार के वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने जो रघुरामराजन कमेटी गठित करायी थी, उसने भी “विशेष राज्य” की मांग को खारिज कर दिया था, जब नीतीश कुमार केंद्र के विरोधी खेमे में रहते हैं, तब चुनाव निकट देख कर केंद्र को बदनाम करने के लिए विशेष दर्जे की मांग पर राजनीति शुरू कर देते हैं. एक लाख करोड़ से अधिक राशि खर्च कर बिहार में जो आधा दर्जन से ज्यादा मेगा ब्रिज और 4-लेन,6- लेन सड़कों का नेटवर्क तैयार हो रहा है, वह विशेष दर्जा मिलने से कम नहीं है.
बिहार में जो भी बड़ा ढांचागत विकास हुआ, वह विशेष आर्थिक पैकेज और केंद्र की सहायता से संभव हुआ है. इससे बिहार के हजारों परिवारों को रोजगार मिला. विशेष दर्जा के बिना विशेष केंद्रीय पैकेज से राज्य के 2.5 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर आ गए. केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के रूप में बिहार को उत्तर प्रदेश के बाद सबसे ज्यादा 1.02 लाख करोड़ की राशि मिलती है.
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी इसे पोलिटिकल स्टैंड बता रहे हैं। उनका कहना है कि चुनाव नजदीक आ रहा है इसलिए नीतीश ऐसा बयान दे रहे हैं और कई तरह की घोषणाएं कर रहे हैं। हाल ही में जातीय गणना और आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट पेश की गयी फिर आरक्षण का दायरा बढ़ाया गया अब केंद्र सरकार से विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने का सगुफा नीतीश कुमार ने छोड़ दिया है। केंद्र सरकार से अनुरोध का प्रस्ताव बिहार कैबिनेट की बैठक में पारित किया गया है।
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि नीतीश कुमार ने नैतिक अधिकार खो दिया है। उनको विशेष राज्य का दर्जा की जरूरत नहीं है उनको विशेष इलाज की जरूरत है। विशेष आराम करेंगे तो स्वस्थ होकर जनता के लिए काम करेंगे। बीजेपी अध्यक्ष ने कहाकि पिछले 18 वर्षों से बिहार के मुख्यमंत्री बने हुए है इससे पहले भारत सरकार में रेलमंत्री के रूप में काम किये। इससे पहले राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने बिहार पर राज किया। 15 साल तक बिहार के मुख्यमंत्री बने रहे अब बचता क्या है? अब तो नीतीश जी को आराम की सख्त जरूरत हैं पिछले दिनों जिस तरह का व्यवहार उनका सभी ने देखा इससे यही कहा जा सकता है कि उनको विशेष राज्य का दर्जा नहीं विशेष इलाज की जरूरत है।
चौधरी ने बताया कि बिहार का बजट 2 लाख 61 हजार करोड़ रुपये हैं। इसमें मात्र 32 हजार करोड़ ही बिहार सरकार का अपना सहयोग है। बाकि 2 लाख 29 हजार करोड़ रुपया भारत सरकार सहायता के तौर पर देती है। यह लोन के रूप में लेने का काम बिहार सरकार कर रही है। इसके लिए दोषी नीतीश और लालू है। नीतीश को इस बात का जवाब देना चाहिए कि हम विशेष रूप से बीमार हो गये हैं पहले इस बीमारी का इलाज होगा या फिर इन सब चीजों की बात होगी।