लालू यादव से राहुल गांधी क्या मिले बिहार की राजनीति गर्माहट से भर गई। खास कर एनडीए को एक मसाला मिल गया जिसके उदाहरण देकर यह प्रचारित किया जाने लगा कि नीतीश कुमार की राजनीति को अब विराम मिल जायेगा। राहुल गांधी और लालू यादव मिल कर नीतीश कुमार को गठबंधन से अलग कर देंगे। कोई कह रहा है कि अब होगा असली खेला। कांग्रेस से दवाब डलवा कर बिहार की गद्दी तेजस्वी यादव को सौंपने की स्थिति बनाई जाएगी और नीतीश कुमार को कन्वेनर बनाकर देश भ्रमण कर भाजपा के विरोध में जनमत तैयार कराया जाएगा। कह सकते हैं जितना मुंह उतनी बातें। तो लालू प्रसाद और राहुल गांधी का मिलना कोई गुल खिलाएगा क्या?
आरसीपी ने इस मुलाकात पर क्या कहा?
पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी ने कहा कि खेला तो अब होगा। अभी तो राहुल गांधी और लालू प्रसाद मिले हैं। वैसे बिहार में खेला तो रोज हो रहा है। सबसे बड़ा खेल तो नीतीश कुमार ने किया है। बिहार की जनता ने 2020 में एनडीए को बहुमत दिया, उसके नेता नीतीश कुमार थे। बिहार की जनता ने जिसको वोट नहीं दिया था, वो सत्ता में है और जिसको वोट दिया था वह विपक्ष में है। अब क्या खेल करेंगे। और पीएम मैटेरियल क्या होता है? भारतवर्ष का हर प्रत्येक नागरिक जो सांसद बन सकता है वो पीएम मैटेरियल है। बिहार में नीतीश कुमार क्या काम किए हैं? प्रधानमंत्री बनकर क्या दिखाएंगे, जरा बता दीजिए। आज की तारीख में कौन सा एजेंडा इनके सामने है। बिहार में नहीं किए हैं वो देश में करेंगे। नीतीश कुमार का अभी कोई फ्यूचर नहीं है। नीतीश कुमार ने तो मंच से घोषणा कर रखा है कि उनका उत्तराधिकार तेजस्वी यादव हैं।
क्या कहा उपेंद्र कुशवाहा ने ?
आरएलजेडी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि राहुल गांधी और लालू प्रसाद में अंदर अंदर डील हुई है। बिहार की राजनीति से नीतीश कुमार को मुक्त कर देना है और तेजस्वी को बिहार की ताजपोशी कर देनी है। वहीं, लालू प्रसाद पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि लालू यादव नीतीश कुमार को बिहार से आगे राजनीति ले जाने वाले भी नहीं हैं, सिर्फ उनका मकसद इतना ही है कि अपने बेटे को कैसे मुख्यमंत्री बनाएं। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि लालू प्रसाद भी समझते हैं कि आगामी 2025 में विधानसभा चुनाव में पूरी तरह मैंडेट राष्ट्रीय जनता दल को आने वाला नहीं है, वो इसलिए चाहते हैं कि छह महीने या साल भर भतीजे तेजस्वी को ही मुख्यमंत्री बना दिया जाए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब तक सीएम की कुर्सी पर हैं, तब तक तो ठीक है, जिस दिन मुख्यमंत्री की कुर्सी से नीतीश कुमार हटे तो वो ताश के पत्ते की तरह महागठबंधन में बिखर जाएगा।
तो आखिर यह मुलाकात क्या गुल खिलाएगा?
अब राहुल गांधी और लालू प्रसाद मिले हैं तो इसकी वजह राजनीति नहीं है। इस मिलन का एक मकसद यह कहा जा सकता है कि राहुल गांधी को न्यायालय से राहत मिली थी और लालू प्रसाद और तेजस्वी दिल्ली में थे तो यह मुलाकात का आधार बना। पर क्या इस ओपचारिक मुलाकात में राजनीति के मुद्दे पर भी विचार हुआ होगा क्या? इस सवाल के साथ खड़ा होना इसलिए भी लाजमी है कि मुंबई में महागठबंधन की बैठक होनी है। बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार नहीं हुआ है। मुंबई में कन्वेनर का फैसला होना है, सीट शेयरिंग भी होना है। यह सब प्रश्न तो होंगे। इस पर बात भी हुई होगी पर नीतीश कुमार को डिच देना हो या तेजस्वी को सीएम बनाना जैसे आत्मघाती मुद्दे पर चर्चा की घड़ी नहीं होगी। इसलिए एक बड़े लक्ष्य को लेकर न तो राहुल और न ही लालू प्रसाद इस मुद्दे के लिए मिलने गए होंगे। लेकिन राजनीतिक जगत में गुड गेस्चर दिखाना भी एक बड़ा मकसद हो सकता है। आखिर राहुल गांधी भी जानते हैं कि बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद एक बड़े फैक्टर हैं और उनकी मदद के बिना अपेक्षित सीट कांग्रेस के लिए मुश्किलों भरा होगा।