‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति हमारे ऋषियों के अनुपम अवदानों तथा पं दीनदयाल उपाध्याय के विचारों का समावेश है। यह शिक्षा नीति भारत की गौरवशाली परम्परा‚ संस्कृति एवं इतिहास आदि के अनुरूप है तथा इसे प्राथमिक स्तर पर भी लागू किया जाना चाहिए।’ यह बातें राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आलæकर ने एसएमडी कॉलेज‚ पुनपुन में ‘सक्षम राष्ट्र के निर्माण में राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं एकात्म मानववाद दर्शन का योगदान’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कही। इस अवसर पर उन्होंने कॉलेज के गोल्डेन जुबली भवन के भूतल पर सुसज्जित सरस्वती सभागार का लोकार्पण एवं प्रथम तल पर नवनिर्मित राम दयाल पुस्तकालय का उद्घाटन एवं स्मारिका एवं पुस्तकों का विमोचन भी किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्ेश्य छात्रों की रचनात्मक सोच और नवाचार की भावना प्रोत्साहित करना है।
पीपीयू के कुलपति प्रो. आर के सिंह ने छात्र–छात्राओं को चतुवर्षीय कोर्स की पढाई सुचारू ढंग से उच्च स्तर तक ले जाने के लिये जागरूक किया। ड़ीड़ीयूजी विश्वविद्यालय गोरखपुर के इतिहास विभाग के प्रो. सह सदस्य आईसीएचआर हिमांशु चतुर्वेदी ने अपने संबोधन से सबका दिल जीत लिया। कॉलेज के प्राचार्य रामकिशोर सिंह ने स्वागत भाषण में कॉलेज की बेहतरी के लिये किये गये कार्यो से अवगत कराया। मंच का संचालन पीपीयू के इतिहास विभाग के प्रो. ड़ॉ. अविनाश झा ने किया। इस मौके पर मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसपी शाही‚ पीपीयू के प्रतिकुलपति गणेश महतो‚ एएन कॉलेज पटना के प्राचार्य प्रो. प्रवीण कुमार‚ बीड़ी कालेज की प्राचार्य सीता सिन्हा‚ एएनएस कॉलेज बाढ़ के प्राचार्य ध्रुव कुमार‚ पीपीयू के सिनेट सदस्य ड़ॉ. आलोक कुमार‚ नगर पंचायत के मुख्य पार्षद रितेश कुमार के अलावे ड़ॉ. देव कुमार‚ सुधीर कुमार‚ ड़ॉ‚ मधुरेन्द्र‚ ड़ॉ. राकेश कुमार‚ ड़ॉ. अनवारूल हक अंसारी‚ राजीव रंजन‚ रिती कुमारी‚ शीला शरण सिंह‚ सबिता ब्रह्मचर्या एवं वीना कुमारी के साथ ड़ॉ. मुकेश कुमार झा आदि मौजूद थे। महाविद्यालय की छात्राओं ने सरस्वती वंदना की प्रस्तुति की।