बिहार विधानसभा में गुरुवार को सीएम नीतीश कुमार और पूर्व जीतन राम मांझी के बीच तीखी नोकझोंक हुई। मांझी आरक्षण की समीक्षा की मांग कर रहे थे। तभी CM ने उन्हें बीच में ही टोका और कहा- मेरी मूर्खता से ये मुख्यमंत्री बने थे। इसे राज्यपाल बनने की चाहत है। मुख्यमंत्री ने बीजेपी विधायकों की ओर इशारा करते हुए कहा कि इसे गवर्नर क्यों नहीं बना देते हैं।
मांझी ने भी CM के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी इज्जत बचाने के लिए मुझे मुख्यमंत्री बनाया था। रबर स्टांप की तरह इस्तेमाल करना चाहते थे। इशारे पर नहीं चला तो हटा दिया।
दरअसल, विधानसभा में आरक्षण संशोधन विधेयक में चर्चा के दौरान पूर्व सीएम मांझी ने कहा कि मुझे जातीय गणना के आंकड़ों पर भरोसा नहीं है। जिस पर CM भड़क गए।
मांझी और नीतीश की बहस के बाद विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया। नीतीश कुमार जब पूर्व CM पर भड़क रहे थे, तब संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने एक-दो बार उन्हें बैठाने की कोशिश की।

नीतीश ने कहा कि इनको कुछ आइडिया है। जब मैंने आपको सीएम बनाया तो कोई था क्या आपके साथ। सीएम को शांत कराते हुए स्पीकर ने कहा कि मुख्यमंत्री जी ये बिहार ही नहीं देश जानता है। आपने ही जीतनराम मांझी को CM बनाया था।
नीतीश बोले- इसे कोई सेंस नहीं है। हम कह रहे थे कि आप लोगों के ही साथ रहिए, लेकिन ये भाग कर आ गया था। इसलिए इस बार हम भगा दिए। 2013 में जब मैंने बीजेपी को छोड़ दिया था, तब मैंने इनको CM बनाया। जिसके बाद मेरी पार्टी के जो लोग थे वो दो ही महीने में कहने लगे कि ये गड़बड़ है, इसे हटाइए। ये क्या मुख्यमंत्री है। इसे कोई ज्ञान नहीं है।
बता दें कि जीतन राम मांझी राज्य के 23वें मुख्यमंत्री थे। उसका कार्यकाल 20 मई 2014 से 20 फरवरी 2015 तक रहा।
जातीय गणना पर भरोसा नहीं, इतना सुनते ही CM नाराज
आरक्षण संशोधन विधायक में हुए संशोधन पर चर्चा के दौरान जीतन राम मांझी ने कहा कि बिहार में जो जातीय गणना हुई है, मुझे उस पर भरोसा नहीं है।
मांझी ने कहा कि आरक्षण पर हर 10 साल में समीक्षा की बात कही गई है , लेकिन क्या बिहार सरकार ने आरक्षण की समीक्षा की। आरक्षण का धरातल पर क्या हाल सरकार को उसे देखना चाहिए। इतना कहते ही जीतन राम मांझी पर सीएम नीतीश कुमार भड़क गए और मांझी को जमकर खरी-खोटी सुना दी।

मांझी बोले- नीतीश मानसिक संतुलन खो बैठे हैं
सीएम नीतीश सदन में अनाप-शनाप बोल रहे हैं। उम्र में मैं उनसे बड़ा हूं, लेकिन वो मुझसे तुम-ताम करके बात करते हैं। मुख्यमंत्री ने अपना मानसिक संतुलन खो दिया है।
उन्होंने मुझे अंडरएस्टिमेट किया। उन्होंने मुझे ये सोचकर सीएम बनाया कि भुईंया जाति से है, सीधा-साधा है। लेकिन मैंने काम किया। आज सदन में जो भी हुआ उससे आहत हूं। स्पीकर ने मुझे बोलने तक का मौका नहीं दिया।
जीतन राम मांझी को किया गया अपमानित
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि जीतन राम मांझी को सीएम नीतीश कुमार ने अपमानित किया है। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। बिहार विधानसभा और विधान परिषद में देश की महिलाओं को जिस तरह से सीएम ने अपमानित किया, उसी तरह आज एक दलित समाज से आने वाले पूर्व मुख्यमंत्री को अपमानित किया गया।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मेडिकल जांच की जरूरत है और कोई दूसरा रास्ता नहीं दिख रहा है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार से हम बार-बार आग्रह कर रहे हैं कि आप बीमार हैं और आराम करिए।
सम्राट चौधरी ने कहा कि जीतनराम मांझी इकलौते मुख्यमंत्री बने, जो पहले विधायक..फिर उप मंत्री..फिर राज्य मंत्री..फिर कैबिनेट मंत्री बने थे। इसके बाद मुख्यमंत्री बने। कोई ऐसा दूसरा व्यक्ति बिहार में नहीं है।
बिहार बीजेपी अध्यक्ष समेत पार्टी के कई बड़े नेता देर शाम जीतन राम मांझी के आवास पहुंचे। वहां उनलोगों ने उन्हें सहानुभूति प्रदान की।

नीतीश के समर्थन में तेजस्वी
डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने सीएम नीतीश कुमार के बयान का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मांझी जी को मुख्यमंत्री बनाया और उनके बेटे को मंत्री बनाया। यही बात तो नीतीश कुमार कह रहे थे। उन्होंने कहा कि हमने दलित समाज और आदिवासी समाज, पिछड़ा समाज और अतिपिछड़ा समाज के आरक्षण को बढ़ाया है, जो ऐतिहासिक कार्य है। लेकिन BJP चाहती है कि किसी भी प्रकार से ये खबरें जनता तक नहीं पहुंचे।
बीजेपी हमे ज्ञान नहीं दें
बीजेपी पर पलटवार करते हुए राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज झा ने कहा कि बीजेपी दलित नेता को अपमानित करने की बात कहती है तो अपने आगे आइना रख ले। जिस पार्टी को जातिगत जनगणना रोकने के लिए सॉलिसिटर जनरल को खड़ा करना पड़े। वह हमे कम से कम ज्ञान ना दें।
जानिए मांझी के सीएम बनने और हटने का पूरा घटनाक्रम..
- 2014 का लोकसभा चुनाव नीतीश कुमार ने बीजेपी से अलग होकर अकेले लड़ा था। चुनाव में उनकी करारी हर हुई थी। इसकी जिम्मेदारी लेते हुए नीतीश ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था।
- 9 मई 2014 को नीतीश ने अपनी ही पार्टी के सबसे विश्वासपात्र और करीबी जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप दी।
- सीएम बनने के कुछ महीने तक मांझी नीतीश कुमार के अनुसार ही फैसले ले रहे थे। इस वजह से विपक्षी पार्टियों ने उन्हें रबर स्टाम्प कहना शुरू कर दिया।
- विपक्ष के इस आरोप के बाद मांझी खुद फैसले लेने लगे। इसके बाद उनकी नीतीश से दूरियां बढ़ने लगी। उन पर इस्तीफा देने का दवाब बनाया जाने लगा, लेकिन मांझी अड़े हुए थे।
- 20 फरबरी 2015 में उन्हें JDU से निकल दिया गया। मजबूरन उन्हें सीएम पद से हटना पड़ा। नीतीश कुमार फिर से बिहार के सीएम बने।
- जीतन राम मांझी 9 महीने तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे। 2015 में उन्होंने अपनी नई हम (हिंदूस्तान आवाम मोर्चा) पार्टी बनाई और विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ हो लिए।
- 2017 में नीतीश कुमार में फिर बीजेपी के साथ आ चुके थे। इधर, 2019 में जब लोकसभा चुनाव का वक्त आया तो जीतनराम मांझी NDA से गठबंधन छोड़कर एक बार फिर से महागठबंधन में आ गए। इस लोकसभा चुनाव में HAM तीन लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ी लेकिन मांझी समेत तीनों ही कैंडिडेट चुनाव हार गए।
- 2020 विधानसभा चुनाव में मांझी एक बार फिर से नीतीश कुमार के साथ हो गए। विधानसभा चुनाव में हम पार्टी को 7 सीटें मिलीं। इसमें से 4 पर पार्टी ने जीत हासिल की। नीतीश सरकार में जीतनराम मांझी के बेटे संतोष सुमन मंत्री बने।
- 13 जून 2023 को संतोष सुमन ने नीतीश सरकार से इस्तीफा दे दिया है और महागठबंधन से अलग होने का फैसला लिया। तब से वे लगातार नीतीश कुमार और उनकी सरकार पर हमलावर हैं।