सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सोशल मीडिया पर अभद्र और अपमानजनक पोस्ट करने वालों को सजा मिलनी जरूरी है। ऐसे लोग माफी मांगकर आपराधिक कार्यवाही से नहीं बच सकते हैं। उन्हें अपने किए का नतीजा भुगतना होगा।
सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार (18 अगस्त) को ये टिप्पणी देते हुए तमिलनाडु के एक्टर और पूर्व विधायक एस वे शेखर (72 साल) के खिलाफ दर्ज मामले को रफा-दफा करने से इनकार कर दिया। उनके खिलाफ महिला पत्रकारों के लिए आपत्तिजनक टिप्पणी करने का मामला दर्ज किया गया है।
पढ़िए पूरा मामला…
मामला 2018 का है जब शेखर ने अपने फेसबुक पर महिला पत्रकारों को टार्गेट करते हुए आपत्तिजनक पोस्ट किया था। दरअसल एक महिला पत्रकार ने तमिलनाडु के तत्कालीन गवर्नर बंवारीलाल पुरोहित पर उसके गाल छूने का आरोप लगाया था। शेखर ने महिला पत्रकार के इसी आरोप को लेकर अपनी राय दी थी।
उनके इस पोस्ट के बाद काफी विवाद हुआ था। DMK ने उनके इस्तीफे की मांग की थी। शेखर ने बाद में माफी मांगी थी और पोस्ट भी डिलीट कर दिया था। लेकिन इस पोस्ट को लेकर उनके खिलाफ तमिलनाडु में कई केस दर्ज किए गए।
वकील ने दलील दी- पोस्ट शेयर करते समय उनकी नजर धुंधली थी
शेखर के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि जैसे ही उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ, उन्होंने तुरंत अपना पोस्ट डिलीट किया और बिना शर्त माफ मांगी। उनके वकील ने ये भी कहा कि एक्टर ने किसी और का पोस्ट शेयर किया था।
वकील ने कहा कि उस समय उनकी नजर धुंधली थी, क्योंकि उन्होंने आंखों में दवाई डाली हुई थी। इसकी वजह से वे देख नहीं पाए कि पोस्ट में क्या लिखा था। उन्होंने ये भी कहा कि शेखर को सोशल मीडिया पर उन्हें बुहत लोग फॉलो करते हैं, जिसकी वजह से पोस्ट शेयर करते ही वो वायरल हो गया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- बिना कंटेंट पढ़े कैसे शेयर किया
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी आर गवई और प्रशांत कुमार ने हैरानी जताई कि कैसे शेखर ने बिना पोस्ट का कंटेंट पढ़े, उन्होंने कैसे इसे शेयर कर दिया। जजों ने इस मामले में उनके खिलाफ कार्यवाही में दखल देने से मना कर दिया।
कोर्ट ने उन्हें कानूनी कार्यवाही का सामना करने को कहा। कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते वक्त लोगों को बहुत ध्यान देना चाहिए। सोशल मीडिया का इस्तेमाल जरूरी नहीं है, लेकिन अगर कोई करता है तो उसे गलती का खामियाजा भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए।