बिहार में अभी कोई चुनाव नहीं है लेकिन सूबे का सियासी पारा चढ़ा हुआ है। इसकी वजह है राज्य में लगातार हो रहे राजनीतिक घटनाक्रम। यही नहीं नीतीश कुमार और लालू यादव की एक हफ्ते में लगातार दूसरी मीटिंग को लेकर भी चर्चाओं का दौर तेज है। हर कोई ये जानना चाहता है कि आखिर आरजेडी सुप्रीमो ने गुरुवार को अचानक सीएम ऑफिस पहुंचकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात क्यों की। लालू यादव इस दौरान मुख्यमंत्री आवास में करीब 25 मिनट रहे। दोनों सियासी दिग्गजों की इस मीटिंग में क्या बात हुई, हर कोई ये जानना चाहता है।
25 मिनट सीएम आवास पर रहे लालू
आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को एक सप्ताह में दूसरी बार आमने-सामने की बैठक की। लालू ने सुबह मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास का दौरा किया और वहां लगभग 25 मिनट बिताए। सूत्रों ने बताया कि दोनों नेताओं ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी एकता गठबंधन INDIA में शामिल दलों के बीच सीट बंटवारे पर चर्चा की।
आरजेडी सूत्रों ने बताई ‘अंदर की बात’
दरअसल, कुछ दिन पहले ही सीएम नीतीश ने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के 10, सर्कुलर रोड स्थित बंगले में लालू यादव से मुलाकात की थी। सोमवार को कैबिनेट मीटिंग के बाद नीतीश कुमार की लालू संग मुलाकात हुई थी। अब गुरुवार को मुख्यमंत्री आवास में आरजेडी सुप्रीमो के अचानक पहुंचने और सीएम संग 25 मिनट की मीटिंग करने को लेकर सवाल खड़े हो गए। मीडिया में लगातार सवाल उठने लगा कि आखिर लालू यादव के नीती कुमार के बीच क्या बात हुई है। आरजेडी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने इसका जवाब दिया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री आमतौर पर लालू यादव से मिलने आते रहते हैं। ऐसे में गुरुवार को बारी आरजेडी मुखिया की थी। इसी वजह से वो मुख्यमंत्री से मिलने के लिए पहुंचे।
सीट बंटवारे पर हुई चर्चा
आरजेडी पदाधिकारी ने कहा कि दोनों नेताओं की इस मीटिंग में सीट बंटवारा एक एजेंडा हो सकता है। उन्होंने कहा कि यह स्वाभाविक है कि दो बड़े नेता बिना किसी उद्देश्य के नहीं मिलेंगे। वर्तमान में, सीट बंटवारा मुख्य मुद्दा है। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि कांग्रेस और वाम दलों के साथ चर्चा के बाद ही सब कुछ तय किया जाएगा। आरजेडी पदाधिकारी ने आगे कहा कि कुछ चुनौतियां हैं। उदाहरण के लिए, जेडीयू के 16 सांसद हैं और पार्टी को कुछ सीटों का त्याग करना पड़ सकता है। वहीं कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस भी अपने पत्ते नहीं खोलना चाहेगी।