प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शाम आसियान-इंडिया समिट में हिस्सा लेने के लिए इंडोनेशिया रवाना होंगे। PM मोदी ये दौरा भारत में 9-10 सितंबर को होने वाली G20 समिट से ठीक 3 दिन पहले कर रहे हैं।
इस विजिट पर वो ASEAN यानी एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशंस के सदस्य देशों से व्यापार और सिक्योरिटी जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा करेंगे। समिट के दौरान आसियान देशों में UPI लॉन्च होने की घोषणा की जा सकती है। आसियान में मलेशिया, इंडोनेशिया, म्यांमार, वियतनाम, कम्बोडिया, फिलीपींस, ब्रुनेई, थाईलैंड, लाओस और सिंगापुर शामिल हैं।
आसियान समिट 5 सितंबर से शुरू हो गई है और 8 सितंबर तक चलेगी। PM मोदी 6-7 सितंबर को इस समिट में हिस्सा लेंगे।
इंडो-पैसिफिक फोरम में भी शामिल होंगे PM मोदी
विदेश मंत्रालय के मुताबिक 2022-23 में भारत और आसियान देशों के बीच 10 लाख करोड़ रुपए का व्यापार हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इससे पहले 9 आसियान समिट में हिस्सा ले चुके हैं। इस बार आसियान समिट के दौरान इंडोनेशिया ने एक स्पेशल इवेंट रखा है। इसे इंडो पैसिफिक फोरम नाम दिया गया है। इस फोरम के जरिए आसियान देश इंडो-पैसिफिक में अपने लक्ष्यों को लेकर राय देंगे। इसमें आसियान देशों की इंडो-पैसिफिक में कनेक्टिविटी बढ़ाने को लेकर चर्चा की जाएगी।
दरअसल, इंडो पैसिफिक इलाके में चीन की बढ़ती दखलंदाजी को लेकर काफी समय से चिंता जाहिर की जा रही है। जब विदेश मंत्रालय से सवाल किया गया कि क्या चीन को लेकर कोई बयान जारी किया जाएगा, तो इस पर विदेश में पूर्वी मामलों के सचिव सौरभ कुमार ने कहा- वहां क्या चर्चा होगी इसका अभी से अंदाजा लगाना मुश्किल है। हालांकि, सामूहिक चिंता के मुद्दों पर चर्चा संभव है।
भारत ने पिछले साल ही आसियान देशों के साथ कॉम्प्रिहेंसिव स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप (CSP) साइन की थी। इसके चलते PM मोदी का ये दौरा काफी महत्वपूर्ण है। दरअसल, व्यापक रणनीतिक साझेदारी के बाद द्विपक्षीय संबंध और मजबूत होते हैं। इसके तहत रक्षा, आर्थिक और तकनीकी हितों को बढ़ाने के लिए मिलकर काम किया जाता है। वहीं, इस इलाके में चीन को काउंटर करने के लिए भारत आसियान देशों के साथ संबंधों को मजबूत कर रहा है।
आसियान में रूस के विदेश मंत्री से मिलेंगी कमला हैरिस
आसियान समिट में अमेरिका की उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस और चीन के प्रीमियर यानी प्रधानमंत्री ली कियांग और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भी शामिल हो रहे हैं। अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक समिट के दौरान म्यांमार और साउथ चाइना सी जैसे मुद्दे ब्रेकिंग पॉइंट साबित हो सकते हैं। यानी इन्हें लेकर सदस्य देशों और डायलॉग पार्टनर्स में मतभेद हो सकते हैं।
म्यांमार भी आसियान का सदस्य है। हालांकि, 2 साल पहले वहां तख्तापलट के बाद सेना ने म्यांमार की नेता आंग सान सू की को चुनाव में धांधली करने का आरोप लगाकर जेल में डाल दिया था। तब से म्यांमार को लेकर आसियान देश अपनी स्ट्रैटजी तय नहीं कर पा रहे हैं।
वहीं, हाल ही में साउथ चाइना सी में चीन की मिलिट्री ने फिलीपींस के जहाज पर वाटर गन, कैनन गन से हमला कर दिया था। इस पर अमेरिका ने चीन पर इलाके में तनाव पैदा करने और दूसरे के इलाके में घुसपैठ करने के आरोप लगाए थे। दरअसल, साउथ चाइना सी को लेकर आसियान के 5 सदस्य देशों और चीन में विवाद है।
इलाके में चीन को काउंटर करने के लिए आसियान देश अमेरिका और भारत की मदद चाहते हैं। दरअसल, 1990 के दशक में आई एक इकोनॉमिक क्राइसिस की वजह से इन देशों की चीन पर निर्भरता काफी बढ़ गई थी। उस दौरान चीन की आर्थिक स्थिति काफी बेहतर थी।
इसके चलते आसियान ने चीन के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट किए, कॉम्प्रिहेंसिव स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप साइन की और डायलॉग पार्टरनर भी बनाया। हालांकि, जब चीन ने इसका फायदा उठाना शुरू किया तो इन देशों ने अमेरिका और भारत जैसे देशों से संबंध मजबूत कर इन्हें भी अपना डायलॉग पार्टनर बना लिया।