कोविड़ के कारण शरीर के कई अंग खराब हो सकते हैं। ताजा अध्ययन के आधार पर शोधकर्ताओं की एक टीम ने यह खुलासा किया है। उन्होंने पाया कि मानव शरीर की कोशिकाओं के ऊर्जा उत्पादक माइटोकॉ्ड्रिरया के जीन पर करोना वायरस नकारात्मक प्रभाव ड़ाल सकता है। इससे फेफड़़ों के अलावा और भी कई अंग खराब हो सकते हैं। माइटोकॉ्ड्रिरया मानव शरीर की प्रत्येक कोशिका में पाया जाता है। इसके लिए जिम्मेदार जीन कोशिकाओं के केंद्रक में स्थिति न्यूक्लियर ड़ीएनए व एमटीड़ीएनए में फैले हुए हैं। शोधकर्ताओं ने प्रभावित मरीजों व पशुओं के मॉड़लों के ऊतकों के संयोजन का विश्लेषण किया। पाया गया कि शव परिक्षण ऊतक में फेफड़़ों में माइटोकॉ्ड्रिरयल जीन ठीक हो गई थी मगर इसके कार्य दिल के साथ–साथ गुर्दों व यकृत में भी दबा रहे थे। इसमें पाया गया फेफड़़ों में यह समय के साथ बहाल हो जाता है‚ जबकि अन्य अंगों विशेष रूप से ह्र्दय में इसका कार्य खराब रहता है। लगभग पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लेने वाले करोना वायरस ने लाखों लोगों का जीवन ले लिया था। इस महामारी की चपेट में आने व करोना वैक्सीन लगवाने के बावजूद अब तक संशय की स्थिति बनी हुई है। समय–समय पर विशेषज्ञों द्वारा अंदेशा व्यक्त किया जा रहा है कि दिल संबंधी व अन्य बीमारियों के कारण अचानक होने वाली मौतों के पीछे करोना भी हो सकता है। उक्त अध्ययन के आधार पर कहा जा सकता है कि उनका अंदेशा कतई गलत नहीं है। चिकित्सकों का मानना है कि इस महामारी ने नब्बे फीसद लोगों को किसी ना किसी रूप में अपने चपेटे में लिया है। इसलिए व्यापक रूप से इस पर और अधिक अध्ययन करने की जरूरत बढ गई है। क्योंकि यदि इस वायरस के कारण शरीर के अन्य अंगों पर भी असर हो रहा है तो भविष्य में विभिन्न रोगों के प्रसार की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। जिससे जूझने के लिए चिकित्सा जगत को वैश्विक रूप से तैयार होने की जरूरत बढ जाती है। ध्यान रखने योग्य बात यह भी है कि हमें अब केवल करोना के प्रति जागरूक रहने की बाजाए उन तमाम जटिताओं के बढने को भी रोकना होगा‚ जिनका मानव शरीर पर गंभीर असर हो सकता है। इस अध्ययन को चेतावनी के तौर पर लेने की जरूरत है।
भारत और चीन के संबंध सुधारने की कवायद ,द्विपक्षीय संबंधों में मधुरता आवश्यक है !
भारत व चीन के सरहदी इलाकों में तनाव कम होने की संभावनाओं से दक्षिण एशिया में अंतर्राष्ट्रीय राजनीति का सकारात्मक...