यू मोदी जी! उस इस्राइली फिल्में बनाने वाले को‚ क्या नाम था उसका‚ नादाव लपिड को‚ वो मुंहतोड़ जवाब दिलाया है कि कसम से मजा आ गया। बंदा हमारे भारत वर्ष की तरफ तो अब कभी आंख उठाकर देखने की हिम्मत करेगा नहीं। फिर आप जी की रिकमन्डेशन वाली किसी फिल्म को भद्दा–बताने की जुर्रत करने का तो सवाल ही कहां उठता है।
हमारे देश में‚ हमारे फिल्म उत्सव में आकर और हमारे फिल्म उत्सव की जूरी में बैठकर‚ ‘कश्मीर फाइल्स’ को घटिया हिंसक प्रोपेगंडा बता जाने वाले इस बंदे के चेहरे के आगे विवेक अग्निहोत्री अब उसी ‘कश्मीर फाइल्स’ का सर्वश्रेष्ठ फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार नचाएगा! फिल्मवालों की दुनिया भी जान ले––ये मोदी जी का नया इंडिया है‚ जो न कुछ भूलता है और न कुछ माफ करता है! और मोदी जी प्लीज‚ कश्मीर को इंडिया सॉरी भारत के साथ कसकर फेवीकोल से जोड़ने के विरोधियों की चालों से खबरदार रहिएगा। ये अब भी कह रहे हैं कि ‘कश्मीर फाइल्स’ को पुरस्कार तो मिल गया‚ मगर सम्मान अब भी नहीं मिला। सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का जो सम्मान‚ उधम सिंह को दिया‚ वह सम्मान ‘कश्मीर फाइल्स’ को नहीं दे सकते थे क्याॽ और वह भी तब जबकि यह सम्मान ‘उधम सिंह’ के साथ ही ‘रॉकेटरी–नाम्बी इफैक्ट’ को भी मिला है। यानी जो सम्मान दो–दो फिल्मों को मिल गया‚ वह तक ‘कश्मीर फाइल्स’ को नहीं दिया गया। फिर भक्त किस मुंह से ऑस्कर में हिंदू–विरोधी लॉबी की दुभांत से कश्मीर फाइल्स को दरवाजे में से एंट्री ही नहीं दिए जाने की शिकायत करेंगे। इतना ही नहीं‚ पूरे पंद्रह पुरस्कार दिए गए हैं‚ पर ‘कश्मीर फाइल्स’ को सिर्फ और सिर्फ दो पुरस्कार में टाल दिया गया है। यह तो पीएम जी की रिकमन्डेशन का सम्मान करने का तरीका नहीं है! कहने वाले तो यह भी कह रहे हैं कि पुरस्कार दिया भी तो राष्ट्रीय एकता सर्वश्रेष्ठ फिल्म का और वह भी नरगिस दत्त के नाम वाला पुरस्कार। यानी गुनाहे बेलज्जत! पर इन्हें क्या पता कि मोदी जी ने राष्ट्रीय एकता का नाम भी बदल दिया है। और रही बात नरगिस दत्त के नाम की‚ कश्मीर फाइल्स को पुरस्कृत कर‚ नादाव लपिड के साथ ही नरगिस दत्त से भी हिसाब बराबर कर दिया गया है।