देश के दो अलग–अलग हिस्सों से शनिवार को आई खबर ने कइयों को विचलित कर दिया। पहली दुखद खबर झांसी से आई‚ जहां एक सनकी बेटे ने पब्जी खेलने से रोकने पर अपने मां और पिता की निर्ममता से हत्या कर दी। दूसरी खबर कोचिंग हब कोटा की है‚ जहां प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे बच्चे ने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। दोनों घटनाओं की विवेचना करें तो पहले वाले मामले में महज २६ साल के बेटे ने पब्जी खेलते–खेलते अपना मानसिक संतुलन इस कदर खो दिया कि उसे अपनों का खून बहाने में रत्ती भर भी संकोच नहीं हुआ। कई युवाओं की जान लेने वाले इस खूनी खेल ने एक बार फिर निर्दोष लोगों का खून बहाया है। कई मर्तबा इस गेम को खेलने वाले ने अपनी जान ले ली तो कई बार इसके चलते दूसरों को अपनी जान गंवानी पड़़ी है। इसके बावजूद सरकार ने इस खेल को कुछ शर्तों के साथ भारत में मंजूरी दे दी। पब्जी यानी दुनिया भर में मोबाइल पर खेला जाने वाला एक बेहद लोकप्रिय गेम है। भारत में भी इसके काफी दीवाने हैं। यह खेल मार्च‚ २०१७ में जारी हुआ था। साल २०२२ में सरकार ने इस खेल पर रोक लगा दी थी और गूगल प्ले स्टोर और एपल एप स्टोर से हटाने का आदेश दिया था। इसके बाद पब्जी के भारतीय संस्करण बैटल ग्राउंड़ मोबाइल इंडि़या (बीजीएमआई) को सरकार ने कुछ दिन पहले ही मंजूरी दी है। यह जानते और समझते हुए कि इस खेल ने कितने नौनिहालों का जीवन खत्म कर दिया और कितने परिवारों को कभी न भूलने वाली तकलीफ दी; इसे मंजूरी देने की ऐसी कौन सी मजबूरी सरकार को आन पड़़ी। सिर्फ इस लालच में कि यह कंपनी भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में १० करोड़़ ड़ॉलर का निवेश करेगी। पूर्व में इस खूनी गेम से भिज्ञ होते हुए भी अगर सरकार ऐसे फैसले ले रही है‚ तो यह वाकई चिंता और सरोकार का मसला है। जहां तक कोटा पढ़ने गए बच्चों की खुदकुशी का मामला है; यह भी हम सभी के लिए चिंता का सबब है। आखिर‚ अब तक सौकड़़ों बच्चों की बलि ले चुके इस शहर और इसकी आबोहवा को अब तक सलीके से समझने की कोशिश क्यों नहीं की गईॽ इस साल अब तक (५ अगस्त) १८ बच्चों ने अपना जीवन खत्म कर लिया। बच्चों को मानसिक तौर पर मजबूत बनाने का कोई उपाय हम तलाश भी पाएंगे या नहींॽ
भारत ने चीन को दी पटखनी
चीन बेशक भारत को घेरने के लिए उसके पड़ोसी देशों से अच्छे संबंध रखता हो, उन देशों में अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर...