सुप्रीम कोर्ट ने महिला अफसरों को प्रमोशन और कर्नल रैंक के पैनल में शामिल करने के अपने आदेश की अवहेलना को लेकर भारतीय सेना पर कड़ी आपत्ति जताई. कोर्ट ने कहा कि महिला अधिकारियों को कर्नल के रूप में सूचीबद्ध करने से इनकार करने का सेना का रवैया मनमाना है.
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाल और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने महिला अधिकारियों के अधिकारों को खत्म करने के रवैये की निंदा की. साथ ही कोर्ट ने अधिकारियों को उनकी पदोन्नति के लिए विशेष चयन बोर्ड को फिर से बुलाने का निर्देश दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Of India) ने कहा इस तरह का दृष्टिकोण उन महिला अधिकारियों को न्याय देने करने की आवश्यकता पर विपरित असर डालता है, जिन्होंने उचित अधिकार प्राप्त करने के लिए लंबी और कठिन लड़ाई लड़ी है. कर्नल के रूप में पैनल में शामिल होने के लिए महिला अधिकारियों के लिए सीआर की गणना के लिए जो कट ऑफ लागू किया गया है, वह मनमाना है क्योंकि यह इसके विपरीत है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा निर्धारित नीतिगत ढांचा यह स्पष्ट करता है कि नौ साल की सेवा के बाद सभी गोपनीय रिपोर्ट (सीआर) पर विचार किया जाना आवश्यक है. सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को भी खारिज कर दिया कि अधिकारियों को समायोजित करने के लिए रिक्तियों की संख्या अपर्याप्त है.
आपको बता दें कि कोर्ट ने अपने 21 नवंबर 2022 के आदेश में सेना अधिकारियों के बयान को दर्ज किया था कि हमारे फैसले के मुताबिक 150 रिक्तियां उपलब्ध कराई जानी थीं. 108 रिक्तियां भरी जा चुकी हैं.